बलिया के जिला अस्पताल में मानवता हुई शर्मसार : ईएमओ डॉ सुमीर ने तीन घण्टे तक फर्स्ट एड न देकर किया विशेषज्ञ डॉक्टर का इंतजार ,आठ वर्षीय बच्चा ट्रक से कुचल जाने के बाद आया था अस्पताल, सीएमएस ने डॉक्टर , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर को जारी किया नोटिस
बलिया के जिला अस्पताल में मानवता हुई शर्मसार : ईएमओ डॉ सुमीर ने तीन घण्टे तक फर्स्ट एड न देकर किया विशेषज्ञ डॉक्टर का इंतजार
आठ वर्षीय बच्चा ट्रक से कुचल जाने के बाद आया था अस्पताल
सीएमएस ने डॉक्टर , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर को जारी किया नोटिस
शशिकुमार की रिपोर्ट
बलिया 5 फरवरी 2019 ।। कहते है डॉक्टर भगवान का रूप होता है । भगवान जिस तरह बिना भेदभाव के अपने दर पर आये लोगो पर जिस तरह अपनी रहमत बरसातें है , ठीक उसी तरह डॉक्टर भी अपने सामने आये मरीज का बिना भेदभाव किये जान बचाने के लिये तत्काल इलाज शुरू कर देते है । यही विशेषता डॉक्टरों को भगवान की तरह साबित करती है । लेकिन जब धरती के भगवान डॉक्टर ही गंभीर रूप से ट्रक के नीचे दबने के बाद अस्पताल आये 8 वर्षीय बच्चे के इलाज शुरू करने में तीन घण्टे लगा दे , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर बच्चे को दोनों जख्मी पैरो से गिर रहे खून को बहने से रोकने और मांस के लोथड़ों को सिलने से इंकार कर दे तो मानवता तो शर्मसार हुई न । जी हां , ऐसा ही वाक्या हुआ है बलिया के जिला अस्पताल में जहां ट्रक से कुचलने के बाद गंभीर रूप से घायल 8 वर्षीय बच्चे को इलाज के लिये लाया गया था जिसको फर्स्ट ऐड मिलने में तीन घण्टे लग गये । बांसडीह नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन सुनील सिंह ने इस संबंध में लिखित रूप से शिकायत की है जिसपर सीएमएस डॉ एस प्रसाद ने ईएमओ , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर को कारण बताओ नोटिस जारी कर इतनी बड़ी लापरवाही का जबाब मांगा है । गंभीर रूप से घायल बच्चे को बीएचयू के लिये रेफर कर दिया गया है । बच्चे की कंडीशन देखने के बाद यह तय है कि अगर जीवित रहता है तो दोनों पैर से अपाहिज ही रहेगा ।
परिजनों की माने तो फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर ने ट्रक से कुचल कर कमर से नीचे के दोनों पैरों के कई जगह चिथड़े के रूप में हो जाने से रुई बांधने से भी इंकार कर दिये थे । वही ईएमओ डॉ सुमीर अपने मोबाइल से विशेषज्ञ डॉक्टर को तो फोन करते रहे लेकिन बच्चे के शरीर से बह रहे खून को रोकने के लिये , तड़प रहे बच्चे को दर्द से राहत देने के लिये कोई इंजेक्शन तक लगाना जरूरी नही समझे । वही सीएमएस और अन्य डॉक्टर मेडिकल बोर्ड की बैठक करने में मशगूल रहे । घटना घटने के बाद देर से पहुंचने के तमगे वाली पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने मानवता दिखाते हुए घायल बच्चे को अपने खर्च से अस्पताल पहुंचाया और इलाज के लिये भागदौड़ करता रहा कि सभी लोग तारीफ कर रहे लेकिन जहां मानवता ही धर्म मानी जाती है , जहां जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे लोगो को जीवन देने का प्रयास करने वाले मानवता के सच्चे ध्वज वाहक डॉक्टर ही मानवता से मुंह मोड़ ले तो क्या कह सकते है । देखिये सीएमएस और दूसरे डॉक्टर किस बेशर्मी से कह रहे है कि इस मेडिकल बोर्ड की बैठक में जो डॉक्टर शामिल थे उनको इस केस में विशेषज्ञता नही थी । लेकिन सीएमएस डॉ एस प्रसाद भूल गये कि वे अस्पताल के मुखिया है और अस्पताल में अगर किसी मरीज को समय से इलाज नही मिलता है तो उसकी जिम्मेदारी सीएमएस की ही होती है । बोर्ड की बैठक फिर हो सकती है लेकिन अगर किसी की जान चली जायेगी तो वह वापस नही आ सकती है । यह सीएमएस साहब को तो यह बात समझनी ही पड़ेगी ।
पूर्व चेयरमैन सुनील सिंह का बयान --
आठ वर्षीय बच्चा ट्रक से कुचल जाने के बाद आया था अस्पताल
सीएमएस ने डॉक्टर , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर को जारी किया नोटिस
शशिकुमार की रिपोर्ट
बलिया 5 फरवरी 2019 ।। कहते है डॉक्टर भगवान का रूप होता है । भगवान जिस तरह बिना भेदभाव के अपने दर पर आये लोगो पर जिस तरह अपनी रहमत बरसातें है , ठीक उसी तरह डॉक्टर भी अपने सामने आये मरीज का बिना भेदभाव किये जान बचाने के लिये तत्काल इलाज शुरू कर देते है । यही विशेषता डॉक्टरों को भगवान की तरह साबित करती है । लेकिन जब धरती के भगवान डॉक्टर ही गंभीर रूप से ट्रक के नीचे दबने के बाद अस्पताल आये 8 वर्षीय बच्चे के इलाज शुरू करने में तीन घण्टे लगा दे , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर बच्चे को दोनों जख्मी पैरो से गिर रहे खून को बहने से रोकने और मांस के लोथड़ों को सिलने से इंकार कर दे तो मानवता तो शर्मसार हुई न । जी हां , ऐसा ही वाक्या हुआ है बलिया के जिला अस्पताल में जहां ट्रक से कुचलने के बाद गंभीर रूप से घायल 8 वर्षीय बच्चे को इलाज के लिये लाया गया था जिसको फर्स्ट ऐड मिलने में तीन घण्टे लग गये । बांसडीह नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन सुनील सिंह ने इस संबंध में लिखित रूप से शिकायत की है जिसपर सीएमएस डॉ एस प्रसाद ने ईएमओ , फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर को कारण बताओ नोटिस जारी कर इतनी बड़ी लापरवाही का जबाब मांगा है । गंभीर रूप से घायल बच्चे को बीएचयू के लिये रेफर कर दिया गया है । बच्चे की कंडीशन देखने के बाद यह तय है कि अगर जीवित रहता है तो दोनों पैर से अपाहिज ही रहेगा ।
परिजनों की माने तो फार्मासिस्ट और कम्पाउंडर ने ट्रक से कुचल कर कमर से नीचे के दोनों पैरों के कई जगह चिथड़े के रूप में हो जाने से रुई बांधने से भी इंकार कर दिये थे । वही ईएमओ डॉ सुमीर अपने मोबाइल से विशेषज्ञ डॉक्टर को तो फोन करते रहे लेकिन बच्चे के शरीर से बह रहे खून को रोकने के लिये , तड़प रहे बच्चे को दर्द से राहत देने के लिये कोई इंजेक्शन तक लगाना जरूरी नही समझे । वही सीएमएस और अन्य डॉक्टर मेडिकल बोर्ड की बैठक करने में मशगूल रहे । घटना घटने के बाद देर से पहुंचने के तमगे वाली पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने मानवता दिखाते हुए घायल बच्चे को अपने खर्च से अस्पताल पहुंचाया और इलाज के लिये भागदौड़ करता रहा कि सभी लोग तारीफ कर रहे लेकिन जहां मानवता ही धर्म मानी जाती है , जहां जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे लोगो को जीवन देने का प्रयास करने वाले मानवता के सच्चे ध्वज वाहक डॉक्टर ही मानवता से मुंह मोड़ ले तो क्या कह सकते है । देखिये सीएमएस और दूसरे डॉक्टर किस बेशर्मी से कह रहे है कि इस मेडिकल बोर्ड की बैठक में जो डॉक्टर शामिल थे उनको इस केस में विशेषज्ञता नही थी । लेकिन सीएमएस डॉ एस प्रसाद भूल गये कि वे अस्पताल के मुखिया है और अस्पताल में अगर किसी मरीज को समय से इलाज नही मिलता है तो उसकी जिम्मेदारी सीएमएस की ही होती है । बोर्ड की बैठक फिर हो सकती है लेकिन अगर किसी की जान चली जायेगी तो वह वापस नही आ सकती है । यह सीएमएस साहब को तो यह बात समझनी ही पड़ेगी ।
पूर्व चेयरमैन सुनील सिंह का बयान --