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बलिया : सीआरपीएफ के जवानों के शहीद होने के बाद जनाक्रोश को परिलक्षित करती वायरल कविता, जो देशभक्ति का जज्बा भर रही है !आप भी पढ़े


 सीआरपीएफ के जवानों के शहीद होने के बाद जनाक्रोश को परिलक्षित करती वायरल कविता, जो देशभक्ति का जज्बा भर रही है !आप भी पढ़े 



बलिया 16 फरवरी 2019 ।।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी आत्मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 44 जवानों के धरती पर गिरे खून के कतरे ने देश मे आतंकियों के खिलाफ जहां गुस्से को चरम पर पहुंचा दिया है और हिंदुस्तान की आवाम की एक ही आवाज बन गयी है कि बस बहुत हो गया , भारत मां के वीर जवानों का लहू अब बहना बंद हो और आतंकियों के समूल नाश के लिये इनको प्रश्रय देने वाले पाकिस्तान को भी कठोर सबक सिखाना बहुत जरूरी हो गया है । जिस किसी ने भी यह कविता लिखी है निश्चित है कि उसका कलेजा इस घटना को सुनने के बाद मुंह को आ गया होगा , और अपने देश के राजनेताओं के सिर्फ भाषणों से शेर मारने की शैली से व्यथित हो गया होगा , तब यह कविता लिखी होगी । यही नही देश मे यह भी सवाल उठ खड़ा हुआ है कि 44 जवानों के शहीद होने के बाद भी देश मे राष्ट्रीय शोक की घोषणा क्यो नही हुई ?

44 शेर जब गिरे धरा ,पर मां धरती का नूर गया ।
मेहंदी चूड़ी बिंदी महावर माथे का सिंदूर गया ।

पापा खेल खिलौने देंगे इसी प्यार में बैठे हैं ।
होली संग खेलेंगे बच्चे इंतजार में बैठे हैं ।

बच्चे नहीं जानते भारत मां की पीड़ा झेल गए ।
पापा एक माह पहले ही खून की होली खेल गए ।

जिनका रक्त बना पानी वह घर में ही बेहोश रहे ।
राजनीति के चरण चाटने वाले सब खामोश रहे ।

मुंह में गाली भरी हुई है निर्णय ना ले पाऊंगा ।
संस्कारों में बंधा हुआ हूं गाली ना दे पाऊंगा ।


ये मंजर ये मौसम सब बर्बादी जैसा लगता है ।
खुद का चेहरा भी मुझको अपराधी जैसा लगता है ।

सैनिक जितने मरे यहां पर जरा खोट मेरा भी है ।
तुम जिस दिल्ली में बैठे हो वहां एक वोट मेरा भी है ।

आतंक निकलता उसी कोख का फटना बहुत जरूरी है ।
इस्लामिक आतंकवाद का मिटना बहुत जरूरी है ।

शेर बना कर भेजे थे सियार पड़े हैं दिल्ली में ।
तीनों बंदर गांधी के बीमार पड़े हैं दिल्ली में ।

जो कुछ सेना को करना है कर जाने दो मोदी जी ।
फिर शेरों को सीमा के अंदर जाने दो मोदी जी ।

तुम दुश्मन से युद्ध करो हम अंदर सब कुछ सह लेंगे ।
एक समय खा लेंगे खाना या फिर भूखा रह लेंगे ।

जितनी ताकत शेरों में है सीमा पर दिखला दो तुम ।
सब कुछ महंगा कर दो लेकिन रक्षा बजट बढ़ा दो तुम ।

ओ सैनिक तुझसे कहता हूं कि अब बंदूक उठा ले तू ।
या सीमा से घर आ जा अपना संदूक उठा ले तू ।

सी आर पी एफ के शेर सुने सभी बलों के जवान सुने ।
खाकी वाले जरा सुने और फौजी देश की शान सुने ।

दुश्मन की सारी हरकत का अपनी संग में तोड़ रखो ।
47 और ak-56 24 घंटे लोड रखो ।

ना सहो किसी भी गोली को बस इतना ही कर डालो तुम ।
पूरी मैगजीन दुश्मन की छाती में भर डालो तुम ।

तुम कोई कायरता वाला संदेश नहीं मानो सैनिक ।
पीछे हटने का आए आदेश नहीं मानो सैनिक ।

बंदूक उठा आतंकवाद की छाती पर चढ़ जाना तुम ।
एलओसी की लाइन लांघकर भी आगे बढ़ जाना तुम।

जवाब सभी गद्दारों को उनके ही रंग में दे आना ।
जो नेता बकवास करें उसको भी संग में ले जाना ।

-- जय हिंद जय भारत