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बलिया में विद्यालयी खेल की दुर्दशा का आलम :हैंडबाल मे दर्जनों राष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले जनपद मे एक टीम लायक भी नहीं बचे खिलाड़ी

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। बलिया जनपद मे जिला क्रीड़ा समिति की सक्रियता का आलम यह है मण्डलीय प्रतियोगिता मे भेजनें के लिये एक टीम बनाने लायक भी हैंड बाल के खिलाड़ी नहीं मिले। यह उस जिले की दुर्दशा का आलम है जहां से हैण्डबाल खेल में दर्जनों राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी नेशनल्स में उत्तर प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व किये है।आज उसी बलिया जिले में एक टीम के संख्या के बराबर खिलाड़ी भी नहीँ मिले, इसके लिये जिम्मेदार कौन है? 

           मजबूरन जो आया हो गया सेलेक्ट 



मजबूरी में ये निर्णय लिया गया कि ट्रायल के लिए उपस्थित मात्र एक बालिका और 8 बालक इस प्रकार उपस्थित कुल मिलाकर 9 खिलाड़ियों को सीधे मण्डलीय ट्रायल के लिए भेज दिया जाए।दिखावे के लिए फोटो में 15 खिलाड़ियों को खड़ा कराकर फोटो खिंचवाया गया।इसका प्रमाण ये है कि यदि ट्रायल में 15 खिलाड़ी उपस्थित थे तो मानक संख्या के अनुसार बलिया की टीम क्यों नहीं बनाई गई ?



नियमानुसार यदि हैण्डबाल की U- 14, 17 और 19 आयु वर्ग की टीम बनाई जाए तो कम से कम न्यूनतम 42 खिलाड़ी मैच खेलने के लिए चाहिए।यदि पूरी टीम मानक संख्या के अनुसार बनाई जाए तो 96 खिलाड़ी चाहिए। यही नहीं चयनित खिलाड़ियों की सूची में यह भी स्पष्ट नही लिखा गया कि किस एज ग्रुप में कितने खिलाड़ी आये थे।साथ ही कही यह भी नहीं लिखा है कि इस प्रतियोगिता मे किन किन विद्यालयों की टीम भाग ली थी। किसके किसके बीच मैच हुआ था और कौन सी टीम विजेता और कौन सी टीम उपविजेता बनी।


किससे खेलेंगे ये खिलाड़ी?

चयन कर्ताओ ने तो आधी अधूरी टीम चयन करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली और इन बच्चों को मण्डलीय खेलने का टिकट दे दिया। अब सवाल यह उठता है कि जब मंडल मे टीम के साथ टीम खेलेगी तो क्या बलिया की आधी अधूरी टीम को खेलने दिया जायेगा? जी नहीं, जब तक पूरी टीम नहीं होंगी, उस जनपद को खेलने का मौका नहीं मिलेगा। अब अगर वहाँ के भी चयन कर्ता बलिया जैसे ही निकले तो बलिया से भी आजमगढ़ की टीम के लिये बिना खेले ही एक खिलाड़ियों को शामिल कर लेंगे।

इस प्रतियोगिता के लिए नामित चयनकर्ता

जिला क्रीड़ा समिति बलिया मे खेल को बढ़ाने के लिये कितनी संकल्पित है, इसका नजारा आपको हैंडबाल देखने को मिला है, जब समिति ने ऐसे व्यक्ति को चयनकर्ता बना दिया जिसका हैंडबाल से दूर दूर का कोई रिश्ता ही नहीं है। समिति ने श्री धीरेंद्र कुमार शुक्ला-* प्रधानाध्यापक कन्या प्राथमिक विद्यालय नगवा, दुबहर इस प्रतियोगिता के लिये नियम विरुद्ध चयनकर्ता नामित किया है।ऐसे मे खुद सोचिये कि क्या चयनकर्ता सही खिलाड़ी का चयन कर सकते 

सूच्य हो कि ये अपने जीवन मे कभी भी किसी स्तर पर हैण्डबाल या कोई भी खेल नहीं खेले हैं। न ही ये खेल शिक्षक है और न ही इनके पास BPed की डिग्री ही है। स्कूली खेल प्रतियोगिता मे चयन कर्ता बनने के लिये खेल शिक्षक व BPed होना जरुरी है।


मण्डल के लिए चयनित छात्र-छात्राओं की सूची-

श्री परमहंस इंटर कॉलेज मझौली से-

01- राजा कुमार पासवान 

02-रोहित पासवान

03- आयुष कुमार गुप्ता

04-कुणाल यादव

05- कार्तिके राजवर्धन

06-आनंद चौहान


पी डी इंटर कॉलेज गायघाट-

01-अजय कुमार यादव

परशुराम इंटर कॉलेज किरिहड़ापुर बलिया-

01-अभिषेक सिंह


कुल मिलाकर आयोजक विद्यालय सहित कुल 3 विद्यालय के खिलाड़ी ही उपस्थित थे।

क्या अब बलिया मे पूरी टीम बनाने लायक भी नहीं है हैंडबाल के खिलाड़ी? क्या इनके बाद नहीं नहीं बढ़ेगी फेहरिस्त 

जो बलिया कभी हैंडबाल मे नेशनल खेलने और जीत हासिल करने वाले खिलाड़ी दिया हो, उस बलिया मे आज पूरी टीम बनाने लायक भी खिलाड़ी नहीं है। मंगलवार को मझौली के जिस विद्यालय मे टीम ला चयन हुआ, उस विद्यालय के पास भी पूरी टीम लायक खिलाड़ी नहीं है, इससे बड़ा दुर्भाग्य बलिया के लिये खेल के क्षेत्र मे कोई हो ही नहीं सकता है।

इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया था बलिया का नाम 

बलिया की ही नेशनल हैण्डबाल खिलाड़ी शिवानी सिंह एनआईएस का कोर्स करके नेशनल लेबल पर आज रेफरी हैं। श्वेता वर्मा, शिफाली गुप्ता, शिवाली श्रीवास्तव, पूजा वर्मा, नीता ने उत्तर प्रदेश हैण्डबाल टीम का राष्ट्रीय स्तर पर मान बढ़ाया है।

वहीं पुरुष वर्ग में मनोज पाण्डेय, अभिषेक वर्मा, आकाश दत्त त्रिपाठी, छोटू पाण्डेय, तरुण सक्सेना, शिवम, मुकेश कुमार, मंटू कुमार, राजन श्रीवास्तव, शुभम, मुकुलेश्वर सिंह, रतन गुप्ता, गुड्डू सिंह, भोलू, आशीष, सुशील आदि उत्तर प्रदेश की हैण्डबाल टीम से नेशनल खेले हैं।

यक्ष प्रश्न,आज बलिया में हैण्डबाल खेल के इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन ?

DIOS बलिया ?,जिला क्रीड़ा समिति बलिया ?

या,बलिया हैण्डबाल एसोसिएशन ?

आयोजक विद्यालय में हैण्डबाल ग्राउण्ड बनाने के लिए नही है मानक के अनुरूप खेल मैदान।

मानक साइज का गोल पोस्ट भी नहीं था।

बिना मानक पूरा किये ही छोटे जगह पर खानापूर्ति के लिए कराया गया जनपदीय हैण्डबाल।

अब देखिये इस कागजी चयन की इनसाइड स्टोरी