बलिया : पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कराकर पेपर आउट की घटना को छुपाना चाह रहे है डीआईओएस बलिया, परीक्षा शुरू होने से 37 मिनट पहले पेपर आउट होने की वायरल खबर की जानकारी लेने पर दी गयी एफआईआर करने की तहरीर, बलिया एक्सप्रेस के संपादक के खिलाफ दी गयी तहरीर
पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कराकर पेपर आउट की घटना को छुपाना चाह रहे है डीआईओएस बलिया,
परीक्षा शुरू होने से 37 मिनट पहले पेपर आउट होने की वायरल खबर की जानकारी लेने पर दी गयी एफआईआर करने की तहरीर, बलिया एक्सप्रेस के संपादक के खिलाफ दी गयी तहरीर
मधुसूदन सिंह
बलिया 23 फरवरी बलिया ।। प्रदेश के सीएम माननीय योगी जी आप पत्रकारों की सुरक्षा की बात करते है लेकिन क्या आपने यह जानने का प्रयास किया है कि जब आपके भ्रष्ट नौकरशाहों की करतूतों को पत्रकारों द्वारा बेनकाब किया जाता है तो यही नौकरशाह पत्रकारों को बचाने नही फंसाने की युगत बैठाने लगते है । मैं बात कर रहा हूँ बलिया जनपद में यूपी बोर्ड की परीक्षा की शुचिता को तारतार करने वाले डीआईओएस भाष्कर मिश्र की । जिनको बलिया से इतनी मुहब्बत हो गयी है कि अपने बेसिक शिक्षा अधिकारी वाले कार्यकाल में गुल खिलाने से मन नही भरा था तो बलिया की माध्यमिक शिक्षा में गुल खिलाने आ गये है । बेसिक शिक्षा अधिकारी के अपने कार्यकाल में नव नियुक्त अध्यापको के अंक पत्रों के बगैर सत्यापन के वेतन देने का आदेश देने और बाद में इन अध्यापको की विजिलेंस जांच होने की घटना से जहां भाष्कर मिश्र का कृत्य चर्चा में था ही पर्चा आउट होकर वायरल होने की सूचना देकर इसकी सत्यता जानने वाले पत्रकारों पर ही साहब अपनी साहबी का रोब गांठते हुए एफआईआर कराकर कही न कही नकल माफियाओ के हाथों की कठपुतली बन गये है , इसकी जांच होनी चाहिये क्योंकि केंद्र निर्धारण से लेकर परीक्षा सम्पन्न होने तक यह गठजोड़ फेविकोल के जोड़ जैसा अटूट होता है । हाई स्कूल के वायरल पेपर के सम्बंध में जानकारी मांगने पर जिला विद्यालय निरीक्षक भाष्कर मिश्र द्वारा अरविंद कश्यप नामक पत्रकार पर जहां पहले ही एफआईआर दर्ज कराया जा चुका है । वही 22 फरवरी की इंटर की भौतिक विज्ञान के पेपर के वायरल पेपर के सम्बंध में इनको 1.23 बजे ही सूचना देने , प्रभारी जिलाधिकारी/उप जिलाधिकारी सदर अश्वनी श्रीवास्तव को मोबाइल पर सूचना देने के बाद कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी कक्ष में सीसीटीवी के सामने डेढ़ बजे मोबाइल में दिखाने के बाद और प्रभारी जिलाधिकारी के कहने पर उनके व्यक्तिगत व्हाट्सअप नम्बर पर वायरल पेपर और उसका हल भेजना , आज बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह को भारी पड़ गया और जिला विद्यालय निरीक्षक भाष्कर मिश्र ने 22 फरवरी को ही थाना कोतवाली में इनके नम्बर को वायरल करने का दोषी मानते हुए एफआईआर करने की तहरीर दे दी है । अब सवाल यह उठ रहा है कि सभी बड़े अखबारों ने प्रथम पेज पर इस खबर को छाप कर यह कहा है कि यह पेपर 1 बजे से ही मार्केट में वायरल था तो फिर अकेले बलिया एक्सप्रेस के संपादक पर ही क्यों तहरीर दी गयी ? जब पूरा मीडिया जगत चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है कि पेपर आउट हो गया था तो आखिर डीआईओएस क्यो शासन को पत्र भेजकर गुमराह कर रहे है और कह रहे है कि पेपर आउट हुआ ही नही है और जिस नम्बर से सूचना मिली थी उस नम्बर पर प्राथमिकी दर्ज कराने की तहरीर दे दी गयी है । सवाल यह उठता है कि क्या किसी घटना की जानकारी देना बलिया जिला प्रशासन की नजर में उस घटना में सम्मिलित होना मान लिया गया है ? पेपर आउट का एफआईआर कराना ही था तो अज्ञात पर लिखवाते और सूचना मांगने वाले पत्रकार के नम्बर को गवाह के रूप में दर्ज कराते तो माना जाता कि जिला विद्यालय निरीक्षक नकल रोकने हेतु प्रयासरत है । लेकिन इनके द्वारा दो पत्रकारों पर ही एफआईआर दर्ज कराना यह साबित करता है कि यह एफआईआर की धौंस से पर्चा आउट को भी सामान्य बतलाकर अपने दागदार दामन को स्वच्छ दिखाना चाह रहे है जो बलिया एक्सप्रेस कभी होने नही देगा । बलिया एक्सप्रेस की मुहिम ही चलती है भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियो के खिलाफ , डीआईओएस बलिया के इस कदम ने यह साबित कर दिया कि बलिया एक्सप्रेस सही रास्ते पर चल रहा है और नकल माफियाओ के गठजोड़ को तोड़ कर पर्दाफाश कर सकता है । भ्रष्टाचार के खुलासे में एक क्या दर्जनभर भी एफआईआर हो जाये तो भी बलिया एक्सप्रेस की मुहिम नही रुकने वाली है । जब इस संबंध में बलिया के सांसद भरत सिंह से सवाल किया गया और पूंछा गया कि सूचना देने वाले पत्रकार पर ही एफआईआर दर्ज कराना क्या सही है तो उन्होंने कहा कि नही , लेकिन जब यब कहा गया कि क्या ऐसे अधिकारी चुनावी समय मे सरकार की छवि को खराब नही कर रहे है ? इनके खिलाफ क्या कार्यवाई होगी तो सांसद जी बिना उत्तर दिये ही चले गये -
सबसे बड़ा सवाल प्रशासन ने पेपर आउट होने की सूचना मिलने के बाद क्या कदम उठाया ? दूसरा सवाल जब प्रभारी जिला अधिकारी / एसडीएम सदर ने सभी अधिकारियों को तुरंत व्हाट्सअप करके सूचना दी तो डीआईओएस को क्यो नही मिली ? या डीआईओएस जानकर भी अनजान बने रहे तब तक जबतक प्रभारी जिलाधिकारी ने इनको फोन नही किया ? जब डीआईओएस को फोन द्वारा बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह ने 1.23 बजे पेपर के वायरल होने की सूचना डीआईओएस को दी गयी , तो डीआईओएस ने क्या इस सूचना को परीक्षा से सम्बंधित सभी अधिकारियों को सूचित किया ? अगर नही तो क्या यह इनकी घोर लापरवाही नही है ? सूचना मिलने के बाद परीक्षा को संचालित करा रहे अधिकारियों ने क्या एक्शन लिया ? साथ ही डीआईओएस और जिला प्रशासन के पास पेपर आउट होने की सूचना किन किन लोगों ने दी थी इसकी जानकारी सार्वजनिक करेगा जिला प्रशासन ?
देखो -देखो बलिया में अजब हो गया है।
कलम के सिपाहियों पर FIR हो गया है।
जनाब पेपर आउट हुआ अपनी बला से।
अधिकारियों को सूचना मिली कलमकार से।
वक़्त बेवक्त में बदल गया, जूं तक न रेंगा किसी अधिकारी के कान में।
नकल माफिया की बननी थी खबर, पर फुर्सत कहा थी अधिकारियों के एक दूसरे में चोंच लड़ाने से।
कलम के सिपाही ने जब झकझोर केअधिकारियों से पूंछा, क्या हुआ साहब उसमे जो खबर मिली थी हमारे हवाले से।
कलम के सिपाही को क्या पता? कि उसके सवाल का जबाब मिलेगा, FIR के हवाले से।
अब तो प्रशासन की आंख खोलना भी गुनाह हो गया है।
वाह रे योगी सरकार की नौकरशाही, अब सच बोलना भी गुनाह हो गया ,
अब एक सवाल कौंध रहा है मन मे ,
सच बोलना भी , क्या इस सरकार में गुनाह हो गया है।
सुनिये जिला विद्यालय निरीक्षक कैसे गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए सवालों का जबाब दे रहे है --
परीक्षा शुरू होने से 37 मिनट पहले पेपर आउट होने की वायरल खबर की जानकारी लेने पर दी गयी एफआईआर करने की तहरीर, बलिया एक्सप्रेस के संपादक के खिलाफ दी गयी तहरीर
मधुसूदन सिंह
बलिया 23 फरवरी बलिया ।। प्रदेश के सीएम माननीय योगी जी आप पत्रकारों की सुरक्षा की बात करते है लेकिन क्या आपने यह जानने का प्रयास किया है कि जब आपके भ्रष्ट नौकरशाहों की करतूतों को पत्रकारों द्वारा बेनकाब किया जाता है तो यही नौकरशाह पत्रकारों को बचाने नही फंसाने की युगत बैठाने लगते है । मैं बात कर रहा हूँ बलिया जनपद में यूपी बोर्ड की परीक्षा की शुचिता को तारतार करने वाले डीआईओएस भाष्कर मिश्र की । जिनको बलिया से इतनी मुहब्बत हो गयी है कि अपने बेसिक शिक्षा अधिकारी वाले कार्यकाल में गुल खिलाने से मन नही भरा था तो बलिया की माध्यमिक शिक्षा में गुल खिलाने आ गये है । बेसिक शिक्षा अधिकारी के अपने कार्यकाल में नव नियुक्त अध्यापको के अंक पत्रों के बगैर सत्यापन के वेतन देने का आदेश देने और बाद में इन अध्यापको की विजिलेंस जांच होने की घटना से जहां भाष्कर मिश्र का कृत्य चर्चा में था ही पर्चा आउट होकर वायरल होने की सूचना देकर इसकी सत्यता जानने वाले पत्रकारों पर ही साहब अपनी साहबी का रोब गांठते हुए एफआईआर कराकर कही न कही नकल माफियाओ के हाथों की कठपुतली बन गये है , इसकी जांच होनी चाहिये क्योंकि केंद्र निर्धारण से लेकर परीक्षा सम्पन्न होने तक यह गठजोड़ फेविकोल के जोड़ जैसा अटूट होता है । हाई स्कूल के वायरल पेपर के सम्बंध में जानकारी मांगने पर जिला विद्यालय निरीक्षक भाष्कर मिश्र द्वारा अरविंद कश्यप नामक पत्रकार पर जहां पहले ही एफआईआर दर्ज कराया जा चुका है । वही 22 फरवरी की इंटर की भौतिक विज्ञान के पेपर के वायरल पेपर के सम्बंध में इनको 1.23 बजे ही सूचना देने , प्रभारी जिलाधिकारी/उप जिलाधिकारी सदर अश्वनी श्रीवास्तव को मोबाइल पर सूचना देने के बाद कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी कक्ष में सीसीटीवी के सामने डेढ़ बजे मोबाइल में दिखाने के बाद और प्रभारी जिलाधिकारी के कहने पर उनके व्यक्तिगत व्हाट्सअप नम्बर पर वायरल पेपर और उसका हल भेजना , आज बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह को भारी पड़ गया और जिला विद्यालय निरीक्षक भाष्कर मिश्र ने 22 फरवरी को ही थाना कोतवाली में इनके नम्बर को वायरल करने का दोषी मानते हुए एफआईआर करने की तहरीर दे दी है । अब सवाल यह उठ रहा है कि सभी बड़े अखबारों ने प्रथम पेज पर इस खबर को छाप कर यह कहा है कि यह पेपर 1 बजे से ही मार्केट में वायरल था तो फिर अकेले बलिया एक्सप्रेस के संपादक पर ही क्यों तहरीर दी गयी ? जब पूरा मीडिया जगत चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है कि पेपर आउट हो गया था तो आखिर डीआईओएस क्यो शासन को पत्र भेजकर गुमराह कर रहे है और कह रहे है कि पेपर आउट हुआ ही नही है और जिस नम्बर से सूचना मिली थी उस नम्बर पर प्राथमिकी दर्ज कराने की तहरीर दे दी गयी है । सवाल यह उठता है कि क्या किसी घटना की जानकारी देना बलिया जिला प्रशासन की नजर में उस घटना में सम्मिलित होना मान लिया गया है ? पेपर आउट का एफआईआर कराना ही था तो अज्ञात पर लिखवाते और सूचना मांगने वाले पत्रकार के नम्बर को गवाह के रूप में दर्ज कराते तो माना जाता कि जिला विद्यालय निरीक्षक नकल रोकने हेतु प्रयासरत है । लेकिन इनके द्वारा दो पत्रकारों पर ही एफआईआर दर्ज कराना यह साबित करता है कि यह एफआईआर की धौंस से पर्चा आउट को भी सामान्य बतलाकर अपने दागदार दामन को स्वच्छ दिखाना चाह रहे है जो बलिया एक्सप्रेस कभी होने नही देगा । बलिया एक्सप्रेस की मुहिम ही चलती है भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियो के खिलाफ , डीआईओएस बलिया के इस कदम ने यह साबित कर दिया कि बलिया एक्सप्रेस सही रास्ते पर चल रहा है और नकल माफियाओ के गठजोड़ को तोड़ कर पर्दाफाश कर सकता है । भ्रष्टाचार के खुलासे में एक क्या दर्जनभर भी एफआईआर हो जाये तो भी बलिया एक्सप्रेस की मुहिम नही रुकने वाली है । जब इस संबंध में बलिया के सांसद भरत सिंह से सवाल किया गया और पूंछा गया कि सूचना देने वाले पत्रकार पर ही एफआईआर दर्ज कराना क्या सही है तो उन्होंने कहा कि नही , लेकिन जब यब कहा गया कि क्या ऐसे अधिकारी चुनावी समय मे सरकार की छवि को खराब नही कर रहे है ? इनके खिलाफ क्या कार्यवाई होगी तो सांसद जी बिना उत्तर दिये ही चले गये -
बाइट प्रभारी जिलाधिकारी/उप जिलाधिकारी सदर --
सबसे बड़ा सवाल प्रशासन ने पेपर आउट होने की सूचना मिलने के बाद क्या कदम उठाया ? दूसरा सवाल जब प्रभारी जिला अधिकारी / एसडीएम सदर ने सभी अधिकारियों को तुरंत व्हाट्सअप करके सूचना दी तो डीआईओएस को क्यो नही मिली ? या डीआईओएस जानकर भी अनजान बने रहे तब तक जबतक प्रभारी जिलाधिकारी ने इनको फोन नही किया ? जब डीआईओएस को फोन द्वारा बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह ने 1.23 बजे पेपर के वायरल होने की सूचना डीआईओएस को दी गयी , तो डीआईओएस ने क्या इस सूचना को परीक्षा से सम्बंधित सभी अधिकारियों को सूचित किया ? अगर नही तो क्या यह इनकी घोर लापरवाही नही है ? सूचना मिलने के बाद परीक्षा को संचालित करा रहे अधिकारियों ने क्या एक्शन लिया ? साथ ही डीआईओएस और जिला प्रशासन के पास पेपर आउट होने की सूचना किन किन लोगों ने दी थी इसकी जानकारी सार्वजनिक करेगा जिला प्रशासन ?
देखो -देखो बलिया में अजब हो गया है।
कलम के सिपाहियों पर FIR हो गया है।
जनाब पेपर आउट हुआ अपनी बला से।
अधिकारियों को सूचना मिली कलमकार से।
वक़्त बेवक्त में बदल गया, जूं तक न रेंगा किसी अधिकारी के कान में।
नकल माफिया की बननी थी खबर, पर फुर्सत कहा थी अधिकारियों के एक दूसरे में चोंच लड़ाने से।
कलम के सिपाही ने जब झकझोर केअधिकारियों से पूंछा, क्या हुआ साहब उसमे जो खबर मिली थी हमारे हवाले से।
कलम के सिपाही को क्या पता? कि उसके सवाल का जबाब मिलेगा, FIR के हवाले से।
अब तो प्रशासन की आंख खोलना भी गुनाह हो गया है।
वाह रे योगी सरकार की नौकरशाही, अब सच बोलना भी गुनाह हो गया ,
अब एक सवाल कौंध रहा है मन मे ,
सच बोलना भी , क्या इस सरकार में गुनाह हो गया है।
सुनिये जिला विद्यालय निरीक्षक कैसे गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए सवालों का जबाब दे रहे है --