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अफगानिस्तान को मोदी द्वारा लाइब्रेरी के लिये दिये गये फंड पर ट्रंप ने उड़ाया मजाक कहा -- वहां पढ़ेगा कौन ?




3 जनवरी 2019 ।।

अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के लिए भारत  द्वारा की जाने वाली फंडिंग को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी का मज़ाक उड़ाया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के लिए पैसे देना किसी काम का नहीं है. ट्रंप ने इस बात का ज़िक्र एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया. यह कहकर वह अपनी उस बात को सिद्ध करना चाहते थे कि अमेरिका द्वारा दूसरे देशों में कम निवेश किया जाना ठीक है.

ट्रंप ने कहा जब मै मोदी के साथ था तो वह लगातार कहते रहे कि उन्होंने अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी बनाई है. हम से उम्मीद की जाती है कि हम कहें कि ओह लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद. लेकिन उसका वहां प्रयोग कौन करेगा? 
 ट्रंप अपनी बातों के माध्यम से बताना चाहते थे कि इसको पढ़ने वाले भी आतंकी ही होंगे ? जिस देश मे सिर्फ लोगो को गोलियों की भाषा समझ मे आती हो उनको किताबो की भाषा कहा समझ मे आएगी ?  ऐसे लोगो के लिये लाइब्रेरी खोलना फंड बर्बाद करना है ।



बता दें कि 2001 से जब से अमेरिकी सेना ने तालिबान को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान में तबाही मचाई है तब से भारत ने 3 बिलियन डॉलर सहायता का वादा किया है. इन प्रोजेक्ट्स के तहत काबुल में एक हाईस्कूल का निर्माण करवाया जाएगा और हर साल एक हज़ार अफगानी बच्चों को भारत में स्कॉलरशिप दी जाएगी.

2015 में अफगानिस्तानी संसद का उद्घाटन करते वक्त पीएम मोदी ने वहां के युवाओं को आधुनिक शिक्षा देने और प्रोफेशनल स्किल्स को बढ़ाने का वादा किया था.




भारत ने अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई को लेकर हमेशा उत्साह दिखाया है क्योंकि तालिबान शासन के दौरान भारत विरोधी आतंकवाद काफी बढ़ रहा था. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में भारत की बढ़ती भूमिका ने पाकिस्तान को सतर्क कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान की आईएसआई तालिबान के संपर्क में थी.

बता दें कि ट्रंप ने पिछले महीने अमेरिका से अपने सारे दो हज़ार सेना के जवानों को सीरिया से बाहर कर दिया था और अफगानिस्तान में मौजूद 14 हज़ार सैनिकों की संख्या भी आधी कर दी थी.