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अब शराब पीने वाले भी होंगे पुण्य के भागी , "गो सेवा सेस" देकर करेंगे निराश्रित गो माताओं की सेवा में सहयोग
अब शराब पीने वाले भी होंगे पुण्य के भागी , "गो सेवा सेस" देकर करेंगे निराश्रित गो माताओं की सेवा में सहयोग

2 जनवरी 2018 ।।
अब यूपी में शराब पीना पाप नही पुण्य का भी काम हो गया है । अब सरकार ने शराब से 2 प्रतिशत गो सेवा सेस वसूल कर सड़क पर निराश्रित आवारा घूमने वाली गो माताओं के रहने खाने पीने की व्यवस्था पर खर्च करेगी । इस कारण शराबी भी अब गो सेवा के भागीदार हो जाएंगे । इस आशय के प्रस्ताव के साथ कुल 5 अहम प्रस्तावों पर उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दी. इनमें सबसे अहम प्रस्ताव गौ सेवा से जुड़ा रहा. कैबिनेट ने प्रदेश की पंचायतों, नगर पालिका और नगर निगमों में स्थाई गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना और संचालन नीति का निर्धारण करने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत कई विभाग मिलकर इस योजना को अमल में लाएंगे. इसके साथ ही प्रदेश में नया गो सेवा सेस भी लागू किया गया है. अब प्रदेश में बिकने वाली शराब में भी ये गो सेवा सेस वसूला जाएगा.
दरअसल यूपी सरकार के अनुसार प्रदेश में लोग नर गोवंश को बेसहारा छोड़ देते हैं क्योंकि कृषि संबंधित कार्यों में अब इनकी कोई जरूरत नहीं रह गई है. ये निराश्रित गोवंश अनियंत्रित प्रजनन कर निराश्रित पशुओं की बढ़ोत्तरी करते हैं. ये किसानों की फसल बर्बाद करते हैं. यही नहीं इनके कारण सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ती हैं. अब सरकार ने युद्धस्तर पर इसका समाधान निकालने की तैयारी की है.
इसके तहत यूपी में नई प्रभावी नीति बनाई गई है. इसमें कई विभागों के सहयोग से प्रदेश के ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल बनाकर चलाया जाएगा. ये कभी भी हटाया भी जा सकेगा.
पशुपालन विभाग से इसमें सेवाएं दी जाएंगीं. इन गोवंश से उत्पादित दूध, गोबर, कम्पोस्ट आदि को बेचकर आश्रय स्थल को स्वावलंबी बनाया जाएगा. इससे जनता को गोवंश की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.
अस्थायी आश्रय स्थलों की स्थापना के लिए धन की व्यवस्था मनरेगा, स्थानीय निकायों की संचित निधि, वित्त आयोग, खनिज विकास निधि, रायफल निधि, सांसद क्षेत्र विकास निधि, विधायक क्षेत्र विकास निधि आदि से कराई जाएगी. इनके संचालन, प्रबंधन और भरण पोषण व्यवस्था स्थानीय निकाय करेंगे. इसमें धन की कमी होने पर निकाय की मांग पर शासन धन उपलब्ध कराएगा.
हर जनपद में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में कम से कम 1000 आश्रय स्थल बनाए जाएंगे. नगर निकाय क्षेत्रों में पिंजरापोल, कांजी हाउस का रेनोवेशन कराया जाएगा. यहां केयर टेकर, पर्यवेक्षण अधिकारी की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए विकास खंड, तहसील, जनपद स्तर पर समिति का गठन किया गया है, जो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टेट स्टेयरिंग कमेटी के निर्देश पर काम करेगी.
अब शराब पीने वाले भी होंगे पुण्य के भागी , "गो सेवा सेस" देकर करेंगे निराश्रित गो माताओं की सेवा में सहयोग
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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January 02, 2019
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