दुबहड़ बलिया : स्व फूलकली की द्वितीय पुण्यतिथि पर बोले वक्ता -यूँ तो दुनिया में सदा रहने कोई नहीं आता, इस उपवन का दायित्व सौंपकर इतनी जल्दी संसार से कोई नहीं जाता
प्रबुद्धजनों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
यादगार में लगाये पेड़
दुबहड़ (बलिया ) 5 दिसम्बर 2018 ।। संस्कृतिनिष्ठ जीवन जीने की आदती,सबके लिए भलीं थी । असमय में जाने वाली, वह फूल की कलीं थी । यह मार्मिक बातें बुधवार को समाजिक कार्यकर्ता सुशील कुमार द्विवेदी ने सांसद आदर्श ग्राम ओझवलिया में साहित्यकार श्रीशचन्द्र पाठक की धर्मपत्नी स्व. श्रीमती फूलकली देवी की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में कहीं । उन्होंने कहा कि यूँ तो दुनिया में सदा रहने कोई नहीं आता, इस उपवन का दायित्व सौंपकर इतनी जल्दी संसार से कोई नहीं जाता । आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के प्रबन्धकारिणी सदस्य व साहित्यकार श्रीशचन्द्र पाठक ने कहा कि एक मात्र सेवा ,सारे देवगण से बढ़कर करती थी पति की सेवा । व्यास गौरी गोस्वामी ने कहा कि कुलीन घर में जन्मी, सारे गाँव की थी प्यारी,सौन्दर्य की थी मुर्ति, मधुरभाषिनी थी प्यारी । ग्राम प्रधान विनोद दुबे ने कहा कि सुख में सबको संग रखी, दुःख में घबराई नहीं, बेसहारों का सहारा बनी, निर्बल को सताई नहीं,। इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय ओझवलिया के प्रधानाध्यापक अवधेश गिरी ने कहा कि स्वालम्बन के समर्थक, मार्गदर्शक समाज के,इनके हम ऋणी है,व्याख्यान से बताते है । उच्च प्रा.विद्यालय के सहायक अध्यापक उमाशंकर पाण्डेय ने कहा कि जयंती और निर्वाण दिवस, श्रद्धा से हम फूलकली का मनाते है । मन में उत्साह,हाथों में पुष्पहार,आँखों से खुशियाँ,गम के आँसू वहाँ पे बहाते है । इस दौरान सभी प्रबुद्धजनो ने स्व. फूलकली देवी की तैलीय चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर भावभींनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा इनकी स्मृति में पंचायत भवन के प्रांगण में फलदार वृक्ष आम का पौधरोपण भी किया गया । इस अवसर पर प्रेमचंद पाठक, सत्यनारायण गुप्ता,मनोज तिवारी,सेवानिवृत्ति सैनिक काशीनाथ कन्नौजिया, बीरबल वर्मा,श्रीराम गुप्ता,विक्टर क्लब के अध्यक्ष विवेक राय पिन्टू, सुदर्शन साहू, डब्ल्यू पाठक,स्वामी विवेकानंद युवा मण्डल के अध्यक्ष अक्षय कुमार,रामदर्शन वर्मा आदि मौजूद रहें । अध्यक्षता ग्राम प्रधान विनोद दुबे एवं संचालन आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के प्रबन्धक सुशील कुमार द्विवेदी ने किया । अंत में साहित्यकार श्रीशचन्द्र पाठक ने सभी का आभार व्यक्त किया ।