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नोटबन्दी से पहले आरबीआई ने कहां था : नोटबन्दी से नही खत्म होगा काला धन , नही रुक पायेगी नकली नोट
नोटबन्दी से पहले आरबीआई ने कहां था : नोटबन्दी से नही खत्म होगा काला धन , नही रुक पायेगी नकली नोट
RBI ने सरकार के इस तर्क को खारिज किया था कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट खत्म होगा: रिपोर्ट

9 नवम्बर 2018 ।।
नोटबंदी पर दो साल बाद नए खुलासे सामने आ रहे हैं. अग्रेंजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सरकार ने नोटबन्दी लागू करने के लिए काला धन और नकली नोट खत्म करने का हवाला दिया था जिसे आरबीआई ने नकार दिया था.
नोटबन्दी की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने टीवी पर की थी. अखबार के मुताबिक इस घोषणा से ठीक चार घंटे पहले आरबीआई ने नोटबंदी को हरी झंडी दी थी. लेकिन इस दौरान आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर सरकार के दो तर्कों को खारीज़ कर दिया था. सरकार की दलील थी कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट को खत्म किया जा सकता है.
आरबीआई की 561वीं बैठक में नोटबंदी पर मुहर लगाई गई थी. अचानक 8 नवंबर 2016 की शाम साढ़े पांच बजे सेंट्रल बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में नोटबंदी को लेकर सरकार के कदम की तारीफ की गई थी. लेकिन आरबीआई ने सरकार को चेतावनी भी दी थी कि नोटबंदी से जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
नोटबंदी का प्रस्ताव 7 नवंबर 2016 को आरबीआई के डायरेक्टर्स को भेजा गया था. प्रस्ताव मिलने के बाद डायरेक्टर्स ने सरकार के इस तर्क को नहीं माना था कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट पर लगाम लगेगी. वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर आरबीआई के डायरेक्टर्स का कहना था कि लोगों ने ज़्यादातर काले धन का इस्तेमाल रीयल स्टेट और सोने की खरीद में किया है न की कैश में ऐसे में इस कदम का ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा.
इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के समर्थन में एक ब्लॉग लिखा था. जेटली के मुताबिक, नोटबंदी के बाद टैक्स चोरी करना मुश्किल हो गया है. उन्होंने लिखा है, 'नोटबंदी की लोग ये कहते हुए आलोचना कर रहे हैं कि लगभग सारा कैश बैंकों में वापस आ गया. लेकिन नोटबंदी के सहारे हमारा मकसद सिर्फ कैश को ज़ब्त करना नहीं था. हम चाह रहे थे कि लोग टैक्स के दायरे में आए. हमें कैशलेस इकॉनमी से डिजिटल लेन-देन की दुनिया में आना था. नोटबंदी से ज़्यादा टैक्स रेवेन्यू जमा करने और टैक्स बेस को बढ़ाने में मदद मिल रही है.
नोटबन्दी की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने टीवी पर की थी. अखबार के मुताबिक इस घोषणा से ठीक चार घंटे पहले आरबीआई ने नोटबंदी को हरी झंडी दी थी. लेकिन इस दौरान आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर सरकार के दो तर्कों को खारीज़ कर दिया था. सरकार की दलील थी कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट को खत्म किया जा सकता है.
आरबीआई की 561वीं बैठक में नोटबंदी पर मुहर लगाई गई थी. अचानक 8 नवंबर 2016 की शाम साढ़े पांच बजे सेंट्रल बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में नोटबंदी को लेकर सरकार के कदम की तारीफ की गई थी. लेकिन आरबीआई ने सरकार को चेतावनी भी दी थी कि नोटबंदी से जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
नोटबंदी का प्रस्ताव 7 नवंबर 2016 को आरबीआई के डायरेक्टर्स को भेजा गया था. प्रस्ताव मिलने के बाद डायरेक्टर्स ने सरकार के इस तर्क को नहीं माना था कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट पर लगाम लगेगी. वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर आरबीआई के डायरेक्टर्स का कहना था कि लोगों ने ज़्यादातर काले धन का इस्तेमाल रीयल स्टेट और सोने की खरीद में किया है न की कैश में ऐसे में इस कदम का ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा.
इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के समर्थन में एक ब्लॉग लिखा था. जेटली के मुताबिक, नोटबंदी के बाद टैक्स चोरी करना मुश्किल हो गया है. उन्होंने लिखा है, 'नोटबंदी की लोग ये कहते हुए आलोचना कर रहे हैं कि लगभग सारा कैश बैंकों में वापस आ गया. लेकिन नोटबंदी के सहारे हमारा मकसद सिर्फ कैश को ज़ब्त करना नहीं था. हम चाह रहे थे कि लोग टैक्स के दायरे में आए. हमें कैशलेस इकॉनमी से डिजिटल लेन-देन की दुनिया में आना था. नोटबंदी से ज़्यादा टैक्स रेवेन्यू जमा करने और टैक्स बेस को बढ़ाने में मदद मिल रही है.
नोटबन्दी से पहले आरबीआई ने कहां था : नोटबन्दी से नही खत्म होगा काला धन , नही रुक पायेगी नकली नोट
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
November 09, 2018
Rating: 5