....पिता के लिये छोड़ी पत्रकारिता की पढ़ाई , अब देश को पदक दिलाने को तैयार

- 23 अगस्त 2018 ।।
खेल के मैदान पर मिलने वाली सफलता के पीछे कई बार कोई मार्मिक कहानी होती है और मोगा से पालेमबांग तक के सेना के रोअर भगवान सिंह का सफर भी दर्द से अछूता नहीं रहा है ।
छह बरस पहले 19 बरस का भगवान चंडीगढ से पत्रकारिता में बीए कर रहा था । शायद वह पत्रकार बनकर एशियाई खेलों की कवरेज कर रहा होता लेकिन नशे के आदी अपने पिता की आर्थिक सहायता के लिये उन्हें कलम छोड़कर चप्पू उठाने पड़े ।इसके बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. एशियाई खेलों में लाइटवेट डबल स्कल्स फाइनल में पहुंचे भगवान ने बताया,‘मेरे पिता अभी भी बहुत बीमार हैं . उनका एक फेफड़ा काम नहनीं कर रहा. मैं पत्रकार बनना चाहता था लेकिन मेरे पिता को ट्रक ड्राइविंग छोड़नी पड़ी क्योकि उन्हें टीबी हो गया था.’।
छह बरस पहले 19 बरस का भगवान चंडीगढ से पत्रकारिता में बीए कर रहा था । शायद वह पत्रकार बनकर एशियाई खेलों की कवरेज कर रहा होता लेकिन नशे के आदी अपने पिता की आर्थिक सहायता के लिये उन्हें कलम छोड़कर चप्पू उठाने पड़े ।इसके बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. एशियाई खेलों में लाइटवेट डबल स्कल्स फाइनल में पहुंचे भगवान ने बताया,‘मेरे पिता अभी भी बहुत बीमार हैं . उनका एक फेफड़ा काम नहनीं कर रहा. मैं पत्रकार बनना चाहता था लेकिन मेरे पिता को ट्रक ड्राइविंग छोड़नी पड़ी क्योकि उन्हें टीबी हो गया था.’।
उन्होंने कहा, ‘वह ड्राइविंग के दिनों में नशे के आदी हो गए. मुझे खुशी है कि वह जीवित हैं लेकिन उनकी हालत बहुत खराब है.’
लंबे और तंदुरूस्त भगवान ने 2012 में भारतीय सेना में दाखिला लिया और पुणे में सेना के रोइंग नोड से जुड़े . एशियाई खेलों में भाग ले रहे 34 भारतीय रोअर्स में से 33 सेना के हैं ।
भगवान ने कहा,‘मैंने बहुत बुरा समय देखा है. मैं भगवान को धन्यवाद देता हूं कि मैं यहां तक पहुंचा. सेना को धन्यवाद. मैं अपने बूढ़े माता पिता की देखभाल कर सकता हूं. पैसा ज्यादा नहीं है लेकिन अपने पिछले दौर को देखते हुए मुझे यह सुखद ही लगता है.’।
भगवान ने कहा,‘मैंने बहुत बुरा समय देखा है. मैं भगवान को धन्यवाद देता हूं कि मैं यहां तक पहुंचा. सेना को धन्यवाद. मैं अपने बूढ़े माता पिता की देखभाल कर सकता हूं. पैसा ज्यादा नहीं है लेकिन अपने पिछले दौर को देखते हुए मुझे यह सुखद ही लगता है.’।
....पिता के लिये छोड़ी पत्रकारिता की पढ़ाई , अब देश को पदक दिलाने को तैयार
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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August 23, 2018
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