मेघालय में मामूली कहासुनी मे जमकर बवाल
नई दिल्ली।मेघायल की राजधानी शिलॉन्ग में बीते गुरुवार को एक पंजाबी महिला और खासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक बस कंडक्टर के बीच हुई मामूली सी कहासुनी वहां जातीय संघर्ष में तब्दील हो गया. इस कारण वहां पिछले दो दिनों से कई जगहों पर छिटपुट हिंसा देखने को मिलीं, जिसके बाद वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दिया गया.
इस बीच मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने कहा कि हिंसा स्थानीय मुद्दे को लेकर हुई थी और यह सांप्रदायिक हिंसा नहीं थी. संगमा ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, 'समस्या एक खास इलाके में एक खास मुद्दे को लेकर हुई. दो समुदाय इसमें शामिल थे, लेकिन यह सांप्रदायिक हिंसा नहीं थी.' उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ वाले संगठनों और राज्य से बाहर की मीडिया के एक हिस्से ने शिलॉन्ग में हुई झड़पों को सांप्रदायिक रंग दिया.
मुख्यमंत्री संगमा ने रविवार को कहा कि पुलिस को ऐसी सूचना मिली है कि कुछ लोग पत्थरबाजों को फंड दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग पूर्वी खासी हिल्स जिले से बाहर के थे. शिलॉन्ग पूर्वी खासी हिल्स जिले में ही है. उन्होंने कहा कि हिंसा की फंडिंग कर रहे लोगों का पता लगाया जा रहा है.वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक खबर में बताया कि रविवार को कर्फ्यू लगने के कुछ ही देर बाद पंजाबी लेन के आसपास के इलाकों में दंगाइयों ने पुलिस और सेना पर हमला किया. एक कैमरामैन पर भी हमला हुआ जिसमें वह घायल हो गया.पंजाबी लेन में रहने वाले लोगों और खासी समुदाय के सरकारी बसकर्मियों के बीच हुई झड़पों के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल के नेताओं की एक टीम दिल्ली से शिलॉन्ग पहुंची है. इस बीच, यहां के कुछ सिख नेताओं ने उन खबरों को खारिज किया है, जिसमें कहा गया कि हिंसा के दौरान गुरुद्वारे पर हमला किया गया या नुकसान पहुंचाया गया.
जब आंखों के सामने जला दी गई ट्रक
शिलॉन्ग हिंसा के शिकार एक ट्रक ड्राइवर सतपाल सिंह (50 वर्ष) ने फर्स्टपोस्ट को आपबीती सुनाते हुए कहा, मेरे ट्रक पर पेट्रोल बम फेंका गया और मेरी आंखों के सामने ट्रक जलने लगा. नजदीक के एक ढाबा पर काम करने वाले लोगों की मदद से फायर ब्रिगेड को फोन कर बुलाया. सिंह ने फर्स्टपोस्ट से कहा, 'यहां मेरा कोई दुश्मन नहीं है. मैं रोज की तरह उस दिन भी काम पर था. पता नहीं मेरे ट्रक पर क्यों हमला किया गया.'
शिलॉन्ग के ही एक गैर-जनजातीय व्यक्ति का कहना था, कई मौकों पर खासकर दिवाली और काली पूजा के वक्त, पंडालों पर पेट्रोल बम फेंके जाते हैं. गैर-जनजातीय लोगों और उनके बिजनेस को अक्सर निशाना बनाया जाता है.
कैसे भड़की हिंसा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को थेम ल्यू मावलोंग इलाके में सरकारी बस में खलासी का काम करने वाले एक खासी लड़के और एक पंजाबी महिला के बीच कहासुनी हो गई. इस दौरान दो पक्षों के लोगों ने एक दूसरे के साथ कथित मारपीट की.यह मामला पुलिस के पहुंचा, जिसने बीचबचाव करते हुए दोनों समुदायों के लोगों को शांत कराया. हालांकि इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर किसी ने खासी युवक के मरने की खबर उड़ा दी. इसके बाद कई स्थानीय संगठनों से जुड़े लोग पंजाबी कॉलोनी पहुंच गए और वहीं से दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प शुरू हुई. वहीं 'पंजाबी लेन' में रहने वाले सन्नी सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछली रात वे नहीं सो पाए, क्योंकि कुछ ही दूरी पर एक पंजाबी परिवार के घर को आग के हवाले कर दिया गया.
इस इलाके के खासी लोग पंजाबी समुदाय को हटाने की लंबे दिनों से मांग कर रहे हैं. पंजाबी लेन के गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव गुरजीत सिंह ने कहा कि हालिया हिंसा एक बड़े एजेंडे का हिस्सा है. सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 1980 से वो (खासी) हमें अवैध निवासी बता रहे हैं और हमें यहां से चले जाने को कह रहे हैं. यहां कई साल से रह रहे हैं और रहेंगे. हमारा यही स्टैंड है. कई नेता किसी और सुरक्षित जगह पर पुनर्वास कराने की बात करते हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं. सारी बातें खोखली साबित हो रही हैं.