क्या माया के सहारे यूपी में सम्मानजनक सीट के जुगाड़ में है राहुल गांधी !
माया के सहारे यूपी के गठबंधन में राहुल कर रहे सीटों का ‘जुगाड़’!
अमित तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली ।2019के लोकसभा चुनाव में यूपी में प्रस्तावित महागठबंधन में सीटों की जुगाड़ में जुटी कांग्रेस ने नया फॉर्मूला तैयार किया है. दरअसल, कर्नाटक चुनाव में गठबंधन करने से चूकी कांग्रेस अब यह गलती आने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में दोहराने वाली नहीं है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस बसपा संग गठबंधन को तैयार है.
इसके लिए दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बात भी हो चुकी है और संगठन को इस पर काम करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में उन सीटों की शिनाख्त भी करनी शुरू कर दी है जिसपर बसपा का दबदबा रहा है ।
दरअसल, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में अकेले दम लड़कर कांग्रेस अपनी जमानत जब्त करवा चुकी है. उसे इस बात का एहसास है कि 2019 में गठबंधन से अलग होकर अगर अकेले चुनाव लड़ा गया तो अमेठी और रायबरेली सीट को छोड़कर उसकी उम्मीद किसी भी अन्य सीट से नहीं है. लिहाजा यूपी में अपना पैर जमाने के लिए उसे सपा और बसपा का सहारा लेना होगा. ताकि 2019 में अपने लिए कुछ सीटें सुरक्षित कर ली जाएं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस बसपा और सपा के साथ गठबंधन कर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव लड़ेगी. एवज में उसे यूपी में कुछ सीटें सुरक्षित मिलेंगी.
यूपी गठबंधन में सम्मानजनक सीट पाने की कोशिश
दरअसल, सपा और बसपा के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर जो सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार किया गया है, उसमें कांग्रेस को बमुश्किल तीन सीटें ही मिलती दिख रही हैं. कहा जा रहा है कि गठबंधन में सीट शेयरिंग का जो पैमाना है वह 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है. इसके मुताबिक सपा जहां से जीती है और दूसरे नंबर पर रही वह सीट उसे मिलेगी. जबकि बसपा जहां दूसरे नंबर पर थी वहां उसकी दावेदारी होगी. इस फॉर्मूले के तहत 70 सीटें दोनों के पास रहेंगी. गठबंधन के अन्य साथियों कांग्रेस और रालोद, निषाद और पीस पार्टी में बाकी बची सीटों का बंटवारा होगा. इस लिहाज से कांग्रेस को कितनी सीट मिलेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
यही वजह है कि कांग्रेस यूपी में अपनी पैठ बनाने के लिए जुगाड़ का सहारा ले रही है. यूपी में सपा और बसपा के एकजुट वोट बैंक के सहारे वह यूपी में कुछ ज्यादा सीटें सुरक्षित करना चाहती है. इसके एवज में कांग्रेस बसपा को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले चुनावों में अच्छी खासी सीट देगी और अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है.
बसपा के वरिष्ठ नेता ठाकुर उम्मेद सिंह कहते हैं कि यूपी के गठबंधन में कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटों की गुंजाईश नहीं है. बामुश्किल 3-4 सीटें ही उसे मिलेंगी. अगर वह ज्यादा सीटें चाहती है तो गठबंधन के साथियों को उसे उन राज्यों भी ज्यादा सीट देनी होगी जहां वह मजबूत है ।
उम्मेद सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से आज तक जितने भी दल हैं और बीजेपी के विरोध में हैं उन्हें 2019 में न केवल एक साथ आना होगा बल्कि एक दलित को ही प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में सामने करना होगा. तभी जाकर मोदी को रोका जा सकता है. उनका कहना था कि कांग्रेस के नेतृत्व में ऐसा संभव नहीं हो सकता. आज मायावती ही एक ऐसा चेहरा हैं जो दलित, मुस्लिम और सवर्णों में लोकप्रिय हैं.
एमपी में सीट मिलने पर बसपा अपने कोटे से यूपी में देगी सीट
कांग्रेस मध्यप्रदेश में दलित बाहुल्य और बुंदेलखंड व ग्वालियर के इलाकों में बसपा को 30 के करीब सीटें कांग्रेस दे सकती है. ऐसा ही कुछ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी होगा, जहां विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाएगा. इसके बदले यूपी में बसपा कांग्रेस के लिए अपने कोटे की सीट छोड़ेगी.
चूंकि, गठबंधन का एक अहम हिस्सा समाजवादी पार्टी भी है. इसलिए उसे भी कुछ सीटें चाहिए. इसके लिए भी कांग्रेस तैयार है. क्योंकि बसपा कांग्रेस के लिए अपने कोटे से सीट छोड़ेगी, तो वहीं सपा रालोद को अपने कोटे से सीट देगी.
लोकसभा सीटों की जुगाड़ को लेकर यूपी कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि अभी जिस गठबंधन में सीट बंटवारे की बात हो रही है, वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए है. लोक सभा सीटों के लिए अभी को सीट बंटवारे की बात नहीं हो रही है.
त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. फिलहाल हमारा मकसद किसी भी सूरत में बीजेपी को रोकना है. लोकसभा चुनावों के लिए जब गठबंधन और सीट बंटवारे की बात होगी उसमे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी शामिल रहेंगे. चूंकि कांग्रेस राष्ट्रीय की पार्टी है लिहाजा सहयोगी दल सपा और बसपा भी उसे सम्मान देंगे.
अमित तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली ।2019के लोकसभा चुनाव में यूपी में प्रस्तावित महागठबंधन में सीटों की जुगाड़ में जुटी कांग्रेस ने नया फॉर्मूला तैयार किया है. दरअसल, कर्नाटक चुनाव में गठबंधन करने से चूकी कांग्रेस अब यह गलती आने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में दोहराने वाली नहीं है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस बसपा संग गठबंधन को तैयार है.
इसके लिए दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बात भी हो चुकी है और संगठन को इस पर काम करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में उन सीटों की शिनाख्त भी करनी शुरू कर दी है जिसपर बसपा का दबदबा रहा है ।
दरअसल, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में अकेले दम लड़कर कांग्रेस अपनी जमानत जब्त करवा चुकी है. उसे इस बात का एहसास है कि 2019 में गठबंधन से अलग होकर अगर अकेले चुनाव लड़ा गया तो अमेठी और रायबरेली सीट को छोड़कर उसकी उम्मीद किसी भी अन्य सीट से नहीं है. लिहाजा यूपी में अपना पैर जमाने के लिए उसे सपा और बसपा का सहारा लेना होगा. ताकि 2019 में अपने लिए कुछ सीटें सुरक्षित कर ली जाएं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस बसपा और सपा के साथ गठबंधन कर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव लड़ेगी. एवज में उसे यूपी में कुछ सीटें सुरक्षित मिलेंगी.
यूपी गठबंधन में सम्मानजनक सीट पाने की कोशिश
दरअसल, सपा और बसपा के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर जो सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार किया गया है, उसमें कांग्रेस को बमुश्किल तीन सीटें ही मिलती दिख रही हैं. कहा जा रहा है कि गठबंधन में सीट शेयरिंग का जो पैमाना है वह 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है. इसके मुताबिक सपा जहां से जीती है और दूसरे नंबर पर रही वह सीट उसे मिलेगी. जबकि बसपा जहां दूसरे नंबर पर थी वहां उसकी दावेदारी होगी. इस फॉर्मूले के तहत 70 सीटें दोनों के पास रहेंगी. गठबंधन के अन्य साथियों कांग्रेस और रालोद, निषाद और पीस पार्टी में बाकी बची सीटों का बंटवारा होगा. इस लिहाज से कांग्रेस को कितनी सीट मिलेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
यही वजह है कि कांग्रेस यूपी में अपनी पैठ बनाने के लिए जुगाड़ का सहारा ले रही है. यूपी में सपा और बसपा के एकजुट वोट बैंक के सहारे वह यूपी में कुछ ज्यादा सीटें सुरक्षित करना चाहती है. इसके एवज में कांग्रेस बसपा को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले चुनावों में अच्छी खासी सीट देगी और अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है.
बसपा के वरिष्ठ नेता ठाकुर उम्मेद सिंह कहते हैं कि यूपी के गठबंधन में कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटों की गुंजाईश नहीं है. बामुश्किल 3-4 सीटें ही उसे मिलेंगी. अगर वह ज्यादा सीटें चाहती है तो गठबंधन के साथियों को उसे उन राज्यों भी ज्यादा सीट देनी होगी जहां वह मजबूत है ।
उम्मेद सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से आज तक जितने भी दल हैं और बीजेपी के विरोध में हैं उन्हें 2019 में न केवल एक साथ आना होगा बल्कि एक दलित को ही प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में सामने करना होगा. तभी जाकर मोदी को रोका जा सकता है. उनका कहना था कि कांग्रेस के नेतृत्व में ऐसा संभव नहीं हो सकता. आज मायावती ही एक ऐसा चेहरा हैं जो दलित, मुस्लिम और सवर्णों में लोकप्रिय हैं.
एमपी में सीट मिलने पर बसपा अपने कोटे से यूपी में देगी सीट
कांग्रेस मध्यप्रदेश में दलित बाहुल्य और बुंदेलखंड व ग्वालियर के इलाकों में बसपा को 30 के करीब सीटें कांग्रेस दे सकती है. ऐसा ही कुछ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी होगा, जहां विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाएगा. इसके बदले यूपी में बसपा कांग्रेस के लिए अपने कोटे की सीट छोड़ेगी.
चूंकि, गठबंधन का एक अहम हिस्सा समाजवादी पार्टी भी है. इसलिए उसे भी कुछ सीटें चाहिए. इसके लिए भी कांग्रेस तैयार है. क्योंकि बसपा कांग्रेस के लिए अपने कोटे से सीट छोड़ेगी, तो वहीं सपा रालोद को अपने कोटे से सीट देगी.
लोकसभा सीटों की जुगाड़ को लेकर यूपी कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि अभी जिस गठबंधन में सीट बंटवारे की बात हो रही है, वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए है. लोक सभा सीटों के लिए अभी को सीट बंटवारे की बात नहीं हो रही है.
त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. फिलहाल हमारा मकसद किसी भी सूरत में बीजेपी को रोकना है. लोकसभा चुनावों के लिए जब गठबंधन और सीट बंटवारे की बात होगी उसमे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी शामिल रहेंगे. चूंकि कांग्रेस राष्ट्रीय की पार्टी है लिहाजा सहयोगी दल सपा और बसपा भी उसे सम्मान देंगे.