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स्कूलों में पढ़ने की संस्कृति मजबूत करने की दिशा में योगी सरकार का बड़ा कदम, किताबों से जोड़े जाएंगे बच्चे

 



लखनऊ।।उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण और दूरगामी पहल की है। शासन का मानना है कि मौजूदा समय में बच्चे पुस्तकों की बजाय मोबाइल फोन और सामाजिक माध्यमों में अधिक समय बिता रहे हैं, जिससे उनका स्क्रीन पर बिताया गया समय बढ़ रहा है और बौद्धिक विकास प्रभावित हो रहा है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विद्यालयों और पुस्तकालयों से जुड़े स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।


निर्देशों के अनुसार अब प्रदेश के सरकारी जिला पुस्तकालय विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह खुले रहेंगे और विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र नियमित रूप से पुस्तकालयों का उपयोग करें। प्रत्येक छात्र को सप्ताह में कम से कम एक ऐसी पुस्तक पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो पाठ्यक्रम से अलग हो, जैसे कहानी, उपन्यास, जीवन परिचय या प्रेरक साहित्य। उद्देश्य यह है कि बच्चों में स्वैच्छिक पठन की रुचि पैदा हो और वे ज्ञान को बोझ नहीं बल्कि आनंद के रूप में लें।


पढ़ी गई पुस्तकों का सार छात्रों द्वारा विद्यालय की प्रार्थना सभा या कक्षा में प्रस्तुत कराया जाएगा, जिससे उनमें विचार व्यक्त करने का आत्मविश्वास बढ़े। शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों को जिला पुस्तकालयों का भ्रमण भी कराया जाएगा, ताकि वे पुस्तकालय की उपयोगिता और संरचना को समझ सकें। साथ ही प्रत्येक विद्यालय में एक पत्रिका तैयार कराई जाएगी, जिसका संपादन स्वयं विद्यार्थी करेंगे, जिससे उनकी लेखन क्षमता और रचनात्मकता को बढ़ावा मिले।


सरकार ने यह भी तय किया है कि जो विद्यार्थी नियमित रूप से अधिक पुस्तकें पढ़ेंगे और उनका सार प्रस्तुत करेंगे, उन्हें प्रशंसा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। पढ़ने की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए “गुलदस्ता नहीं, पुस्तक” की अवधारणा लागू की जाएगी, जिसके अंतर्गत प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पुरस्कार के रूप में ट्रॉफी या स्मृति चिन्ह की जगह पुस्तकें भेंट की जाएंगी।


इसके साथ ही विद्यालयों के शिक्षक और पुस्तकालयों के कर्मचारी स्वयं भी पुस्तकों का अध्ययन करेंगे और अपने अनुभव छात्रों से साझा करेंगे, ताकि बच्चों में पढ़ने के प्रति स्वाभाविक उत्साह उत्पन्न हो। मासिक परियोजना कार्यों, पुस्तक चर्चा, कहानी लेखन, कहानी सुनाने की गतिविधियों, रचनात्मक बुकमार्क निर्माण, पुस्तक सलाहकार जैसी गतिविधियों के माध्यम से पठन-पाठन को रोचक बनाया जाएगा।


शासन का स्पष्ट उद्देश्य है कि विद्यार्थी मोबाइल और स्क्रीन की दुनिया से निकलकर किताबों की ओर लौटें, जिससे उनका वैचारिक, तार्किक और नैतिक विकास हो सके। इस पहल को शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में बच्चों के सर्वांगीण विकास की मजबूत नींव बनेगा।