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अंधा युग के मंचन से संकल्प रंगोत्सव का आगाज़,बलिया के रंगमंच को मिली नई ऊंचाई

 




 तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प रंगोत्सव के पहले दिन धर्मवीर भारती की कालजई रचना अंधा युग का हुआ मंचन

 पटना से आई दस्तक संस्था की इस प्रस्तुति ने दर्शकों के दिल दिमाग पर छोड़ी अमिट छाप  

बलिया।। संकल्प साहित्यिक,  सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के 20 वीं वर्षगांठ पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प  रंगोत्सव की शुरुआत 26 दिसंबर को देर शाम श्री मुरली मनोहर टाऊन स्नातकोत्तर महाविद्यालय के मनोरंजन हाल में हुई । साहित्य कला और संस्कृति से जुड़े लोगों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। तत्पश्चात बी एस डी थियेटर ग्रुप गाज़ीपुर के कलाकारों ने विपिन बिहारी राय के निर्देशन में रंग संगीत की प्रस्तुति की । उसके बाद संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने संकल्प के 20 वर्षीय रंगयात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 




      समाज के निर्माण में रंगमंच की भूमिका विषय पर रंग विमर्श का आयोजन हुआ। विमर्श में हिस्सेदारी करते हुए नाद रंग पत्रिका के संपादक वरिष्ठ रंग समीक्षक आलोक पराड़कर ने  कहा कि रंगमंच हमें बेहतर मनुष्य बनता है ।‌हमारे अंदर सामाजिकता और सामूहिकता का बोध पैदा करता है।  पटना से आए  रंग निर्देशक पुंज प्रकाश ने कहा कि रंगमंच हमें जीवन दृष्टि देता है। रंगमंच किसी भी भेदभाव के खिलाफ हमेशा आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। आजमगढ़ के रंग निर्देशक अभिषेक पंडित ने कहा कि रंगमंच वह जगह है जहां हम दुनिया की सारी कलाओं से परिचित होते हैं। कला के बिना हमारा समाज निष्प्राण हो जाएगा। रंग विमर्श के बाद अंधा युग नाटक मंचन हुआ जिसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। लगभग डेढ़ घंटे की प्रस्तुति के दौरान दर्शकों से भरे हाल में पिन ड्राप साइलेंट की स्थिति रही। नाटक जैसे समाप्त हुआ दर्शक देर तक खड़े होकर ताली बजाते रहे।     

      अंधा युग  आधुनिक हिंदी नाटक का प्रमुख काव्य-नाटक है, जो महाभारत युद्ध के अंतिम दिन की पृष्ठभूमि में मनुष्य के नैतिक और सांस्कृतिक पतन की गहरी पड़ताल करता है। कथा का केंद्र अश्वत्थामा का प्रतिशोधात्मक कृत्य है, जो युद्ध समाप्त होने के बाद भी हिंसा को जीवित रखता है और सभ्यता के अंधकार की घोषणा करता है।

     







काव्यात्मक भाषा, सांकेतिक संवाद और प्रभावी रंगमंचीय संरचना इस नाटक को कालजयी बनाती है। अंधा युग हर युग में उपस्थित मनुष्य के भीतर के अंधकार का दर्पण है और सभ्यता को विवेक, करुणा और न्याय से न भटकने की चेतावनी देता है।

      नाटक में प्रिंस कुमार, सन्नी कुमार, विदूषी रत्नम , राहुल कुमार,मो इरशाद,रेयान अहमद, अंकित कुमार,शिवम कुमार के शानदार अभिनय को सबने सराहा। दस्तक पटना की इस प्रस्तुति का निर्देशन, संगीत, परिकल्पना वरिष्ठ रंग निर्देशक पुंज प्रकाश का रहा । नाटक के सभी कलाकारों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।  कार्यक्रम स्थल पर दिन में गायन प्रतियोगिता, चित्र कला प्रतियोगिता, और काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। गायन और काव्य पाठ के निर्णायक शैलेन्द्र मिश्र और अरविंद उपाध्याय तथा पेंटिंग प्रतियोगिता के निर्णायक इफ्तेखार खान रहे । प्रतियोगिता के विजेताओं को 28 तारीख को पुरस्कृत किया जाएगा। 

कार्यक्रम स्थल पर लगी कला प्रदर्शनी और पुस्तक प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। 28 दिसंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में चार राष्ट्रीय स्तर के नाटकों का मंचन होना है । प्रति दिन शाम 4 बजे से 8 बजे तक मनोरंजन हाल टी डी कालेज बलिया में। कार्यक्रम का संचालन अचिंत्य त्रिपाठी ने किया।