बार कॉन्सिल बन गयी है मात्र पंजीकरण संस्था, अधिवक्ता हितों के लिये सक्षम नेतृत्व जरुरी :धीरेन्द्र द्विवेदी
प्रयागराज।। बार काउंसिल केवल अधिवक्ताओं के पंजीकरण की संस्था बन कर रह गई है। अधिवक्ताओं के साथ शासन प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार उपेक्षात्मक एवं उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां होती रहती हैं। पूरे प्रदेश के अधिवक्ता एकजुट होकर लड़ाई लड़ने में बार काउंसिल की तरफ निगाह फैलाए रहते हैं। बार काउंसिल ऐसी कार्यवाहियों के खिलाफ प्रभावी भूमिका निभा सके इसके लिए हम सभी को आज निर्णायक विचार करने की आवश्यकता है।
उक्त बातें प्रदेश बार काउंसिल सदस्य पद के प्रत्याशी एवं बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट, गोरखपुर के पूर्व मंत्री धीरेन्द्र द्विवेदी ने आगामी बार काउंसिल सदस्य चुनाव के लिए आवेदन करने के बाद अधिवक्ताओं के बीच कहीं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अधिवक्ताओं के लिए न्यायालयों में बैठने की जगह नहीं है। अधिवक्ता आये दिन पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार होते हैं। अधिवक्ताओं को न्यायालयों द्वारा न्यायिक अवमानना के कार्यवाही का भय दिखाया जाता है। किन्तु हम एक सक्षम नेतृत्व न होने के कारण कभी भी निर्णायक लड़ाई नहीं लड़ पाते हैं। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लगातार की जा रही है, किन्तु शासन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाला अधिवक्ता समुदाय आज अपने हितों की लड़ाई लड़ने में अपने आपको असहाय महसूस कर रहा है। मजबूत नेतृत्व के अभाव में अधिवक्ता दिशाहीन होते जा रहें हैं। अधिवक्ता कल्याण निधि बढ़ाने की बातें तो बहुत बार की गई, परन्तु सम्मानजनक धनराशि नहीं हो पाई। इसके लिए हमें मजबूत बार काउंसिल का गठन करने का समय आ गया है। उन्होंने अधिवक्ताओं से आगामी चुनाव में सभी परिस्थितियों पर विचार कर मतदान करने की अपील की है। आवेदन दाखिल करते समय उनके साथ उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बालकृष्ण पाण्डेय, संयुक्त बार एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह, प्रयागराज जिला बार एसोसिएशन के पूर्व मंत्री राकेश धर दुबे, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन गवर्निंग काउंसिल सदस्य आदित्य, प्रिंस श्रीवास्तव, मृत्युंजय पाण्डेय सहित गोरखपुर जिले से बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहें।



