जागरण की आड़ मे गरबा कराने की कोशिश नाकाम, आयोजक ने पत्रकार को धमकाया, मुकदमा दर्ज, सिटी मजिस्ट्रेट पर मुकदमा दर्ज करने का आयोजक ने दिया बयान
मधुसूदन सिंह
बलिया।। पहले गरबा डांडिया की अनुमति लेने का प्रयास विफल होने पर ग्रैंड गरबा जागरण के नाम पर प्रशासन को चकमा देकर डांडिया कराने की कोशिश भी आयोजकों की फेल हो गयी। आयोजकों ने जिस नगर मजिस्ट्रेट को अनुमति देनी थी, उनको ही बिना अनुमति मिले ही निमंत्रण पत्र थमा दिया। यही से बात और बिगड गयी और नगर मजिस्ट्रेट ने सीओ सिटी को एक आदेश पत्र जारी कर स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि यह कार्यक्रम किसी भी रूप मे नहीँ होने चाहिये। वावजूद इसके जब यह कार्यक्रम कराने का गुपचुप प्रयास हो रहा था तो मीडिया ने इसको उजागर कर दिया। इससे नाराज आयोजक ने अपने बाउंसर के साथ दो पत्रकारों को दौड़ा लिया और मोबाइल पर भद्दी भद्दी गाली देकर जान से मारने की धमकी देने लगा। इस घटना से पत्रकारों मे आक्रोश भर गया और कोतवाली जाकर आयोजक महेश जायसवाल और बाउंसर के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करा दिया।
अपने बयान मे ही आयोजक ने स्वीकारा लखनऊ से आयी है गरबा टीम
एक मीडिया कर्मी से बातचीत मे आयोजक महेश जायसवाल ने खुद स्वीकार किया है कि लखनऊ से गरबा डांडिया की टीम आयी है। कहा कि हम लोग धार्मिक आयोजन कर रहे थे जिसको होने नहीँ दिया गया।
सिटी मजिस्ट्रेट पर मुकदमा करने कही आयोजक ने बात
आयोजन रद्द होने से दुखी आयोजक महेश जायसवाल ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट की वजह से कार्यक्रम रद्द हुआ है। जिसके कारण हम आयोजको के मान सम्मान को ठेस पहुंची है और लगभग 5 लाख का नुकसान हुआ है। नुकसान के लिये नगर मजिस्ट्रेट आशाराम वर्मा के खिलाफ मुकदमा किया जायेगा।
बिना अनुमति के आयोजन और अब मुकदमा की धमकी
पहली बार आयोजक डांडिया गरबा 4 अक्टूबर को कराने के लिये जिलाधिकारी के पास सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता के साथ गये थे। लेकिन जिलाधिकारी ने साफ कह दिया कि कोई भी नया आयोजन नहीँ होगा। इतने से आयोजको को समझ लेना चाहिये था कि आयोजन नहीँ हो सकता है, वावजूद लोगों मे टिकट बेचे गये, उनको 11 अक्टूबर को कार्यक्रम होने की सूचना दी गयो। जब जिला प्रशासन ने अनुमति दी ही नहीँ थी, तो आयोजको ने टिकट बेच कर धन क्यों जुटाया? मुकदमा तो तब होता न जब अनुमति मिलने के बाद कार्यक्रम के दिन अनुमति निरस्त की गयी होती।
अंदर की साजोसज्जा यह बतला रही थी कि जागरण नाम तो अनुमति लेने के लिये था, असली मकसद गरबा डांडिया कराना था। आप शायद ही ऐसा जागरण का आयोजन देखे होंगे जिसमे जागरण करने वाली टीम का नाम पता ही नहीँ दिखायी दे। यही नहीँ ऐसा कोई स्टेज भी नहीँ बना था जहां जागरण करने वाली टीम के वाद्य यन्त्र लगाये जाते। यही नहीँ जागरण सुनने वाले कहां बैठेंगे इसके लिये भी कुर्सी आदि लगी हुई नहीँ दिखायी दी।इस कार्यक्रम मे भाग लेने पहुंची युवतियों की भेष भूषा साफ दर्शा रही थी कि ये जागरण सुनने नहीँ डांडिया करने आयी है।