कुँवर सिंह महाविद्यालय के संस्थापक प्रबंधक की पुण्यतिथि पर आयोजित हुई व्याख्यानमाला, सम्मान समारोह एवं पत्रिका का हुआ विमोचन
डॉ सुनील कुमार ओझा
बलिया।।कुँवर सिंह पी जी कॉलेज, बलिया में महाविद्यालय के प्रबंधक/सचिव श्री सुरेश बहादुर सिंह की अध्यक्षता एवं प्राचार्य प्रो. अशोक कुमार सिंह के कुशल निर्देशन में लोक-जन चेतना के संवाहक, सहकारिता आंदोलन के प्रणेता एवं समाज में शिक्षा की अलख से विकास की नयी धारा प्रवाहित करने वाले पूर्वांचल के मालवीय के नाम से जनप्रिय महाविद्यालय के संस्थापक प्रबंधक बाबू शिवशंकर सिंह "वकील साहब" की पुण्यतिथि के अवसर पर “शिवशंकर सिंह : व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषयक व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस अवसर पर सम्मान समारोह एवं महाविद्यालय की पत्रिका सेनानी का कुँवर सिंह विशेषांक का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम में पूर्व प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र बहादुर राव, डॉ. विश्वप्रकाश मिश्र, उप प्रबंधक श्री माधवेन्द्र बहादुर सिंह, डॉ. गजेंद्र पाल सिंह, प्रो. अशोक सिंह, प्रो. निर्मला सिंह, डॉ. राणा प्रताप सिंह, डॉ. मंजू सिंह, प्राचार्या, मर्यादा पुरुषोत्तम कॉलेज,रतनपुरा के आतिथ्य में महाविद्यालय में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत कुँवर सिंह एवं वकील साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करके किया गया। शिवशंकर सिंह सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। महाविद्यालय की छात्रा रागिनी सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया तथा सुहाना परवीन ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो.अशोक कुमार सिंह ने स्वागत भाषण के साथ ही इस विचार गोष्ठी में बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि-वकील साहब के विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे और लोक से जोड़कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में उनकी महती भूमिका रही है। वकील साहब एक मसीहा थे, जिन्होंने समाज में एक नयी धारा प्रवाहित की। महाविद्यालय के सेवानिवृत वरिष्ठ सहयोगियों का सम्मान एवं सेनानी पत्रिका का विमोचन किया अतिथियों एवं संपादक मंडल द्वारा किया गया।
व्याख्यान में कॉलेज के उप प्रबंधक श्री माधवेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि-हम समर्पणपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पूर्व प्राचार्य डॉ. विश्व प्रकाश मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि-वकील साहब का व्यक्तित्व विशिष्ट था। यही कारण है कि-उन्होंने समाज को ही अपना परिवार बना लिया। पूर्व प्राचार्य डॉ. ज़ी पी सिंह एवं डॉ. वीरेंद्र राव ने उनके जीवन वृत्त पर विधिवत प्रकाश डाला। उनका कहना था कि-वह सहृदय व्यक्तित्व के धनी एवं परोपकारी महापुरुष थे। इस अवसर पर विचार प्रकट करते हुए वक्ताओं ने कहा कि-इसमें कोई दो मत नहीं कि बाबू शिवशंकर सिंह मालवीय जी के विचारों से पूर्णरूपेण प्रभावित होकर समाज को नयी आभा से दीप्त करते रहे। वह स्व के धनार्जन से समाज के उस अंतिम व्यक्ति तक नयी धारा प्रवाहित करने में अपनी भूमिका निभायी थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्रबंधक श्री सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि-बाबू शिवशंकर सिंह गरीबों के मसीहा थे। वे परोपकार एवं दया की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। वे निश्चित तौर पर सामान्य व्यक्ति नहीं थे। वह कर्म को ही धर्म मानते थे और पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने वाले प्रथम व्यक्ति थे। आज महाविद्यालय परिवार ने 1857 के संग्राम में महती भूमिका निभाने वाले वीरवर बाबू कुँवर सिंह सेनानी के माध्यम से याद किया। यह विशेषांक उनका सम्मान है।
कार्यक्रम का संचालन विमल कुमार यादव एवं आभार प्रो. फूलबदन सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. सूर्य बली सिंह, श्री इंद्रजीत सिंह, श्री अजय राय, प्रोफेसर सत्य प्रकाश सिंह, प्रोफेसर फूलबदन सिंह, प्रोफेसर संजय सिंह, प्रोफेसर सच्चिदानंद, प्रोफेसर अजय बिहारी पाठक, डॉ.दिव्या मिश्रा, डॉ. हरिशंकर सिंह, डॉ. शैलेश पांडेय, डॉ. धीरेंद्र सिंह , डॉ. अवनीश जगन्नाथ, डॉ. शशि प्रकाश सिंह, डॉ. सुनील चतुर्वेदी, डॉ. रत्नसेन सिंह, डॉ. विपुल सिंह, डॉ. प्रभात सिंह, डॉ. आशीष कुमार, डॉ. रामावतार उपाध्याय, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ आनंद कुमार सिंह, डॉ. योगेंद्र, डॉ अनुज कुमार पाण्डेय, डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, डॉ सुरेंद्र कुमार, डॉ. मनजीत सिंह, डॉ .उमेश यादव, डॉ. राजेंद्र प्रसाद पटेल, डॉ. पुनिल कुमार, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. प्रमोद सिंह, डॉ. अंकिता सिंह, डॉ विजया वर्मा, शबाना, अलका एवं कर्मचारीगण श्री रामकुमार सिंह, लाल बाबू सिंह, मनोज सिंह, प्रवीण सिंह, राजकुमार सिंह, दीपक सिंह, शाश्वत सिंह, रिंकू सिंह, विकास कुमार, दीनानाथ राय, प्रभु नारायण, बब्बन प्रसाद, अशोक चौबे , अंकित सिंह, पहलवान, भीमल, नन्हक सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारीगण एवं छात्र–छात्राएं उपस्थित रहे ।