मेजर डॉ. अरविंद नेत्र पांडेय को एनसीसी कैडेटों ने दी भावभीनी विदाई
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया।। सतीश चंद्र पी.जी. कॉलेज बलिया के केंद्रीय सभागार में कॉलेज के पूर्व एनसीसी अधिकारी मेजर प्रो. अरविंद नेत्र पांडेय के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की एनसीसी इकाई द्वारा भव्य रूप से किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कैडेटों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देकर की गई। तत्पश्चात, वर्तमान एवं पूर्व एनसीसी कैडेटों ने मेजर पांडेय के अनुशासनप्रिय नेतृत्व, मार्गदर्शन और प्रेरणादायी सेवाओं को याद करते हुए भावभीने शब्दों में अपने अनुभव साझा किए।
मंच पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. बैकुंठ नाथ पांडेय, वर्तमान एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट रवि प्रताप शुक्ला सहित अनेक प्राध्यापक एवं अतिथि उपस्थित रहे।
लेफ्टिनेंट शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एनसीसी कैडेटों के व्यक्तित्व निर्माण में मेजर पांडेय का योगदान अनुकरणीय रहा है। उन्होंने कॉलेज की एनसीसी इकाई को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प भी दोहराया।
मेजर डॉ. अरविंद नेत्र पांडेय ने अपने संबोधन में एनसीसी के मूल मंत्र “एकता और अनुशासन” को जीवन का हिस्सा बनाने की बात कही। उन्होंने कहा,“एनसीसी केवल परेड या प्रशिक्षण नहीं, यह जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन और नेतृत्व की पाठशाला है।”
इस अवसर पर डॉ. मुनेश यादव, डॉ. आशुतोष यादव, डॉ. श्रवण पाठक, डॉ. प्रिंस पांडेय, मथुरा पी जी कालेज रसड़ा के पूर्व प्राचार्य प्रो0 धर्मात्मानंद, टाऊन इंटर कालेज बलिया के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक श्रीवास्तव, सतीश चंद्र पी जी कालेज बलिया के पूर्व प्राचार्य प्रो रामशरण पांडेय सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक एवं मेजर प्रो अरविंद नेत्र पाण्डेय जी की धर्मपत्नी अमिता पांडेय और अभिषेक पांडेय जैसे छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन पूर्व कैडेट अधिवक्ता चंदन ने किया, जबकि डॉ. राकेश ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार जताया।पूरा माहौल भावुकता और गर्व से परिपूर्ण था, जहां विद्यार्थियों की आंखों में अपने प्रिय अधिकारी के प्रति सम्मान और स्नेह स्पष्ट झलक रहा था।
मेजर डॉ. अरविंद नेत्र पाण्डेय: अनुशासन, नेतृत्व और शिक्षा का त्रिवेणी व्यक्तित्व
मेजर डॉ. अरविंद नेत्र पाण्डेय का व्यक्तित्व किसी एक पद, एक जिम्मेदारी या एक संस्था से नहीं बंधा; बल्कि वे उन विरले शिक्षकों में से हैं, जिन्होंने शिक्षा, अनुशासन और नेतृत्व—तीनों क्षेत्रों में समान प्रतिष्ठा प्राप्त की। वे विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर, सतीश चंद्र कॉलेज के प्राचार्य, और एनसीसी में ‘मेजर’ रैंक प्राप्त अधिकारी के रूप में छात्रों, शिक्षकों और समाज में एक अलग ही पहचान रखते हैं।
शिक्षक और प्राचार्य के रूप में
डॉ. पाण्डेय शिक्षा को केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का साधन मानते हैं। एक शिक्षक के रूप में उनकी क्लासरूम उपस्थिति जितनी प्रभावशाली रही, उतनी ही प्रशासनिक क्षमता उन्होंने कॉलेज के प्राचार्य के रूप में प्रदर्शित की।सतीश चंद्र कॉलेज के विकास में उन्होंने शैक्षणिक अनुशासन, प्रशासनिक पारदर्शिता और शिक्षकीय समर्पण की त्रिवेणी को मजबूत किया।
विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर के रूप में
पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया में स्थित जन नायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के छात्रों की बहुलता वाले इस अंचल में छात्र जीवन की चुनौतियों को बहुत करीब से देखने और संभालने का अवसर उन्हें चीफ प्रॉक्टर के रूप में मिला।
इस दायित्व में रहते हुए उन्होंने न केवल कैम्पस अनुशासन को स्थापित किया, बल्कि छात्र-छात्राओं को संवाद और समझदारी से संयमित मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
एनसीसी मेजर के रूप में
एनसीसी में 'मेजर' पद तक पहुँचना केवल पदवी नहीं, बल्कि अनुशासन, नेतृत्व और सेवा भावना का प्रमाण है। उनके नेतृत्व में सतीश चंद्र कॉलेज की एनसीसी इकाई ने कई बार जनपद एवं राज्य स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
वे कैडेट्स को केवल परेड या हथियार चलाना नहीं सिखाते थे, बल्कि उन्हें सिखाते थे कि "एक सच्चा नागरिक बनना ही सबसे बड़ा प्रशिक्षण है।"
व्यक्तित्व की विशेषताएँ
दृढ़ नेतृत्व लेकिन विनम्र व्यवहार
अनुशासनप्रिय लेकिन संवादशील
शिक्षाविद् लेकिन व्यवहारिक प्रशासक
छात्रहित में कठोर निर्णय लेने में भी संकोच न करने वाला व्यक्तित्व..
मेजर डॉ. अरविंद नेत्र पाण्डेय एक ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जो तीन वर्दियों में एक साथ नजर आते हैं — शिक्षक की सादगी, अधिकारी का अनुशासन, और संरक्षक का भाव।
उनकी सेवाएं केवल एक संस्थान तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे उन दुर्लभ शिक्षकों में हैं जिनकी उपस्थिति छात्रों के जीवन के प्रत्येक मोड़ पर मार्गदर्शक बनकर उभरी।वे जहाँ भी रहें, अनुशासन, सेवा और शिक्षा का दीपक जलता ही रहेगा।