खेल मे फर्जीवाड़ा भाग 3 : बिना तैयारी के सीधे प्रतियोगिता कराना क्यों बनी मजबूरी, तीन माह तक मुख्यालय के पत्र के अनुसार क्यों नहीं हुई तैयारी
जिला क्रीड़ा समिति के सचिव की नहीं थी जिम्मेदारी?
मधुसूदन सिंह
बलिया।। जनपद की जिला क्रीड़ा समिति नौनिहालों को खेल के क्षेत्र मे नाम रोशन कराने के लिये कितनी प्रयत्नशील है, इसका उदाहरण बिना पूर्व मे कम से कम एक माह की सूचना दिये सीधे प्रतियोगिता कराये जाने की घोषणा से समझा जा सकता है। जिला क्रीड़ा समिति के अध्यक्ष डीआईओएस देवेंद्र गुप्ता हो या लगातार तीन साल से सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे दिनेश कुमार हो, इन्होने मुख्यालय से आये पत्रों को गंभीरता से संज्ञान ही नहीं लिया, नतीजन बिना तैयारी के जहां बच्चे चयन प्रतियोगिता मे भाग लेने को मजबूर है, तो वही क्रीड़ा समिति भी संसाधन विहीन विद्यालयों पर प्रतियोगिता आयोजित कर कोरम पूरा कर रही है।
प्रदेश का खेल कैलेंडर मई मे जारी, तो जनपद का जुलाई अंत मे क्यों, है जिम्मेदारों के पास जबाब
प्राचार्य राज्य विद्यालयी क्रीड़ा संस्थान उत्तरप्रदेश ने दिनांक 2 अप्रैल 2025 को पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों से 17 अप्रैल 2025 तक जिला क्रीड़ा समिति के गठन व इसकी सूची मुख्यालय को प्रेषित करने का आदेश दिया था। साथ ही किस विद्यालय पर किस खेल का संसाधन उपलब्ध है, की भी सूची तलब की थी। लेकिन बलिया ने इस पत्र के क्रम मे कोई भी कार्यवाही करना उचित नहीं समझा।
अब यहां सवाल यह उठता है कि बलिया मे जिला क्रीड़ा समिति का गठन 17 अप्रैल 2025 तक क्यों नहीं हुआ? जब प्रदेश स्तरीय खेल कैलेंडर 30 मई 2025 को जारी हो गया तो बलिया जनपद का कैलेंडर प्रतियोगिता शुरू(31 जुलाई 2025)होने के दो दिन पहले 29 जुलाई को क्यों जारी हुआ? मात्र एक दिन के समय मे प्रतियोगिता मे प्रतिभाग करने के लिये बच्चों को क्यों मजबूर किया गया? बच्चों को तैयारी का समय किस पदाधिकारियों की लापरवाही के चलते नहीं मिला है, ऐसे पदाधिकारियों पर क्या कार्यवाही होंगी?
अंडर 15 व अंडर 17 के बालक बालिकाओं की हॉकी प्रयोगिता 15 से 18 जुलाई 2025 को झाँसी मे हुई। इस प्रतियोगिता मे बलिया की टीम प्रतिभाग नहीं की इसके लिये कौन जिम्मेदार है?
देखिये प्रदेश स्तरीय / मंडल स्तरीय प्रतियोगिता का कार्यक्रम और शिक्षा निदेशक माध्यमिक का पत्र ----
जिला क्रीड़ा सचिव का बॉस जिला ओलम्पिक संघ के सचिव
लगभग 4500 खेल शिक्षकों वाले माध्यमिक व बेसिक विद्यालयों का कोई भी शिक्षक जब कम समय के कारण या यूं कहे कि एक से दो दिन मे कराटे की प्रतियोगिता कराने मे अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए हाथ खड़े कर दिये तो जिला क्रीड़ा सचिव दिनेश प्रसाद ने अपनी हैंड राइटिंग मे जिला कराटे संघ बलिया जो गैर सरकारी संस्था है, को चयन प्रतियोगिता कराने के लिये पत्र भेजते है। हद तो तब हो गयी जब ये प्रतिलिपि ओलम्पिक संघ के जनपदीय सचिव धीरेन्द्र शुक्ल को प्रतिलिपि भेजते है। अब सवाल यह उठता है कि यह आयोजन कौन करा रहा है, ओलम्पिक संघ या जिला क्रीड़ा समिति? क्या जिला क्रीड़ा समिति के बॉस धीरेन्द्र शुक्ला सचिव ओलम्पिक संघ है? जिस को अपने बॉस का नाम नहीं पता, जो अपने बॉस को सूचना देना जरुरी नहीं समझता, वह प्रदेश स्तरीय जारी पत्रों का ससमय जबाब क्या देगा? यही कारण है कि बलिया मे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो गया। नीचे पत्र को पढ़िए और समझिये सचिव की मंशा ---
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सूचित करना नहीं समझते जरुरी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला क्रीड़ा समिति के पदेन उपाध्यक्ष होते है। किसी भी निर्णय की जानकारी लिखित रूप से इनको प्रेषित करना सचिव की मजबूरी है। क्योंकि इन्ही के पास सर्वाधिक अंडर 14 के बच्चे है।जबबेसिक शिक्षा अधिकारी को जानकारी ही नहीं होंगी तो वे अपने स्तर से अपने अधीन समस्त विद्यालयों को प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिये कैसे कह दे।
बिना बेसिक शिक्षा अधिकारी के प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक किसी भी प्रतियोगिता मे अपने बच्चों को कैसे प्रतिभाग कराएंगे या अपने यहां आयोजित करेंगे। इनका बॉस बेसिक शिक्षा अधिकारी है, दिनेश प्रसाद की तरह थोड़े है कि जिला ओलम्पिक संघ के सचिव को सूचना देंगे।
पिछले साल की बालिकाओं की उप विजेता टीम क्यों नहीं गयी सुब्रतो कप खेलने
वर्तमान जिला क्रीड़ा समिति अध्यक्ष/ डीआईओएस और सचिव दिनेश प्रसाद की घोर लापरवाही के चलते बलिया की बालिकाओं की फुटबाल टीम को बड़ा झटका लगा है। पिछले साल प्रदेश की उप विजेता रही इस टीम को सुब्रतो कप मे भाग लेने के लिये जाना था। लेकिन घोर लापरवाह इन दोनों पदाधिकारियों के चलते बलिया की बालिकाओं का भविष्य संवरने की बजाय अंधकार मय हो गया। ऐसे सचिव को तो एक क्षण भी पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। जिलाधिकारी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।