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15 अगस्त 2025 : सिर्फ़ एक तारीख नहीं, एक जिम्मेदारी है

 



 15 अगस्त 2025 : सिर्फ़ एक तारीख नहीं, एक जिम्मेदारी है 

बलिया।।

"लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं,

यूँ ही नहीं दोस्तों, हम ये पर्व मनाते हैं…"

ये पंक्तियां सिर्फ़ कविता नहीं, बल्कि हमारे इतिहास की सच्चाई हैं।

हम आज जिस खुले आसमान में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे अनगिनत शहीदों का लहू, माताओं के आंसू, और करोड़ों भारतीयों की तपस्या है।

15 अगस्त का मतलब सिर्फ़ छुट्टी का दिन या सोशल मीडिया पर "Happy Independence Day" लिख देना नहीं है…

ये दिन हमें आईना दिखाता है कि हम उस आज़ादी के लायक बन भी पाए हैं या नहीं।

इतिहास किताबों में लिखे अक्षर नहीं होते, वो हमारे कंधों पर रखा भार होते हैं।



           आज का भारत – अवसर और चुनौतियां

2025 का भारत, 1947 के भारत से बिल्कुल अलग है। अब हमारे पास ताकत है, तकनीक है, और दुनिया में हमारी एक पहचान है। 

लेकिन सवाल ये है क्या हम सही मायनों में आज़ाद हैं?

क्या हम भ्रष्टाचार, नफ़रत, आलस, और अज्ञानता से आज़ाद हो पाए हैं?

क्या हम अपने देश की सड़कों, नदियों, खेतों, और शिक्षा व्यवस्था को इतना मज़बूत बना पाए हैं कि अगली पीढ़ी हमें गर्व से याद करे?

सच कहूं तो आज़ादी एक दिन की नहीं, हर दिन की लड़ाई है।

आज हमारा दुश्मन कोई बाहरी ताकत नहीं, बल्कि हमारी सोच की सीमाएं हैं।

अगर हम सच में देश प्रेमी हैं, तो हमें 3 कसम खानी होंगी

ईमानदारी की कसम –अपने काम में, अपने शब्दों में, और अपने वादों में।

एकता की कसम – जात, धर्म, भाषा के नाम पर कभी बंटेंगे नहीं।

कर्तव्य की कसम – चाहे कोई देखे या न देखे, हम अपना कर्तव्य निभाएंगे।

              2025 में हमें क्या सीखना चाहिए

देशप्रेम सिर्फ़ शब्दों में नहीं, कर्मों में दिखना चाहिए।

सोशल मीडिया की पोस्ट से ज्यादा ज़रूरी है, ज़मीन पर बदलाव लाना।

शहीदों के नाम पर राजनीति नहीं, प्रेरणा लेनी चाहिए।

हर नागरिक एक सैनिक है अगर वो अपने कर्तव्य पर डटा है।

*अंतिम बात – हम सभी को एक व्यक्तिगत वादा करना होगा*

इस 15 अगस्त को मैं अपने आप से ये वादा करता हूं कि

*"मैं शिकायत कम, योगदान ज्यादा करूंगा।*

*मैं तिरंगे के रंगों को सिर्फ़ कपड़े में नहीं, अपने स्वभाव में बसाऊंगा।*

*केसरिया – साहस,*

*सफेद – सत्य और शांति,*

*हरा – विकास और करुणा।*

*और बीच का अशोक चक्र – सतत प्रयास।"*

अगर हम सब ये छोटा सा संकल्प ले लें, तो यकीन मानो –

*अगली पीढ़ी हमें सिर्फ़ याद ही नहीं करेगी, बल्कि हमारे किए पर गर्व भी करेगी।*


   वंदे मातरम् | जय हिन्द

डॉ सुनील कुमार ओझा

असिस्टेंट प्रोफेसर,अमर नाथ मिश्र पी जी कालेज दुबेछपरा बलिया उत्तर प्रदेश ।

(राष्ट्रीय कार्यकिणी सदस्य-भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ , उपसंपादक  - बलिया एक्सप्रेस साप्ताहिक खबर एवं डेली न्यूज पोर्टल  बलिया)