नाटक"पानी पानी कितना पानी" की प्रस्तुति कर बाल प्रतिभाओं ने सबका मोह लिया मन
कलात्मक कार्यशालाएं बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारती हैं और उनको अच्छा कलाकार बनने में मदद करती हैं -रवीन्द्र कुशवाहा
प्रयागराज।।सर्वस्व लोक कल्याण स्वैच्छिक संस्था और संगम सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 20 दिवसीय प्रस्तुतिपरक बाल कार्यशाला का सोमवार को रंगारंग समापन हुआ। समारोह में बच्चों ने अपनी प्रतिभा से दर्शकों का मन मोह लिया ।कार्यशाला में 32 बच्चों ने प्रतिभाग लिया ।रंगकर्मी सुबोध सिंह और नाट्य निर्देशक तेजेंद्र सिंह तेजू ने कला में रुचि रखने वाले बच्चों को प्रशिक्षित किया। डॉ हेमंत कुमार द्वारा लिखित नाटक पानी पानी कितना पानी की बच्चों ने भावपूर्ण प्रस्तुति की नाटक का विषय समसामयिक समस्या पानी की बर्बादी और अधिक दोहन को लेकर था जिसकी दर्शकों ने सराहना की और समझा भी नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में अनामिका कुशवाहा, पूर्वी कुशवाहा, अभिराज सिंह, कार्तिकेय सिंह, माही सिंह, आराध्या अभिनव, आर्य प्रताप, कार्तिकेय, पूर्वशी, प्रिंस, श्रेयस, अंश सोनी, देवांश और पियूष ने अभिनय किया। निर्देशन तेजेंद्र सिंह तेजू परिकल्पना सुबोध सिंह, रंग परामर्श अफजल खान, संगीत संयोजन आदित्य सिंह, मंच संचालन कौशिक गौतम, कार्यक्रम संयोजक पंकज गौड़, मंच व्यवस्था पृथ्वीराज शर्मा का रहा, इसके पश्चात नृत्य निर्देशिका निकिता गौतम के निर्देशन में गौर सिंह, सेजल सिंह, समृद्धि, युविका, रचिका, पंखुड़ी, अद्विका, संसंचित, आदित्रि ने कथक और लोक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुविख्यात कवि कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा माननीय सदस्य राज्य ललित कला अकादमी संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश, विशिष्ट अतिथि संदीप कुशवाहा व विशिष्ट अतिथि इंदु खुराना रहीं। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को मंच पर बुके देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने प्रतिभागी बच्चों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया और कहा कि कलात्मक कार्यशालाएं बच्चों के अंदर छिपे प्रतिभा को निखारती हैं और अच्छा कलाकार बनाने में उनकी मदद करती हैं उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की। संस्था सचिव तेजेंद्र सिंह तेजू ने कहा ब्लू बेल स्कूल प्रांगण में हर वर्ष कार्यशाला आयोजित की जाती है, इसका उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना एवं संस्कारिक बनाना है।