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बलिया जिला प्रशासन का तुगलकी फरमान, हलक मे फंसी बलिया वासियों की जान

 



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। दिल्ली पर कभी शासन करने वाले मुहम्मद तुगलक को हिंदुस्तान की जनता आज तक नहीं भूली है। तुगलक के एक फरमान ने दिल्ली वासियों को जो तकलीफ उस समय दी थी, वह आजतक लोगों के जेहन मे कई पीढ़ियों बाद भी उसी तरह से है। सूच्य हो कि मुहम्मद तुगलक ने पूरे देश मे सुचारु रूप से शासन चलाने के लिये देश के केंद्र मे राजधानी हो, यह निर्णय किया। यह सोच अच्छी थी, पर इसको लागू करने के लिये जो आदेश दिया, उससे तुगलक को वाइज फूल का तगमा दिला दिया। तुगलक ने आदेश दिया था कि दिल्ली की जगह अब राजधानी दौलताबाद होंगी, इससे उसको बुद्धिमान कहा गया ।  लेकिन उसने जो दूसरा आदेश दिया, वह उसको मुर्ख घोषित करा दिया। दूसरे आदेश मे तुगलक ने दिल्ली के सभी लोगों, व्यापारियों को दौलताबाद चलने का आदेश दिया। राजा का आदेश मानते हुए दिल्ली वासी पैदल बैलगाड़ी व अन्य साधनों से दौलताबाद के लिये चल दिये। पैदल चलते चलते एक चौथाई लोग स्वर्ग सिधार गये। ज़ब तुगलक दौलताबाद पहुंचा तो उसे शहर पसंद ही नहीं आया। फिर उसने सभी को वापस दिल्ली चलने का फरमान सुना दिया। इसके बाद दिल्ली वापसी तक एक चौथाई लोग पुनः स्वर्ग सिधार गये, धन जन का बहुत नुकसान हुआ।



उपरोक्त वाक्या बलिया जिला प्रशासन पर भी सटीक बैठ रहा है। बलिया का जिला प्रशासन शहर को सुन्दर बनाने की सोच के तहत कार्य कर रहा है, यह सराहनीय कदम है। लेकिन शहर को सुन्दर बनाने के चक्कर मे आम लोगों के जीवन मे जो दुश्वारिया आ रही है, इसको कोई देखने वाला ही नहीं। जनपद मुख्यालय पर स्थित एक मात्र ओवरब्रिज, आज जिला प्रशासन ने इसके मरम्मत के लिये आधे हिस्से को बंद कर दिया। नतीजन आज सुबह से जो जाम लगा, वह लोगों को मुहम्मद तुगलक की याद करा दिया।

          ओवरब्रिज की मरम्मत बना कारण 

बता दे कि कचहरी से शहर जाने और वापस आने का एक मात्र साधन यही ओवरब्रिज है। आम दिनों मे भी ज़ब यह पुल बिना रोकटोक के होता है, तब भी इस पर सुबह से लेकर दोपहर तक जाम लग जाता है। नीचे रेलवे का क्रासिंग है। आज ज़ब पुल पर मरम्मत का कार्य शुरू हुआ तो पूरा पुल जाम हो गया। जले पर नमक छिड़कने का काम रेलवे विभाग ने क्रासिंग को बंद कर के कर दिया। नतीजन न लोग ओवरब्रिज से जा पा रहे थे, न नीचे क्रासिंग से, न ही काजीपुरा से। दस बजे से 2 बजे तक जनता रेंगने को मजबूर थी।




आलम यह था कि एम्बुलेंस मे जो मरीज जिंदगी बचाने के लिये जिला अस्पताल जा रहे थे, उनकी जान हलक मे अटक गयी थी। अब कितनों की जान बची या गयी, यह पीड़ित परिजन ही बता सकते है। अभी तो यह आगाज है, कल ज़ब फिर से जाम लगेगा, तब क्या होगा, इसको सोच के अभी से लोगों की जान हलक मे अटक रही है।

      दिन मे काम कराने का निर्णय तुगलकी फरमान 

ओवरब्रिज को मरम्मत कराने के लिये दिन मे कार्य कराने का निर्णय तुगलकी फरमान जैसा है। इस आदेश को देने वालों ने सिर्फ पुल की मरम्मत को ही ध्यान मे रखा, जनता को कितनी परेशानी होंगी, इसको किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। अगर जिला प्रशासन लोगों को आने वाली परेशानियों को ध्यान दिया होता, तो मरम्मत का काम दिन की बजाय रात को कराने का आदेश देता। आज की दुर्दशा देखने के बाद जिला प्रशासन अपने निर्णय को बदलता है कि नहीं यह आने वाला कल ही बताएगा।

अस्पताल,कोर्ट,बाजार नहीं पहुंच पाये लोग 

आज के जाम ने जहां मरीजों को जिला अस्पताल तक पहुंचने मे कई घंटे लगा दिया, तो वही चित्तू पांडेय चौराहे के पास स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय के विस्तार परिसर तक न वादकारी पहुंच पाये, न ही अधिवक्ता। सूच्य हो कि इसी जाम को लेकर बलिया मे अधिवक्ताओ द्वारा न्यायिक कार्य का विरोध भी किया गया है। इसके आलावा इस समय शादी विवाह का सीजन चल रहा है, ऐसे मे खरीदारी के लिये लोगों को परेशान होते देखा गया।

            भूख से बिलबिलाते रहे स्कूली बच्चे 

आज के जाम से स्कूली बच्चों को भूख से बिलबिलाते हुए साफ देखा गया। बता दे कि सुबह से जो बच्चे स्कूल गये थे, उनकी ज़ब दोपहर को छुट्टी हुई तो उनकी बसें भीषण जाम मे ऐसे फंसी की नौनिहाल भूख से बिलबिला उठे। इसके साथ ही इस समय बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही है, ऐसे मे अगर 15 अप्रैल तक यही स्थिति रही तो छात्रों के सामने परीक्षा केंद्र तक पहुंचना एक जंग से कम नहीं होगा।