स्वच्छता का सबको पाठ पढ़ाने वाली नगर पालिका मे ही शौचालय का अभाव, दीवार पर खड़े होकर नपा कर्मी लघुशंका करने को विवश
मधुसूदन सिंह
बलिया।। पूरे नगर क्षेत्र मे लोगो के घरों मे शौचालय बनवाने और साफ सफाई के लिए जागरूक करने वाली और पूरे शहर के साफ सफाई का जिम्मा उठाने वाली नगर पालिका, अपने ही कर्मचारियों के लिए शौचालय की सुविधा तक नहीं दे पायी है। जबकि स्वच्छ भारत मिशन की नगर पालिका ही कार्यदायी संस्था भी है। आलम यह है कि नगर पालिका के कर्मचारी मजबूरन दीवार की ओट मे लघुशंका करने को मजबूर है, वही अगर किसी का पेट ख़राब हो जाये तो उसे भाग कर घर जाना पड़ता है या लगभग 600 मीटर दूर कलेक्ट्रेट परिसर के सुलभ शौचालय जाना पड़ता है।
यह हाल है जिला मुख्यालय की नगर पालिका का।बता दे कि नगर पालिका परिषद बलिया मे लगभग एक दर्जन अधिकारी,एक दर्जन बाबू, आधे दर्जन से अधिक महिला कर्मचारी, लगभग साढ़े तीन सौ के करीब स्थायी सफाई कर्मी, लगभग 100 जलकल कर्मी और लगभग 300 आउटसोर्सिंग कर्मचारी है। इतनी ज्यादे संख्या के बाद नगर वासी भी प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या मे अपना काम कराने नगर पालिका आते है। इतनी संख्या जहां प्रतिदिन रहती हो, वहाँ शौचालय न हो यह स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ाने जैसा है। महिला कर्मियों के लिए सीढ़ी के नीचे एक ऐसा शौचालय बनाया गया है जिसकी साफ सफाई व बनावट इतनी सुंदर व स्वच्छ है कि इसमे महिला कर्मी जाने से ही कतराती है, नतीजन इसमें ताला लगा रहता है।
एक तरफ सरकार अरबों रूपये खर्च करके खुले मे शौच कोई न करें, इसके लिए खुले मे शौच मुक्त गांव शहर बनाने मे लगी हुई है और इसी सरकार की संस्था नगर पालिका खुलेआम मजबूरन अपने कर्मचारियों को खुले मे पेशाब करने के लिए विवश की हुई है। नगर पालिका बलिया का कार्यालय जिस परिसर मे स्थित है, उसी मे जिला पंचायत का भी कार्यालय है। लेकिन जिला पंचायत ने भी सार्वजनिक शौचालय नहीं बनवाया है। इस ऑफिस मे भी आने वाले लोग दीवार पर ही पेशाब करते है।
इस संबंध मे ज़ब अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका परिषद बलिया से ऑफिस मे न होने पर मोबाइल से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो कई बार रिंग बजने के बाद भी साहब ने फोन नहीं उठाया। वही इस संबंध मे ज़ब चेयरमैन संतकुमार मिठाई लाल से मोबाइल से सम्पर्क किया गया तो उनका कहना था कि यह सत्य है कि हम अपने कर्मचारियों के लिए आजादी के इतने बरस बाद भी शौचालय की सुविधा नहीं दे पाये है। लेकिन इसमें नगर पालिका से ज्यादे जिला पंचायत का दोष है। जिला पंचायत हमको अपने ही कार्यालय मे कोई भी निर्माण कार्य करने से रोकने लगती है। हमारे कार्यालय और परिसर को जिला पंचायत अपना बता कर हमेशा नोटिस भेजती रहती है। कहा कि अगर जिला पंचायत का रोक न हो तो नगर पालिका तुरंत शौचालय बना देगी। कहा कि मैंने तो यहां तक कहा है कि मेरे चेम्बर के शौचालय को कर्मचारी प्रयोग कर सकते है।
साथ ही यह भी कहा कि नगर पालिका के गेट के सामने नगर पालिका की अरबों की जमीन पर पहले किरायेदार बनकर नलकूप विभाग ने अपना स्टोर बनाया, अब वह न किराया देता है, न ही जमीन खाली कर रहा है। कहा कि अधिशाषी अधिकारी को नलकूप विभाग से जमीन खाली कराने के लिए बहुत पहले मैंने आदेश दे रखा है लेकिन अधिशाषी अधिकारी क्या किये यह संज्ञान मे नहीं है। कहा कि अगर यह जमीन खाली हो जाये तो नगर पालिका का एक भव्य ऑफिस और आधुनिक बाजार तुरंत बनाने की प्रक्रिया को शासन के पास स्वीकृति के लिए भेज दी जाती, जिससे नगर पालिका को लाखों रूपये महीना का राजस्व प्राप्त होने लगता।