रामलीला का तीसरा दिन : धरती की पुकार, श्रीराम जन्म का सजीव मंचन, दर्शकों ने खूब लगाये जय श्रीराम के नारे
संतोष कुमार द्विवेदी
नगरा, बलिया। सार्वजनीक रामलीला समिति के तत्वाधान में जनता इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित ऐतिहासिक रामलीला के तीसरे दिन भारतीय सांस्कृत राम कृष्ण लीला संस्थान वृंदावन से आए कलाकारो ने पृथ्वी पुकार व श्रीराम जन्म लीला का मंचन कर उपस्थित दर्शको का मन मोह लिया। राम जन्म होते ही पूरा पांडाल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा।
कलाकारो द्वारा मंचित लीला के अनुसार रावण के अत्याचारों से पीडि़त पृथ्वी जब गो रूप धारण कर देवताओं की शरण में पहुंचती है तो उसकी पीड़ा सुनकर देवतागण व्यथित हो जाते हैं। इसके बाद सारे देवता एकत्रित होकर धरती को लेकर भगवान विष्णु के पास जाते है। देवता कहते हैं कि रावण का अत्याचार इतना बढ़ गया है कि चारों ओर त्राहि-त्राहि मची है। भगवान विष्णु उन्हें आश्वासन देते है कि रावण का अत्याचार खत्म करने के लिए वे स्वयं मानव रूप में धरती पर जन्म लेंगे। इसके बाद कोई संतान न होने से दुखित राजा दशरथ संतान प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ से सलाह मांगते है। गुरु वशिष्ठ दशरथ को श्रृंगी ऋषि के पास भेजते हैं। श्रृंगी ऋषि राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ कराने के लिए कहते है। दशरथ जी ऋषि की बात मानकर यज्ञ करते है, और यज्ञ में अग्निदेव प्रकट होते हैं यथा राजा को हवि देते हुए कहते है कि यह तीनों रानियों को खिला देना। आपको पुत्र प्राप्ति होगी। इसके बाद माता कौशल्या के कोख से बाल्य रूप में भगवान राम का जन्म होता है साथ ही माता कैकई के भरत एवं माता सुमित्रा के लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है। जैसे ही राजा दशरथ को एक साथ चार पुत्रों के जन्म की सुचना मिलती है, वे प्रसन्न होकर हीरे जवाहरात आदि लुटाते है।
राम जन्म होते ही पुरा पांडाल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। सखियां सोहर गाती है, जिससे दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। लीला का शुभारम्भ पूर्व प्रधान मनोज कुमार पांडेय ने भगवान की झांकी की आरती पुजन कर किया। पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, राजेश गुप्ता, डा शशि प्रकाश कुशवाहा, रामायण ठाकुर, सुनील गुप्ता, गणपति गोड, क्रांति यादव,राम प्रसाद गुप्ता,अनिल, बबलू कसेरा, राजू चौहान, रियांशू जायसवाल, राहुल ठाकुर, अमन कुमार आदि की भुमिका सराहनीय रही।