जर्जर तन बूढ़े भारत की यह मस्ती भरी जवानी है, गीत को शैलेन्द्र मिश्र ने गाकर दी नई ऊंचाई
बलिया के जगदीश ओझा सुंदर ने लिखा था यह गीत
बलिया।। भारत छोड़ो के नारे की बलिया एक अमिट निशानी है , जर्जर तन बूढ़े भारत की यह मस्ती भरी जवानी है । 1942 के आंदोलन पर लिखा जगदीश ओझा सुंदर का यह अमर गीत आज फिर से एक बार जीवंत हो उठा है । सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक शैलेंद्र मिश्रा ने इस गीत को अपनी आवाज में गाकर इसे एक नई ऊंचाई दी है ।
बलिया जनपद का एक क्रांतिकारी इतिहास रहा है। 1942 के आंदोलन में बलिया पूरे देश में सबसे पहले आजाद हो गया था। यह हमारे लिए गर्व की बात है ।उस गौरवशाली इतिहास को बलिया जनपद के प्रख्यात साहित्यकार जगदीश ओझा "सुंदर" ने "विद्रोही बलिया" गीत में दर्ज किया। वह गीत हमारे लिए धरोहर है। उस गीत को संगीतबद्ध करके युवा लोक गीत गायक शैलेन्द्र मिश्र ने अपने मधुर आवाज में गाया है। इस उद्देश्य के साथ कि हम अपने गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुंचा सकें। गीत का लोकार्पण बलिया कलेक्ट्रेट स्थित ड्रामा हाल में हुआ। इस अवसर पर डॉ कादम्बिनी सिंह , जयश मिश्र , आलोक पाण्डेय, गायक अनिल मिश्रा, कृष्ण कुमार यादव मिट्ठू, आशुतोष यादव , सन्नी उपाध्यक्ष, लकी शुक्ला , आनन्द कुमार चौहान, ट्विंकल गुप्ता अनुपम जेडी , विशाल , पवन , अंजनी, धीरज इत्यादि उपस्थित रहे।