मोदी सरकार की तानाशाही नीतियों के चलते कर दिया छोटे अखबारों ने आत्मसमर्पण करना शुरू :"एक प्रकाशक की कहानी,उसी की जुबानी
नई दिल्ली।।
सेवा में
श्रीमान रजिस्ट्रार महोदय
भारत के समाचार पत्रों के पंजीकार का कार्यालय (RNI)
संदर्भ - दिन-प्रतिदिन बढ़ती जटिलताओं से दुखी हो समाचारपत्र बंद करने की घोषणा
महोदय,
पाक्षिक यथासंभव की ओर दिनांक 30 अप्रैल 2024 को आपको ईमेल से अपनी शिकायत दर्ज कराई थी जिसके अनुसार मेरे द्वारा वार्षिक विवरणी जमा कराने के बावजूद हुए जुर्माने को गत वर्ष आपके दिए लिंक पर जमा करने पर आज भी बकाया दिखा रहा है। लेकिन अफसोस कि आपने इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज तक न तो मेरे मेल की पावती भेजी, न ही कोई उत्तर दिया और न ही रिकार्ड में सुधार किया। इससे इस वर्ष की विवरणी जमा करना संभव नहीं हो पा रहा।
यह सर्वविदित है कि देशभर के सभी छोटे समाचारपत्र व्यवसाय नहीं, जनून और सामाजिक प्रतिबद्धता तथा भारतीय भाषाओं के साहित्य, कला, संस्कृति के उन्नयन एवं समाज सेवा के लिए लगातार प्रयासरत है।
वैश्विक महामारी कोरोना के बाद से सभी छोटे समाचारपत्र अपने अस्तित्व के लिए लगातार संघर्षरत है। इधर सरकार का कोई सहयोग मिलना तो दूर लगातार जटिलताएं बढ़ाई जा रही है। इन सब कारणों से मैं अपना पाक्षिक समाचार पत्र यथासंभव का टाइटल आपको सुपुर्द करता हूं क्योंकि ये पेचिदगियां मुझे इसका प्रकाशन जारी रखने की अनुमति नहीं देती।
कृपया अपने रिकार्ड से Yathasambhav Fortnightly
DELHIN/2007/ 20393 का पंजीकरण निरस्त कर मुझे सूचित करेंगे।
आशा है तत्काल मेरे इस मेल की पावति प्रदान करेंगे
भवदीय
मुनीष गोयल
संपादक, प्रकाशक, मुद्रक- यथासंभव
Yathasambhav Fortnightly
DELHIN/2007/ 20393