Breaking News

पैसे की वसूली के लिये मृत बच्चे क़ो रखा वेंटीलेटर पर, बलिया के अपूर्वा नर्सिंग होम की है करिस्तानी, परिजनों ने लगाया गंभीर आरोप



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। जनपद का अपूर्वा नर्सिंग होम अपनी लापरवाहियों और दबंगई के लिये अक्सर चर्चा में आ जाता है। ऐसा कोई साल नहीं है, ज़ब यहां जच्चा बच्चा की मौत के बाद हंगामा न होता हो। इस वर्ष भी साल के दूसरे ही दिन नवजात शिशु की मौत के बाद परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया। परिजनों का आरोप है कि मात्र पैसा लेने के लिये पहली जनवरी क़ो ही मर चूके बच्चें क़ो वेंटीलेटर पर रखा गया था, जिसको आज सुबह मरा हुआ बताया गया है। मृत बच्चें के पिता ने इस अस्पताल के अंदर चलने वाली मेडिकल की दुकान पर भी बत्तमीजी करने का आरोप लगाया है।

मृत बच्चें के पिता दीपक के अनुसार पूरे नौ माह तक अपूर्वा नर्सिंग होम की डॉक्टर से इलाज करवाया। पिछले 30 दिसंबर क़ो नार्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चा पैदा हुआ। बच्चें के पैदा होने के बाद डॉक्टर ने कहा कि बच्चें क़ो सांस लेने में तकलीफ है, इसको वेंटीलेटर पर 24 घंटे के लिये रखना पड़ेगा। इसका चार्ज प्रतिदिन 5 हजार के साथ दवाओं का चार्ज लगेगा। मेरे द्वारा बच्चें क़ो बचाने के लिये इनकी हर बात मान ली गयी। बच्चा 30 दिसंबर से ही वेंटीलेटर पर था। इन लोगों ने यह भी कहा कि यहां आप लोगों क़ो रहने की कोई जरूरत नहीं है, घर जाइये।

1 जनवरी 2024 क़ो ज़ब मै अपने बच्चें क़ो घर लें जाने की बात कही, तो इन लोगों ने और 24 घंटे बच्चें क़ो छोटे वेंटीलेटर पर रखने की बात कही। आज मंगलवार क़ो सुबह 8 बजे मेरे मोबाइल पर फोन आया कि आपके बच्चें की हालत ख़राब है, इनके नाक से ब्लीडिंग हो रही है, जल्दी आइये। एक घंटे के अंदर भागा भागा मै अस्पताल पहुंचा तो इन लोगों ने कहा कि आपका बच्चा मर गया है। ज़ब मैने अपने बच्चे क़ो देखा तो उसके चेहरे पर कही भी खून का निशान नहीं दिखा। ज़ब मैने खून के निशान के बारे में बात की और दिखाने क़ो कहा तो इन लोगों ने कहा कि दाग पोछ दिया गया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक घंटे में ही मेरा बच्चा सुख गया था। मुझे लगता है कि मेरे बच्चें की मौत सोमवार क़ो ही हो गयी थी और ये लोग पैसा लेने के लिये उसको वेंटीलेटर पर रखे हुए थे।

परिजनों द्वारा हंगामा करने और मीडिया कर्मियों के आ जाने से अस्पताल संचालकों के हाथ पाँव फूल गये और आनन फानन में बच्चें के परिजनों से लिये गये 30 हजार रूपये वापस करके उनको घर भेज दिया गया। मीडिया कर्मियों ने अस्पताल की संचालिका से उनका पक्ष जानने के लिये घंटो इंतजार किया लेकिन वे कोई भी बयान देने से कतराती रही। इस घटना के बाद और डॉक्टर के द्वारा अपना पक्ष मीडिया के सामने नहीं रखने से अस्पताल की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में तो आ ही गयी है।







सीसीटीवी फुटेज से हो सकती है स्थिति साफ

इस अस्पताल में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है। वही वही जहां वेंटीलेटर लगा हो, वहां तो जरूर लगा रहता है। अगर बच्चें की मौत मंगलवार की सुबह और ब्लीडिंग के चलते हुई है तो अस्पताल क़ो फुटेज सार्वजनिक करके परिजन के आरोप क़ो झूठा साबित करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो परिजन के आरोप की बच्चें की मौत एक दिन पहले ही हुई है, सही साबित हो जायेगी। वैसे फुटेज अस्पताल इस लिये भी नहीं जारी करेगा कि कैसे इलाज और कौन कर रहा है, सामने आ जायेगा।






सीएमओ कार्यालय की लापरवाही का उठाते है नर्सिंग होम लाभ

कहने क़ो तो जनपद में चल रहे सभी प्राइवेट अस्पताल सीएमओ बलिया के द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप संचालित होते है लेकिन इसके लिये जिम्मेदार कितनी बार अस्पतालों का निरीक्षण करते है, यह सभी क़ो पता है। ऐसी घटनाओं के घटित होने के बाद सीएमओ साहब जगते है और जांच टीम बनाकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर छुट्टी पा जाते है। किसी भी ऑपरेशन में, डिलीवरी में निस्तेजक चिकित्सक की उपस्थिति आवश्यक है। सूत्रों की माने तो बलिया में मात्र दो ही प्राइवेट निस्तेजक चिकित्सक है। लेकिन ये ही चिकित्सक जनपद के सभी प्राइवेट अस्पतालों से सम्बद्ध है। अब यह सोचने वाली बात यह है कि ये दोनों एक साथ कितने अस्पतालों में उपस्थित होते होंगे। यानी बिना इनकी उपस्थिति में ही मरीजों की जान क़ो जोखिम में डालकर ऑपरेशन किया जाता है। सबसे हैरान करने वाली एक बात और यह है कि एक चिकित्सक पिछले दो वर्षो से बाई पास सर्जरी के बाद जनपद से बाहर है। ऐसे में अगर इन नर्सिंग होम्स की पिछले एक साल के ही ऑपरेशन की डिटेल निकाल ली जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी बाहर निकल आएगा।

बाईट - मृत बच्चें का परिजन दीपक