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बलिया के निःसंतान दम्पतियों के लिये वरदान साबित होगा यह निःशुल्क परामर्श शिविर, डॉ प्रतिभा सिंह ने दी है सैकड़ों घरों में संतान की खुशियां



मधुसूदन सिंह

बलिया।। हेल्थ होम हॉस्पिटल और वेदांता क्लिनिक बलिया के द्वारा निःसंतान दम्पतियों के लिये शनिवार को  वाराणसी की सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ प्रतिभा सिंह का निःशुल्क शिविर लगाकर एक उम्मीद की किरण दिखायी गयी है। यह शिविर वेदांता क्लिनिक बलिया पर दिन के 11 बजे से 4 बजे तक लगाया गया। इस शिविर में लगभग 150 निःसंतान दम्पतियों ने अपनी जांच करायी और डॉ प्रतिभा सिंह से संतान के लिये परामर्श हासिल किया।

बता दे कि डॉ प्रतिभा सिंह वाराणसी के नोवा आईवीएफ फ़र्टिलिटी, महमूरगंज वाराणसी की सुप्रसिद्ध चिकित्सक है। इनको निःसंतान दम्पतियों को संतान की खुशियां दिलाने में महारथ हासिल है।

इस शिविर की आयोजिका हेल्थ होम हॉस्पिटल की संचालिका डॉ जया पाठक ने बलिया एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि इनके दिमाग़ में निःसंतान दम्पतियों के लिये शिविर लगाने की बात, अपने हॉस्पिटल पर संतान न होने से परेशान दम्पतियों की अधिक संख्या को देखने के बाद, आज मूर्तरूप में देखने को मिली है। डॉ पाठक ने आज के शिविर में सैकड़ों दम्पतियों के आने से ख़ुशी का इजहार करते हुए कहा कि इस शिविर से निश्चित ही ऐसे दम्पतियों की झोली में भी संतान का सुख जरूर मिलेगा। कहा कि अब यह शिविर प्रत्येक माह में एक दिन लगा करेगा। जांच में खर्च के संबंध में कहा कि लगभग 5 हजार रूपये खर्च होते है, इसमें सबसे महंगी जांच हार्मोन की होती है।

डॉ पाठक ने कहा कि निःसंतान महिलाओं और उसके पार्टनर की जांच के बाद संतान पैदा कराने के लिये तीन विधियां है --

1-HSG - इसमें खून से गर्भवती होने की जांच और गर्भ धारण में क्यों रुकावट है, इसका पता लगाकर गर्भ ठहरे इसके लिये इलाज किया जाता है।

2- IVF- इस विधि को टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है।

3- IUI - इस विधि को कृत्रिम गर्भ धारण विधि भी कहते है।




                             HSG

महिलाओं के मां बनने में आ रही दिक्कतों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मौजूदा समय में एक बड़ी समस्या ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब (Blocked Fallopian Tubes) की देखी जा रही है।डॉक्टरों के मुताबिक आधुनिक समय में फर्टिलिटी का इलाज करवा रहीं 20-30 फीसदी महिलाओं में यह समस्या है। ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब की समस्या कई वजह से पैदा होती है, हालांकि मेडिकल साइंस में इस परेशानी का इलाज उपलब्ध है। इस टेस्ट को कराने में 2000 से 3500 रुपये के बीच खर्च (HSG Test Cost) आता है।

 क्या होते हैं फैलोपियन ट्यूब

आप एक महिला हैं और आप मां बनना चाहती हैं, तो आपको पता होगा कि आपके शरीर में कुदरत ने कई ऐसी चीजें बनाई हैं जो मर्दो के पास नहीं होती।आपके शरीर में ओवरीज (Ovaries) है जो हर माह एक अंडा बनाता है। इसे मेडिकल की भाषा में ओवुलेशन (Ovulation) कहा जाता है। इसके साथ ही आपकी बॉडी में एक गर्भाशय (Uterus) है। इसका भी पूरी तरह से ठीक होना जरूरी होता है। इसके साथ इन अंगों के बीच दो फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) होते हैं। किसी महिला के मां बनने के लिए इन फैलोपियन ट्यूब्स का ओपन रहना अनिवार्य है।


फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक्ड होने पर क्या होगा

अगर आपका फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हैं तो आप मां नहीं बन सकती। इन ट्यूब्स के ब्लॉक होने पर आपके ऐग्स गर्भाशय तक नही पहुंचेंगे। इसी तरह इसके ब्लॉक होने पर स्पर्म भी गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाएंगे। दरअसल, इन्हीं ट्यूब्स के जरिए गर्भाशय (Uterus) में ऐग्स और स्पर्म पहुंचते हैं और वहां पर ये फर्टाइल होकर भ्रूण का शक्ल लेते हैं।

 ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब का पता लगाने का तरीका

आधुनिक मेडिकल साइंस में ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इसके लिए एक खास टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट का नाम है हिस्टेरोसैल्पिंगोग्राम (hysterosalpingogram). संक्षेप में इसे HSG टेस्ट कहा जाता है। इस टेस्ट को एक प्रक्रिया के जरिया अंजाम दिया जाता है। इसमें आपके फैलोपियन ट्यूब्स और यूट्रस का एक्सरे किया जाता है। इस एक्सरे में ही आपके ट्यूब ब्लॉक हैं या नहीं, इसका पता चलता है। यह एक बहुत छोटी प्रक्रिया होती है और इसमें करीब पांच मिनट का समय लगता है।


कब कराया जाता है ये टेस्ट

एचएसजी टेस्ट को आपकी सुविधा के अनुसार नहीं करवाया जा सकता।आमतौर पर डॉक्टर इसे पीरियड खत्म होने और ओवुलेट होने से पहले करवाते हैं। यह समय पीरियड के पहले 14 दिन के बीच में यानी पीरियड आने के 7-8 दिन बाद का होता है।


कैसे किया जाता है यह टेस्ट

डॉक्टर आमतौर क्लिकिन में ही यह टेस्ट कर लेते हैं। इसके लिए आपको एक टेबल पर लेटाकर फैलोपियन ट्यूब वाली जगह का एक्सरे इमैज लिया जाता है। इस एक्सरे को फ्लोरोस्कोप (fluoroscope) कहा जाता है।इसके लिए डॉक्टर वजिना (vagina) में स्पेकुलम डालते हैं जिससे कि वह ओपन रहे। इसके साथ ही डॉक्टर सर्विक्स (cervix) को क्लिन करते हैं। गर्भाशय के निचले हिस्से को सर्विक्स कहा जाता है। इसके बाद डॉक्टर सर्विक्स में एक पतला ट्यूब डालते हैं। इस पतले ड्यूब को कैन्नूला (Cannula) कहते हैं। सर्विक्स में कैन्नूला डालने के साथ स्पेकुलम को निकाल लिया जाता है।इसके बाद यूट्रस में आयोडिन युक्त तरल पदार्थ डाले जाते हैं। आयोडिन तरल पदार्थ के कारण यूट्रस और फैलोपिनय ट्यूब कंट्रास्ट दिखने लगते हैं। इतनी प्रक्रिया करने के बाद डॉक्टर फ्लोरोस्कोप एक्सरे से तस्वीर लेते हैं। इसी तस्वीर में आपके फैलोपियन ट्यूब के ओपन या बंद होने की जानकारी मिलती है।

 टेस्ट में होता है मामूली दर्द

फॉलोपियन ट्यूब टेस्ट की प्रक्रिया करने में करीब 5-7 मिनट लगते हैं। इस प्रक्रिया में थोड़ा दर्द होता है। ऐसे में टेस्ट से करीब एक घंटा पहले डॉक्टर आमतौर पर पेन किलर देते हैं। टेस्ट के बाद भी आपको अगले कुछ दिनों तक परेशानी रह सकती है। इसमें पेट के निचले हिस्से में दर्द, थकान जैसे लक्षण आम हैं। इसमें पेल्विक इंफेक्शन या इंजरी की आशंका रहती है. ऐसे में कोई भी दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


पीरियड के बाद और टेस्ट से पहले क्यों नहीं बनाना चाहिए फिजिकल रिलेशन

पीरियड के बाद और एचएसजी टेस्ट से पहले डॉक्टर फिजिकल रिलेशन बनाने से मना करते हैं।दरअसल, इसके पीछे का लॉजिक यह है कि पीरियड के बाद अगर आप इंटरकोर्स करती हैं तो हो सकता है आप प्रेग्नेंट हो जाएं, लेकिन आपको पता न चले। ऐसी स्थिति में एचएसजी टेस्ट नहीं करवाया जा सकता। ऐसे में डॉक्टर ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए पीरियड के बाद टेस्ट होने तक फिजिकल रिलेशन बनाने से मना करते हैं।


इलाज

आधुनिक मेडिकल साइंस में ब्लॉक्ड फॉलोपियन ट्यूब का इलाज उपलब्ध है। ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब के अधिकतर मामलों के पीछे इंफेक्शन और ट्यूबरक्लोसिस जैसे कारण होते हैं।इसे मामूली सर्जरी के जरिए ओपन किया जाता है. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी बेहतर विकल्प है।







                 आईवीएफ 

बांझपन पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध (Regular unprotected sexual intercourse) बनाने के बाद भी गर्भावस्था नहीं होती है।


मेडिकल साइंस में विकास होने के कारण आज आईवीएफ इलाज (IVF treatment ) का विकल्प हमारे पास उपलब्ध है।

आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स (IVF Treatment )

बांझपन पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध (Regular unprotected sexual intercourse) बनाने के बाद भी गर्भावस्था नहीं होती है।मेडिकल साइंस में विकास होने के कारण आज आईवीएफ इलाज (IVF treatment in Hindi) का विकल्प हमारे पास उपलब्ध है।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) क्या है?

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन  को आम बोलचाल की भाषा में आईवीएफ कहते हैं। आईवीएफ ट्रीटमेंट को हिंदी में  भ्रूण प्रत्यारोपण कहा जाता है। आईवीएफ एक प्रजाजन उपचार यानी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility treatment ) है। यह बांझपन से पीड़ित व्यक्ति या जोड़े के लिए एक वरदान है।


आईवीएफ के दौरान, स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है। भ्रूण तैयार करने के बाद, उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए लगभग 80 लाख शिशु जन्म लेते हैं।


आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी (Test tube baby ) कहते हैं। आईवीएफ एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है जिसके दौरान आपको काफी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

आईवीएफ उपचार से बांझ दंपति को संतान का सुख प्राप्त करने में मदद मिलती है। बांझपन कई कारणों से होता है। जब इलाज के दूसरे सभी माध्यम असफल हो जाते है।

आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स 

बांझपन पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध (Regular unprotected sexual intercourse) बनाने के बाद भी गर्भावस्था नहीं होती है।मेडिकल साइंस में विकास होने के कारण आज आईवीएफ इलाज (IVF treatment in Hindi) का विकल्प हमारे पास उपलब्ध है।


आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी (Test tube baby ) कहते हैं। आईवीएफ एक लंबी और आईवीएफ उपचार की आवश्यकता कई स्थितियों में हो सकती हैं जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं ---

एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis & IVF Treatment )

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं को प्रभावित करने वाला एक सामान्य विकार है। इससे पीड़ित महिलाओं के गर्भाशय के बाहर असामान्य रूप से टिश्यू का विकास होता है जो फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय और गर्भाशय को प्रभावित करते हैं।


शोध से यह बात साबित हुई है कि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से काफी आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। अगर आपको एंडोमेट्रियोसिस है तो अभी हमारे अनुभवी और विश्वसनीय फर्टिलिटी एक्सपर्ट से फ्री परामर्श कर सकती हैं। 


ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्डर (Ovulation Disorders )

ओव्यूलेशन संबंधित विकार से पीड़ित महिला के अंडाशय में अंडा उत्पन्न नहीं होता है जिसके कारण गर्भधारण करने में परेशानी होती है। जो महिलाएं ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, उनके लिए आईवीएफ उपचार एक सफल और सुरक्षित प्रक्रिया है।


फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होना (Blockage In Fallopian Tube)

फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉक या खराब होने पर एक महिला को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से गर्भाशय से अंडे का रिलीज नहीं होना, अंडे का स्पर्म से नहीं मिलना और अंतत महिला का बांझपन से पीड़ित होना आदि शामिल हैं।


जो महिलाएं फैलोपियन ट्यूब बंद होने या उसमें किसी तरह की समस्या के कारण गर्भधारण करने में सक्षम नहीं होती हैं उनके लिए आईवीएफ एक बेहतर उपचार विकल्प के रुप में सामने आता है।


यूटेराइन फाइब्रॉइड्स (Uterine Fibroids )

यूटेराइन फाइब्रॉइड्स महिला में होने वाले बांझपन के कई कारणों में से एक है। ये महिला के गर्भाशय के शेप और आकार को बदल सकते हैं और कुछ मामलों में यह गर्भाशय के निचले हिस्से यानी सर्विक्स में भी बदलाव लाते हैं।यूटेराइन फाइब्रॉइड्स से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैंHin

अस्पष्टीकृत बांझपन (Unexplained Infertility )

जांच के बाद भी जब बांझपन के सटीक कारणों का पता नहीं चलता है तो इस स्थिति को अस्पष्टीकृत बांझपन (Unexplained infertility ) कहते हैं। आईवीएफ अस्पष्टीकृत बांझपन का उचित इलाज है।


स्पर्म की क्वालिटी खराब होना (Low Sperm )

स्पर्म की क्वालिटी खराब और क्वांटिटी कम होने के कारण पुरुष बांझपन की शिकायत पैदा होती है। स्पर्म की क्वालिटी खराब और संख्या कम होने पर अंडा के साथ फर्टिलाइज करना मुश्किल होता है।इस तरह के बांझपन का इलाज करने के लिए आईवीएफ के साथ-साथ आईसीएससी का उपयोग किया जाता है।


आनुवंशिक विकार (Genetic Disorder )

कुछ मामलो में आनुवंशिक विकार के कारण भी एक जोड़े को गर्भधारण करने में अनेको समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी एक्सपर्ट आईवीएफ उपचार की मदद से जोड़े को गर्भधारण कर संतान का सुख प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।


अगर आप ऊपर दी गई समस्याओं से पीड़ित हैं या दूसरे किसी कारणों से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं तो अभी हमारे अनुभवी फर्टिलिटी डॉक्टर के साथ अप्वाइंटमेंट बुक कर फ्री परामर्श कर सकती हैं।आईवीएफ उपचार शुरू करने से पहले प्रजनन विशेषज्ञ कुछ खास जांच करने का सुझाव देते हैं। आईवीएफ उपचार से पहले पुरुष को निम्न जांच कराने पड़ते हैं-


वीर्य विश्लेषण (सीमेन एनालिसिस)

हॉर्मोन टेस्टिंग

अल्ट्रासाउंड

एमआरआई

वासोग्राफी

टेस्टिकुलर बायोप्सी

जेनेटिक टेस्टिंग

इन सभी जांचों को करने के बाद डॉक्टर महिला की जांच करते हैं।


                   आई यू आई

          आईयूआई क्या है?

आईयूआई यानि इंट्रायुटेराइन इन्सिमेनेशन (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान) एक इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें, मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद से स्पर्म के अशुद्धियों को हटाकर महिला के गर्भाशय में प्रवेश किया जाता है| यह उन लोगों में गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा देता है जो किसी विशेष स्पर्म दोष या फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होने के कारण गर्भवती नहीं हो पा रहे हैं।

            आईयूआई ट्रीटमेंट में क्या होता है?

आईयूआई ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले, आईयूआई विशेषज्ञ दंपत्ति को गर्भ धारण करने से रोकने वाली सटीक समस्या का निर्धारण करने के लिए कुछ नैदानिक ​​परीक्षणों की सिफारिश करेगा। एक सामान्य परिदृश्य में, पुरुष और महिला साथी के लिए आईयूआई ट्रीटमेंट से पहले निम्नलिखित परीक्षणों की सिफारिश की जाती है।


आईयूआई से पहले पुरुष की जांच

वीर्य विश्लेषण(Semen analysis) – पुरुष के शुक्राणु से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। सटीक निर्धारण के लिए, आईयूआई विशेषज्ञ को शुक्राणु का नमूना एकत्र करना होगा और उसे एक साफ कंटेनर में प्रयोगशाला में भेजना होगा। समस्या का ठीक-ठीक निर्धारण करने के लिए वीर्य के नमूने का प्रयोगशाला में विश्लेषण किया जाता है।


इमेजिंग परीक्षण(Imaging Tests) – कई स्थितियों में, पुरुष को एमआरआई या उसके जननांगों के अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग परीक्षणों से गुजरने का सुझाव दिया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसके अंगों में कोई अंतर्निहित असामान्यताएं तो नहीं हैं।


वृषण बायोप्सी(Testicular Biopsy) – पुरुष प्रजनन प्रणाली में असामान्यताओं की पहचान करने और निर्धारित करने के लिए टेस्टिकुलर बायोप्सी अभी तक एक और परीक्षण है जो बांझपन में योगदान दे सकता है। यदि परीक्षण में कोई महत्वपूर्ण असामान्यता दिखाई देती है, तो उपचार करवाने के लिए दंपति को दाता के शुक्राणु का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।


 हार्मोन परीक्षण(Hormone Testing) – हार्मोन परीक्षण पुरुष में टेस्टोस्टेरोन और अन्य पुरुष हार्मोन के स्तर का अनुमान लगाता है।


 आनुवंशिक परीक्षण(Genetic Testing) – आनुवंशिक परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद करता है कि क्या पुरुष के जननांगों में कोई आनुवंशिक दोष है जो जोड़े के लिए गर्भधारण करने में समस्याओं में योगदान दे रहा है।


आईयूआई से पहले महिला की जांच

पुरुषों की तरह, महिलाओं को भी विशिष्ट परीक्षणों से गुजरना पड़ता है, जो आईयूआई विशेषज्ञ को यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आईवीएफ या अन्य सहायक प्रजनन तकनीक जोड़े के लिए सबसे अच्छा कैसे काम कर सकती है। आईवीएफ से पहले महिलाओं के लिए आमतौर पर अनुशंसित परीक्षण हैं।


ओव्यूलेशन परीक्षण(Ovulation testing) – यह एक रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जाता है जो यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आप ओवुलेट कर रहे हैं या नहीं।


इमेजिंग परीक्षण(Imaging tests) – अक्सर, अंडाशय और गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं उन समस्याओं में योगदान कर सकती हैं जिनके लिए एक जोड़ा गर्भ धारण करने में विफल रहता है। इसलिए, पैल्विक अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग परीक्षणों को मुख्य रूप से यह पहचानने की सिफारिश की जाती है कि क्या महिलाओं के गर्भाशय या अंडाशय में कोई असामान्यता है।


ओवेरियन रिजर्व के लिए परीक्षण(Test for ovarian reserve) – यह परीक्षण ओवुलेशन के लिए आपके अंडाशय में उपलब्ध अंडों की संख्या निर्धारित करने में डॉक्टर की मदद कर सकता है। आपके डिम्बग्रंथि रिजर्व का मूल्यांकन करने के लिए, आईवीएफ विशेषज्ञ आपको अपने मासिक धर्म की शुरुआत में अपने हार्मोन का परीक्षण करने की आवश्यकता हो सकती  है। यदि डॉक्टर को आपके डिम्बग्रंथि रिजर्व से जुड़ी कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो डॉक्टर उपचार की एक वैकल्पिक लाइन का उपयोग करेंगे।


आईयूआई ट्रीटमेंट की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझें

चरण 1: आईयूआई ट्रीटमेंट से पहले परामर्श (Counseling before IUI treatment) – हम समझते हैं कि किसी भी अन्य प्रजनन उपचार(फर्टिलिटी ट्रीटमेंट) की तरह, आईयूआई भी एक संवेदनशील प्रक्रिया है जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से थका देने वाली हो सकती है। इसलिए, प्रिस्टीन केयर में, हम पूरी तरह से परामर्श के साथ इलाज शुरू करते हैं, जिसके बाद डॉक्टर उपचार प्रक्रिया की योजना बनाते हैं।


चरण 2: डिम्बग्रंथि उत्तेजना (Ovarian stimulation) – महिला साथी के मासिक धर्म चक्र के दूसरे दिन डिम्बग्रंथि उत्तेजना शुरू होती है। बांझपन विशेषज्ञ ओव्यूलेशन को प्रोत्साहित करने के लिए मौखिक दवाएं देंगे और फिर अंडाशय में अंडे के उत्पादन की अच्छी तरह से निगरानी करेंगे। ओव्यूलेशन उत्तेजना महिला के शरीर में दवाओं को इंजेक्ट करके भी की जा सकती है। 8-12 दिनों के लिए मौखिक दवाओं की सिफारिश की जाती है और अंडाशय की प्रतिक्रिया के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। दूसरी ओर, शरीर के उन हिस्सों में इंजेक्शन दिए जाते हैं जिनमें अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में वसा होती है, जैसे कि पेट


चरण 3: ओव्यूलेशन निगरानी (Ovulation monitoring) – डिम्बग्रंथि उत्तेजना के बाद, आईयूआई विशेषज्ञ रोम के विकास की निगरानी करता है। डिम्बग्रंथि के रोम के विकास का आकलन करने के लिए डॉक्टर हार्मोन परीक्षण और अल्ट्रासाउंड करेंगे। ओव्यूलेशन को ट्रैक करने से डॉक्टर को सबसे अच्छी तारीख तय करने में मदद मिलती है जब आप सर्वोत्तम संभव परिणामों के लिए अपना आईयूआई फर्टिलिटी ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं।


चरण 4: ओव्यूलेशन ट्रिगर (Ovulation trigger) – जब ओवेरियन फॉलिकल शेव विकसित हो जाती है और वांछित आकार और आकार तक पहुंच जाती है, तो महिला को ओव्यूलेशन को ट्रिगर करने के लिए एचसीजी इंजेक्शन दिया जाता है। ओव्यूलेशन आमतौर पर ट्रिगर शॉट के 36 घंटे बाद होता है।


चरण 5: शुक्राणु संचयन (Sperm harvesting) – आईयूआई ट्रीटमेंट के लिए, दंपति और डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि ताजा शुक्राणु या जमे हुए शुक्राणु का उपयोग करना है या नहीं। यदि दंपत्ति ताजा शुक्राणु का उपयोग करने का निर्णय लेते हैं, तो पुरुष साथी या दाता को इसे फर्टिलिटी क्लिनिक में हस्तमैथुन करके पेश करना चाहिए। यदि दंपति फ्रोजन का उपयोग करने का निर्णय लेते हैं, तो वे आस-पास के किसी भी बांझपन उपचार प्रयोगशाला से संपर्क कर सकते हैं। जमे हुए शुक्राणु को डीफ्रॉस्ट किया जाता है और फिर उपचार के लिए उपयोग करने से पहले अशुद्धियों को दूर करने के लिए धोया जाता है।


चरण 6: शुक्राणु का सम्मिलन (Insertion of sperm )– एक बार जब महिला डिंबोत्सर्जन करती है और शुक्राणु सभी अशुद्धियों और गंदगी से धुल जाता है; महिला साथी के गर्भाशय में शुक्राणु को प्रत्यारोपित करने के लिए डॉक्टर एक पतली, लचीली कैथेटर का उपयोग करता है। आईवीएफ के विपरीत, आईयूआई में कोई दर्दनाक कदम शामिल नहीं है। हालांकि, कैथेटर डालने से महिला को हल्की ऐंठन और बेचैनी महसूस हो सकती है।


चरण 7: गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy test) – यह आईयूआई ट्रीटमेंट का अंतिम चरण है, जिसमें डॉक्टर यह जांचता है कि उपचार सफल हुआ है या नहीं। यह परीक्षण शुक्राणु को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने के दो सप्ताह बाद किया जा सकता है। यदि गर्भावस्था सफल नहीं होती है, तो डॉक्टर पूरी प्रक्रिया को दोहरा सकता है या उपचार की दूसरी पंक्ति सुझा सकता है।