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चांद की दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिये आज लांच होगा चंद्रयान-3,यहां उतरने वाला पहला देश होगा भारत,चंद्रयान-3 पर टिकी दुनिया की निगाहें



श्रीहरिकोटा।। भारतवासी जिस शुभ घड़ी का इंतजार कर रहे थे, आखिर वह आ ही गई। चन्द्रमा पर पहुंचने का अपना अधूरा सपना पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 आज उड़ान भरेगा। यह देश के लिये एक ऐतिहासिक क्षण होगा।चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। अब दुनिया की निगाहें इस मिशन पर टिकी हुई हैं।

              चौथा देश बन जायेगा भारत 

 चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की महारत हासिल की है। इसरो ने कहा कि 'चंद्रयान-3' के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उल्टी गिनती बृहस्पतिवार को शुरू हो गई।चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को इसरो के ऑफिशियल वेबसाइट पर लाइव देखा जा सकेगा। इसके अलावा, दूरदर्शन पर भी इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा।

   

चंद्रयान -2 का अगला चरण है चंद्रयान -3

 चंद्रयान-3 वर्ष 2019 के 'चंद्रयान-2' का ही अगला चरण है। उस अभियान में जो लक्ष्य हासिल करने से भारत चूक गया था, उसे 23 अगस्त को चंद्रयान की चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग से पूरा कर लेगा। चंद्रयान-3 को आज दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा।चंद्रयान-3 को एलवीएम-3 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसे श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के अनुसार, अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी। आपको बता दें कि यह चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान -2 का अनुवर्ती मिशन है। इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन है।





       क्या है चंद्रयान 3 मिशन?


चंद्रयान 3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप मिशन है। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 के जरिए इस मिशन को हासिल करने की कोशिश की थी। हालांकि, इस मिशन में सफलता नहीं मिली थी, जिसके बाद चंद्रयान-3 की बात सामने आई और अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होने वाली है। आपको बता दें कि चंद्रयान का लैंडर विक्रम चंद्रमा पर लैंड करने से पहले ही कुछ किमी की ऊंचाई पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दौरान लैंडिंग साइट से संपर्क टूटने के कारण लैंडिंग सफलतापूर्वक नहीं हो पाई थी।इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि हम इस बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होंगे और भारत को बड़ी कामयाबी हासिल होगी।


    चंद्रयान-3 के लैंडर में 4, रोवर में लगे हैं 2 पेलोड

चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 पेलोड हैं, जबकि 6 चक्के वाले रोवर में 2 पेलोड हैं। ये सभी अत्याधुनिक उपकरण चंद्रमा के कक्ष से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवमिति माप का अध्ययन करेंगे। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम देने का फैसला किया है, जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम थे। चंद्रयान -3 के लैंडर का नाम विक्रम ही होगा, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान होगा।


       चांद की दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान -3


दुनिया के जितने भी देशों ने अभी चंद्रमा पर अपने यान भेजे हैं, उन सभी की लैंडिंग चांद के उत्तरी ध्रुव पर हुई है, लेकिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे वाला चंद्रयान -3 पहला अंतरिक्ष मिशन होगा। आपको बता दें कि चंद्रयान-2 को भी इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही लैंड कराया था, लेकिन आखिरी चंद मिनटों में संपर्क टूटने मिशन नाकाम हो गया था। इस बार चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं, एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग साइट को ‘डार्क साइड ऑफ मून’ कहा जाता है क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।


      दक्षिणी ध्रुव में है यह प्राइमरी लैंडिंग साइट


चंद्रयान-3 मिशन की यह खतरनाक लैंडिंग साइट चांद के दक्षिणी ध्रुव में स्थित है। खास बात ये हैं कि चांद के दक्षिणी ध्रुव की टेक्टॉनिक प्लेट काफी सक्रिय है और यहां लगातार भारी भूकंप आते रहते हैं। ऐसे में मन में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिरी इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट के रूप में ऐसी खतरनाक जगह का चुनाव क्यों किया। दरअसल वैज्ञानिकों को उम्मीद है अंधकार में डूबे चांद के इस इलाके में भारी मात्रा में बर्फ जमा हो सकती है। दुनिया के अन्य विकसित देश की चांद के इस हिस्से का बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं और अभी तक यहां किसी भी अपना यान नहीं भेजा है।