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जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में वीरेंद्र सिंह ‘धुरान’ का अवदान” विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन




डॉ सुनील कुमार ओझा

बलिया।।जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ,बलिया के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में मंगलवार दिनांक 4 अप्रैल को “भोजपुरी लोक संस्कृति एवं लोकगायन परम्परा :वीरेंद्र सिंह ‘धुरान’ का अवदान” विषयक संगोष्ठी का आयोजन  चंद्रशेखर नीति अध्ययन केंद्र एवं शोधपीठ के तत्वावधान में किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो.सुरेश शर्मा, निदेशक, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र , प्रयागराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोक कलाओं का संरक्षण केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नही है बल्कि यह हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है । उत्तर प्रदेश की इतनी सशक्त लोक गायन परम्परा नारदीय शैली अगर उपेक्षित है तो इसके पीछे हमारी रागात्मकता में कमी रही है  ।हमने लोक से जुड़ाव नही रखा ।

 मुख्य वक्ता  बृजमोहन प्रसाद ‘अनारी’ ने धुरान के व्यक्तित्त्व और कृतित्व का विस्तृत परिचय दिया और कहा की धुरान जी लोक परम्परा के व्यास थे । नारदीय शैली के नामकरण के संदर्भ में आपने कहा कि सभी धार्मिक ग्रंथों में नारद एक सूत्रधार के रूप में मिलते है जिसके आधार पर किसी भी धार्मिक कथा का गायन हो सकता है। इसलिए कथा गायन की शैली को नारदीय शैली कहा गया है  ।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलपति प्रो.कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि बलिया का एक समृद्ध सांस्कृतिक अतीत रहा है। उस परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय कृतसंकल्पित है । आज का यह आयोजन उसी शृंखला की एक कड़ी है जिसके अंतर्गत धुरान की गायकी  परम्परा  को हम संरक्षित करने का प्रयत्न करेंगे ।








     इस अवसर पर उतर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज और जेएनसीयू.बलिया के मध्य एम.ओ.यू. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए । इस एम.ओ.यू. के द्वारा दोनों संस्थान लोक साहित्य, लोक संस्कृति एवं लोक परम्परा के संरक्षण और संवर्धन के लिए मिलकर काम करेंगे । कार्यक्रम के अंत में धुरान के शिष्यों उपेन्द्र यादव,तारकेश्वर ठाकुर एवं अक्षयवर एवं छाई पाण्डेय द्वारा धुरान जी के गाये शिव विवाह ,चैता,देशभक्ति आदि की प्रस्तुति की गयी ।इस अवसर पर धुरान के पुत्र निर्भय नारायण सिंह और सभी कलाकारों को कुलपति द्वारा सम्मानित किया गया ।



उक्त कार्यक्रम में स्वागत एवं बीज वक्तव्य प्रवीण नाथ यादव , संचालन प्रमोद शंकर पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो.अशोक कुमार सिंह, निदेशक शोधपीठ द्वारा किया गया । इस अवसर पर कुलसचिव,एस.एल.पाल, निदेशक,शैक्षणिक डॉ.पुष्पा मिश्रा, प्रो.प्रतिभा त्रिपाठी, प्रो.फूलबदन सिंह, प्रो.निवेदिता श्रीवास्तव, आशीष त्रिवेदी, परिसर के प्राध्यापकगण, विद्यार्थीगण एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिकगण उपस्थित रहे  ।इसकी सूचनाडॉ.प्रमोद शंकर पाण्डेय जनसम्पर्क अधिकारी,जेएनसीयू ,बलिया ने दी।