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टीबी मरीजों को आप बीती सुनाकर कर रहे जागरूक :टीबी से डरने की नहीं, बल्कि लड़ने की जरूरत



बलिया।।अगर आप जागरूक होंगे और अन्य लोगों को क्षय रोग के बारे में बताएंगे तभी इस बीमारी के खिलाफ क्रांति आएगी और वर्ष 2025 तक जनपद समेत पूरा देश क्षय रोग मुक्त होगा। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं बलिया के टीबी चैंपियन उमेश राजभर और राकेश गुप्ता। कभी वह खुद टीबी ग्रस्त थे और जिंदगी से निराश हो चुके थे, लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी मुक्त कर लिया। अब वह चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए अन्य लोग भी इससे निजात पाएं। इसी उद्देश्य के साथ वह समाज में जागरूकता फैला रहे हैं।






जिले के सोनवानी निवासी उमेश राजभर को मई 2022 में लगातार खांसी के साथ सीने में दर्द होता था। दो हप्ते से ज्यादा खांसी होने पर जांच में टीबी की पुष्टि हुई तो परिवार और आस-पास के लोगों की सोच और नजरिया बदलने लगा। उमेश राजभर  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनवानी गए और वहां से नियमित दवाएं लेने लगे। टीबी से पूरी तरह ठीक होने के बाद उन्होंने टीबी मरीजों का दर्द सुनकर संकल्प लिया कि वह इस रोग के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। अब सोनवानी ब्लॉक में रहने वाले टीबी के मरीजों की सेवा करने पर स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें टीबी चैंपियन के नाम से सम्मानित किया है। उमेश राजभर कहते हैं कि शुरू में उनके काम पर लोग ध्यान नहीं देते थे लेकिन अब सलाह लेने आते हैं। मैंने संकल्प किया है कि अब मुझे जनसमुदाय में टीबी मरीजों को जागरूक कर उन्हें स्वस्थ बनाना है।

सिकंदरपुर ब्लॉक के गांव भाटी निवासी राकेश गुप्ता  को अप्रैल 2022 से लगातार खांसी आने, सीने में दर्द की शिकायत हुई थी। जब उन्होंने इसकी जांच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिकन्दरपुर टीबी अस्पताल में कराया तो वहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। वहां से दवाएं मिलीं और निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत सरकार से आर्थिक सहायता भी मिली। ठीक होने के पश्चात खुद का उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि दवा खाना न छोड़ना। 

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार ने बताया कि जिले में अभी 3169 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। इसमें से 100 एमडीआर टीबी के रोगी हैं। जनवरी 2022 से अब तक कुल 6616 टीबी रोगी नोटिफाई किये जा चुके हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत अभी तक 13573 क्षय रोगियों को 3.82 करोड़ राशि से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।

जिला पीपीएम समन्वयक विवेक सिंह ने बताया कि जोड़ों का दर्द, वजन कम होना, थकान, लगातार हल्का बुखार रहना टीबी के संकेत हो सकते हैं। टीबी की पुष्टि होने पर पौष्टिक आहार के लिए उसके बैंक खाते में निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि टीबी का उपचार लंबा होता है इसलिए रोगी को बीच में इसका उपचार छोड़ना नहीं चाहिए।

बचाव के लिए क्या करें- 

● लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं।

● एक्स-रे कराएं। 

● चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें।

● घरों में साफ-सफाई रखें। 

● बीमार व्यक्ति मुंह पर रुमाल लगाकर चले।

● इसका इलाज जिले में स्थिति टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के ट्रीटमेंट सपोर्टर पर होता है। वहां से दवाएं ले सकते हैं।

● एक बार बीमारी हो जाए तो जब तक डॉक्टर न कहें, दवा न छोड़ें ।

● इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना खाएं। एक्सरसाइज करें, योग करें ।

● पोषण से भरपूर सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि खूब खाएं।