Breaking News

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान के प्रति किया गया जागरूक








●10 फरवरी से चलेगा एमडीए अभियान

●स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे दवा 

बलिया।।जिले में फाइलेरिया से बचाव और इसमें सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर अनेक प्रयास जारी हैं। इसी कड़ी में बुधवार को जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव के अध्यक्षता में सरस्वती शिशु मंदिर जगदीशपुर शहरी क्षेत्र में 300 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक को एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन तथा फाइलेरिया रोग के कारण, लक्षण, बचाव आदि के बारे में जागरूक किया गया ।

कार्यक्रम में पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक संजय सिंह ने फाइलेरिया दवा सेवन का संकल्प दिलाया। इस दौरान बायो लॉजिस्ट हेमंत कुमार एवं फाइलेरिया निरीक्षक शशी कुमार सिंह टीम के साथ उपस्थित रहे एवं प्रचार-प्रसार सामग्री वितरित की। इसी कड़ी में दुबहड़ ब्लॉक मे स्थित महावीर नर्सिंग स्कूल में प्रशिक्षणरत जीएनएम, एएनएम एवं स्टाफ को जिला मलेरिया अधिकारी एवं पीसीआई के अर्पित कुमार श्रीवास्तव ने एमडीए अभियान एवं फाइलेरिया के कारण, लक्षण, बचाव आदि के बारे में जागरूक किया । मलेरिया निरीक्षक सुशील कुमार यादव एवं वरुण कुमार यादव ने कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय हरिपुर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर छात्र छात्राओं को फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन के प्रति जागरूक किया। 

   मंगलवार को ब्लॉक बेरूआरबारी के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक विद्यालय (कंपोजिट) भरखरा में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सीफार संस्था ने जन जागरूकता गोष्टी एवं रैली निकाली गई। फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य विजय राजभर ने कहा कि सिर्फ दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाने के लिये दवा का सेवन करना है।



उन्होंने बताया कि जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी होते हैं उनमें दवा खाने के बाद चक्कर आना, जी मितलाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन घबराना नहीं हैं। कुछ समय बाद ठीक हो जायगा। इसके बाद भी अगर कोई दिक्कत लगती है तो अपने क्षेत्र की रैपिड रिस्पॉन्स (आरआरटी) से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्यकर्मी या स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।







जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने कहा कि आमतौर पर शुरुआती दिनों में फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण आने में 10 से 15 साल लग जाते है। जिसमें पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) आने लगती  हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमा न होने दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। उन्होंने अपील की कि साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन करें। जिससे बीमारी से बचाव हो सके।