Breaking News

जिले में 10 फरवरी से शुरू होगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम ( एमडीए)



इस कार्यक्रम के तहत घर-घर जाकर खिलायी जायेगी फाइलेरिया से बचाने की दवा

 स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपने सामने खिलाई जाएगी फाइलेरिया की दवा 

बलिया।।जिले में 10 फरवरी से 27 फरवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू हो रहा है। इस अभियान के अन्तर्गत सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने  खिलायेगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। इस अभियान को सहयोगी संस्थाओं सीफार, डब्ल्यूएचओ,पाथ, पीसीआई के साथ समन्वय स्थापित करते हुए सफल बनाया जाएगा। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने दी।

डीएमओ ने बताया कि जनपद में अब तक कुल फाइलेरिया के 1699 मरीज हैं। इन मरीजों में हाइड्रोसील के 277 और लिम्फोडीमा के 1422 मरीज हैं। जिसमें हाइड्रोसील के 277 मरीजों में से 80 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। लिम्फोडीमा के 1422 मरीजों में से 1186 मरीजों में एमएमडीपी किट का वितरण हो चुका है।

उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। साथ ही रक्तचाप,शुगर, अर्थराइटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवायें खानी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जो की दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि साल में केवल एक बार फाइलेरिया रोधी दवा खाने से फाइलेरिया के संक्रमण से बचा जा सकता है।








जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन  और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता  जैसी स्थिति बन जाती है । प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक एवं कठिन हो जाता है,यह एक लाइलाज बीमारी है।   

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे कईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। 

            पिछले अभियान की उपलब्धि

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया की पिछले वर्ष 2021 मे इस अभियान( एम डी ए) में जिले की कुल जनसंख्या 3359474 थी। एम डी ए हेतु लक्षित जनसंख्या 2879845 थी। 22 नवम्बर से 7 दिसंबर 2021 तक एम डी ए अभियान चला। इस अभियान के तहत 2422683 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी।माप अप राउंड 13 दिसंबर से 18 दिसंबर 2021 तक चला ।मापअप राउंड के दौरान 58215 लोगो की दवा खिलाई गयी | कुल 2480898 लोगो को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी जो लक्षित जनसँख्या का 86.15 प्रतिशत थी।