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नीलेश वर्मा के खिलाफ जांच पर सत्या सिंह ने उठाया सवाल, कहा - इसके शहरी स्वास्थ्य मिशन मे रहते नही हो सकती है निष्पक्ष जांच, बचाने का डीपीएम पर लगाया गंभीर आरोप


 

बलिया : जनपद के स्वास्थ्य विभाग मे स्वास्थ्य मिशन (शहरी) बलिया का डाटा कम लेखा सहायक नीलेश कुमार वर्मा को डीपीएम डॉ आरबी यादव और सीएमओ डॉ जयंत कुमार ने जिला समन्वयक (शहरी स्वास्थ्य मिशन ) बनाकर महिला कर्मचारी संगठनों की बार बार शिकायत को नजरअंदाज  करके भविष्य मे आंदोलन के लिये आधारशीला रख दी है। बता दे कि चर्चित नीलेश कुमार वर्मा जिसकी संविदा के तहत डाटा कम लेखा सहायक के पद पर नियुक्ति है, सन 2018 से ही विवादों मे है। इसकी दबंगई का आलम यह है कि यह शहर मे चल रही दो अर्बन पीएचसी काजीपुरा और बेदुआ के प्रभारी चिकित्साधिकारीयों की उपस्थिति भी सीन करता है जबकि इसका पद तृतीय श्रेणी के कार्मिक का भी नही है। यह सब डीपीएम डॉ आरबी यादव की शह पर करता है क्योंकि बिना इसके द्वारा उपस्थिति सीन करके डीपीएम को व्हाट्सअप किये चिकित्सक की हाजिरी डीपीएम मान्य नही करते है। यही नही इसके ही आतंक से जिला समन्वयक (शहरी स्वास्थ्य मिशन ) ने यहां से जाना ही मुनासिब समझा। आज यही जिला समन्वयक (शहरी स्वास्थ्य मिशन ) भी बनकर महिला कार्मिको को और उत्पीड़न कर रहा है।
मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश की जिलाध्यक्ष सत्या सिंह ने मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ जयंत कुमार और डीपीएम पर नीलेश वर्मा के खिलाफ जाँच को प्रभावित करने और बचाने का गंभीर आरोप लगाया है। सत्या सिंह ने आरोप लगाया है कि जब महिला कर्मचारी संघ के शिकायती पत्र पर माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से जाँच आयी हुई है और जिसकी जांच जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्र द्वारा की जा रही है तो फिर कैसे डीपीएम और सीएमओ ने नीलेश वर्मा को पद से हटाना तो दूर उसको जिला समन्वयक (शहरी स्वास्थ्य मिशन ) का पद देकर महिमा मंडित किया है। सत्या सिंह ने आरोप लगाया है कि नीलेश वर्मा इस पद की आड़ मे सभी आशाओं और एएनएम को हड़का रहा है। ऐसे मे निष्पक्ष जांच होनी संभव नही दिखती है।
सत्या सिंह ने कहा कि 2018 और 2020 मे जब इसकी संविदा समाप्त करने की संस्तुति तत्कालीन दोनों सीएमओ द्वारा की गयी थी तो इसको आज तक बचाया क्यों गया है। सत्या सिंह ने नीलेश को बचाने का आरोप सीधे सीधे डीपीएम डॉ आरबी यादव पर लगाते हुए कहा है कि इस बार भी यही जांच को प्रभावित कर रहे है। कहा कि अगर तत्काल नीलेश वर्मा को शहरी क्षेत्र के प्रभार से हटाया नही जाता है तो शीघ्र ही जनपद भर की महिला कर्मचारियों द्वारा सीएमओ और डीपीएम के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया जायेगा, जिसकी जिम्मेदारी सीएमओ बलिया की होगी।



 बता दे कि नीलेश वर्मा पहली बार चर्चा मे नहीं आया है, यह 2018 से ही चर्चाओं मे है। ज़ब इसके खिलाफ अर्बन पीएचसी  की दो आशाओ ने आरोप लगाया था की यह मानदेय भुगतान के लिए शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बना रहा है। पीड़ित आशाओ ने इस बात की शिकायत जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, मुख्यमंत्री, मिशन निदेशक, प्रधानमंत्री से लगायत महामहिम राष्ट्रपति से भी की थी। इनकी शिकायतों पर जांचोपरान्त तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसपी राय ने नीलेश वर्मा की संविदा को निरस्त करने की संस्तुति भी मिशन निदेशक से की थी। मुख्य चिकित्साधिकारी ने इस बात को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक मे भी 12 दिसंबर 2018 को उठाते हुए अपनी लिखित सहमति जिला स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष /जिलाधिकारी को दी थी। जहां से सुधरने का एक मौका मिलना इसके और बिगड़ने का कारण बन गया। इसकी शिकायत तत्कालीन व वर्तमान जिला शहरी समन्वयक के द्वारा बार बार करने के बावजूद डीपीएमयू  के द्वारा भी चुप्पी साधे रहना एक तरह से नीलेश वर्मा को मौन सहमति ही दर्शाता है। महिला जिलाधिकारी के होने के बावजूद ऐसी हरकत का होना इसकी उच्ची पहुँच को दर्शाता है.इसकी अभद्र टिप्पड़ियों से ए एन एम और आशाएं शर्म से पानी पानी हो जा रही है।











अब तो आलम यह है कि आशाओं के साथ साथ अब 6 एएनएम भी इसकी लिखित शिकायत मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ की अध्यक्ष सत्या सिंह से कर के मदद की गुहार लगायी है. इस संबंध मे बलिया एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए अध्यक्ष सत्या सिंह ने कहा की नीलेश वर्मा की हरकतें अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी है. इसके द्वारा किये जा रहे घोटालो और महिला कर्मियों के साथ किये जा रहे दुर्व्यवहार, महिला कर्मियों के मानदेय को बिना कारण के कई कई माह तक रोकने की शिकायते बहुत आ चुकी है. अब इन शिकायतों को लेकर हमारा एक प्रतिनिधि मण्डल मुख्य चिकित्साधिकारी और जिलाधिकारी से मिलने वाला है और महिलाओ के प्रति गन्दी सोच रखने वाले के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की जाएगी.


दुर्व्यवहार इत्यादि की शिकायतें संगठन को समय- समय पर लगातार प्राप्त हो रही है जिससे कर्मियों में आक्रोश और डर है, परन्तु विभागीय उच्चाधिकारियों से बार-बार लिखित एवं मौखिक निवेदन के बाद भी कोई कठोरतम कार्यवाही नहीं किया जाना कई यक्षप्रश्न खड़ा कर रहा है। इनकी शिकायतें नीचे निम्नवत् है:


1. इनके द्वारा निजी हित में अक्टूबर 2017 से नगरीय प्राथमिक स्वा0 केन्द्र बेदुआ, बलिया का किराया रू0 7500/- से बढ़ाकर अनावश्यक रूप से रू0 15000/- कर दिया गया है जो सीधे दो गुना बढ़ोत्तरी है। 

2. इनके द्वारा शहरी आशाओं के देयकों के भुगतान के बदले में अवैध धन वसूली की शिकायतें लगातार प्राप्त होती रहती है। 


3. इनक द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी के आदेशों के बाद भी पूर्व मं तैनात कर्मचारियों डा० शिल्पा गुप्ता एवं श्री अरविन्द वर्मा के वर्षों पुराने देयकों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। 


4. इनके खराब क्रिया कलापों व अवैध धन उगाही, मनमानी काम करने व जिलास्तरीय अधिकारियों की अवहेलना करने तथा लोकल राजनैतिक दबाव बनाने आदि प्रवृत्ति के कारण श्रीमान् मिशन निदेशक एनएचएम, उ0प्र0 के द्वारा अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति बलिया को कठोर कार्यवाही हेतु आदेश निर्गत किया गया है, परन्तु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। 


5. इनके द्वारा शहरी आशाओं एवं ए0एन0एम0 की सेवा समाप्त करने व धमकाने एवं महिलाओं के साथ गलत आचरण की शिकायतें संगठन को लगातार प्राप्त हो रही है। 


6. दिनांक 24.11.2018 को जिला स्वास्थ्य समिति के निर्णय के क्रम में दिनांक 13.12. 2018 को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में इनके खराब प्रगति एवं क्रिया कलापों के कारण, समिति के सचिव/ सीएमओ बलिया द्वारा सेवा समाप्त हेतु प्रस्तुत पत्रावली पर समिति के अध्यक्ष/ जिलाधिकारी बलिया द्वारा इनकी "सेवा समाप्ति की कार्यवाही की मंजूरी प्रदान नहीं किया जाना "यक्ष प्रश्न" खड़ा करते हुए इनके मनोबल को बढ़ावा दिया जाना प्रतीत हो रहा है। जिलाधिकारी बलिया द्वारा सुधरने का एक अवसर प्रदान किये जाने के चेतावनी पत्र के बाद भी इनके कार्य व व्यवहार में कोई सुधार परिलक्षित नहीं हो रही है। 


7. इनके द्वारा राजकीय कार्यों में रूचि नहीं लेने एवं खराब व्यवहार के सम्बन्ध में इनके उच्चाधिकारियों श्री सुरेश कुमार, मण्डलीय अर्बन हेल्थ कन्सलटेन्ट एवं श्री अरविन्द कुमार वर्मा जिला शहरी स्वास्थ्य समन्वयक द्वारा वसूली करके जानबूझकर भुगतान नहीं करने, गुमराह करने कार्यालय में अनुपस्थित रहने एवं साजिश करने आदि की शिकायतें उच्चाधिकारोिं से बार-बार की जा चुकी है, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई है। 


8. मुख्य चिकित्साधिकारी, बलिया द्वारा भी कई बार मिशन के कार्यक्रमों में खराब प्रगति के कारण चेतावनी पत्र जारी किया जा चुका है। परन्तु कोई परिवर्तन नहीं है। 


9. इनके द्वारा अपने मूल कार्यों में रूचि नहीं लिया जाता है, और नहीं समय से जाता है, परन्तु ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लेखा एवं वित्तीय कार्यों में अधिक रूचि पूरा किया ली जाती है, कारण यह है कि शहरी अरबन, स्वास्थ्य मिशन, बलिया का कार्यालय इनके द्वारा ग्रामीण अंचल ग्राम सभा तिखमपुर में चलाया जाता है। शहरी अरबन की संविदा महिला कर्मचारियों एवं आशाओं को ग्रामीण क्षेत्र में बुलाया जाता है, जो शासनादेश के विपरीत है। इनके द्वारा वेण्डरों के साथ मध्यस्थता की जाती है तथा अवैध कमीशन की बात की जाती है।

अध्यक्ष सत्या सिंह ने कहा की अगर जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी की तरफ से नीलेश वर्मा के खिलाफ कठोर कार्यवाही, एएनएम और आशाओं का आकरण रोका हुआ मानदेय तत्काल नहीं दिया जाता है तो महिला कर्मचारी एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगी।