सीएमओ बलिया की नजर मे सैनी प्रकरण एक विवाद,पेश है पड़ताल
मधुसूदन सिंह
बलिया।। लगातार वर्षो अनुपस्थित रहकर वेतन लेने का प्रकरण सीएमओ बलिया डॉ जयंत कुमार की नजर मे कोई अपराध नही है बल्कि यह एक विवाद है। जिला उप क्षय अधिकारी का यह दायित्व है कि वह अपने मातहत कर्मियों की उपस्थिति और किये गये कार्यों की जांच करें। अगर डॉ साकेत बिहारी ने यह काम किया है तो फिर विवाद क्या है? इससे तो यही साबित होता है कि सीएमओ साहब शांतिप्रिय व्यक्तित्व के अधिकारी है, ये गांधी जी के तीन बंदरो वाली कहानी के अनुरूप कार्य करते है। यानी अगर कही गलत हो रहा तो आंख बंद कर लीजिए, कुछ दिखेगा ही नही। अगर कोई गलत बोल रहा है तो अपने दोनों कानों को बंद कर दीजिये, कुछ सुनाई देगा ही नही। अगर कोई आपको बुरा कहता भी है तो अपने मुंह को बंद कर लीजिए, न कुछ बोलेंगे और कोई विवाद होगा।
ऊपर आपने सीएमओ साहब के बयान सुने है। साहब को बिना ड्यूटी किये वेतन लेने वाला प्रकरण साधारण बात है, साहब को तो इस बात से टेंशन है कि उप क्षय रोग अधिकारी ने विनोद सैनी को अनुपस्थित दिखाकर वेतन रोकने का आदेश क्यों करा दिया। अगर अनुपस्थित कर्मचारी को अनुपस्थित कहना विवाद है तो यह अपराध तो डॉ साकेत बिहारी ने किया है, इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये क्योंकि सारे विवादों की जड़ यही है। डॉ साकेत बिहारी का ही तबादला होना चाहिये, इतने संवेदनशील व्यक्ति को ऐसी जगह नियुक्ति मिलनी ही नही चाहिये, जहां कुछ गड़बड़ झाला हो।
विनोद कुमार सैनी के संबंध मे यह भी बता दूं कि कोरोना की पहली लहर जब मार्च 2020 मे शुरू हुई थी और सभी कर्मचारियों की जांच की गयी थी, तब भी विनोद कुमार सैनी काफ़ी दिनों से अनुपस्थित पाये गये थे और ये पूरे कोरोना काल तक अनुपस्थित ही रहे। विनोद सैनी की अनुपस्थिति को संज्ञान मे लेते हुए तत्कालीन सीएमओ डॉ पीके मिश्र ने तत्काली अवस्थापना लिपिक को विनोद कुमार सैनी के खिलाफ शासन को पत्र भेजनें का आदेश दिया था।
सीएमओ साहब तो जांच के पहले ही विनोद सैनी को बेगुनाह समझते है तभी तो लेखा जैसा महत्वपूर्ण पटल सौपे है। लेकिन बलिया एक्सप्रेस की पड़ताल लखीमपुर खीरी से बहराइच तक के कनेक्शन को उजागर करने तक जारी रहेगी। यह पाठको के सामने लाया जायेगा कि आखिर सीएमओ को विनोद सैनी से क्यों है इतना प्यार?



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