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आज ही के दिन परगना अधिकारी की कुर्सी पर जानकी देवी ने किया था कब्जा



मधुसूदन सिंह

बलिया।। आज का दिन बलिया के इतिहास मे स्वर्ण अक्षरों मे अंकित है। आज ही के दिन बलिया की मातृ शक्तियों ने वीरांगना जानकी देवी के नेतृत्व मे अंग्रेज अधिकारियो और जजों को भागने पर मजबूर कर अंग्रेजो को अपनी शक्ति का एहसास कराया था। या यूँ कहे कि गुलाम भारत मे बलिया की मातृ शक्ति जानकी देवी ने परगना अधिकारी को भगा कर खुद उसकी कुर्सी पर बैठकर बलिया के पराक्रम के इतिहास को आकाश पर पहुंचाने का काम किया।

13 अगस्त सन् 1942 तक जिले में एक छोर से दूसरे छोर तक आन्दोलन का वातावरण पूर्ण रूप से तैयार हो गया था। बलिया शहर में 12 अगस्त की छात्रों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष, छात्रों की पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई और 30 छात्रों की गिरफ्तारी की घटनाओं को देखते हुए 13 अगस्त को महिलाओं ने जुलूस का नेतृत्व किया । श्री भृगुराम कुर्मी (पटेल )ने अपने घर की सभी महिलाओं जिसमें उनकी स्त्री तथा पुत्रियाँ थीं जलूस में भेज दिया। जुलूस कचहरी नारे लगाते हुए पहुंचा। जहाँ महिलाओं ने अदालतों में नारा लगाया ।





1942 की अगस्त क्रांति मे 13 अगस्त 1942 को वीरांगना जानकी देवी अपनी माँ धूपरानी देवी बहन गायत्री देवी के साथ ब्रिटिश सरकार के दमन के विरुद्ध जुलुस निकाल कर जजी कचहरी पर तिरंगा फहराने और जज साहब को चूडियां भेंट कर कुर्सी छोड़ने के लिए विवश कर दिया। यही नही जानकी देवी ने परगनाधिकारी बलिया की कुर्सी पर कब्जा करके बैठने का भी काम किया। वीरांगना जानकी देवी का जन्म बलिया शहर के ओक्डेनगंज मुहल्ले के अवधिया कुर्मी (पटेल) परिवार में श्री भृगु राम की पुत्री के रूप मे हुआ था। इनके पति का नाम श्री देवनाथ राय था ।



वीरांगना जानकी देवी और इनकी टोली की महिलाओ ने उस समय आंदोलन किया ज़ब ब्रिटिश हुक्मरानो के द्वारा छात्रों और आंदोलनकारियों पर बर्बर तरीके से अत्याचार करके आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा था और जिले के सभी बड़े नेता ठाकुर जगन्नाथ सिंह, श्री राधामोहन सिंह, श्री चित्तू पांडे, श्री महानन्द मिश्र आदि जेल मे बंद कर दिए गये थे।

इसी दिन सायंकाल कांग्रेस कार्यालय से ताले तोड़ कर सभी कागजात निकाल लिये गये जहाँ पुलिस पहरा दे रही थी। कुछ कागजात नष्ट कर दिये गये जिसमें कांग्रेसजनों का नाम था। बांसडीह तहसील में संगठन का कार्य फौजी तरीके पर किया गया था। लोगों को यह बतला दिया गया था कि जब कभी शंख और नगाड़े की आवाज सुने तो लोग इसे खतरे की सूचना समझें और अपने-अपने हथियारों को लेकर बाहर निकल आावें ।

 13 अगस्त को ही बाँसडीह थाने का एक सिपाही कोडर गांव पहुंचा। वहाँ के मण्डल के सभापति ने उस सिपाही को पकड़वा माँगा और उसे 24 घंटे की सजा दी । उसे यह हिदायत दे कर छोड़ दिया गया कि बिना मेरी आज्ञा के इस गाँव में कभी प्रवेश न करना । खेजुरी मंडल के कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने मंडल कार्यालय का ताला तोड़ कर झंडा फहरा दिया, जिस पर पुलिस ने कब्जा किया था । इस सम्बन्ध में इन्द्रजीत तिवारी, नन्दलाल शर्मा, केदारनाथ राम आदि 6 व्यक्ति पकड़े गये ।