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20 अगस्त 1942 : जिले में अपना राज,10 मे से 7 थानो पर राज






मधुसूदन सिंह

बलिया।। 19 अगस्त 1942 को उमड़े जन सैलाब से प्रशासनिक अधिकारियो के हाथ पाँव फूल गये थे। जिलाधीश व अन्य अधिकारी अपने बीबी बच्चों संग पुलिस लाइन मे शरण लिए हुए थे। यह खबर पूरे जनपद मे फ़ैल गयी थी, जिससे लोगो का उत्साह चरम पर था। पूरे जनपद मे कांग्रेस का स्वराज हो गया था।

19 तारीख को पूरे जिले पर कब्जा हो जाने की प्रसन्नता में 20 अगस्त को टाउन हाल में एक वृहद सभा की गई। सभा में जिले का प्रबन्ध करने के लिए 2500 रुपये चन्दा एकत्रित किया गया। जनता की रक्षा के लिए स्वयं सेवकों पर जिम्मेदारी दी गई और एक ऐसा दल तैयार किया गया जो कहीं भी पुलिस को देखे तो उसे बन्दी बना है।

19 तारीख को जिले के अधिकारियों ने कांग्रेसी नेताओं के ऊपर जिसे का प्रशासनिक भार सौंप दिया था और कहा था कि आज से पुलिस, पुलिस लाइन की सीमा से बाहर नहीं जायेगी ।




स्टीमर घाट को किया राख 

सिकंदरपुर से उत्तर घाघरा नदी पर स्थित कुतुम्बगंज घाट के स्टीमर स्टेशन पर 20 अगस्त को 12 बजे दिन मे जन समूह ने हमला करके स्टेशन मे आग लगा दी। जिससे स्टेशन जलकर राख हो गया।

शहर कोतवाल नादिर अली खां का सेशन जज की अदालत मे बयान 

अगस्त सन् 1942 में बलिया में आन्दोलन हुआ था। जिले के 10 थानों में से बलवाइयों ने 7 थानों पर अधिकार कर लिया था और बाकी 3 पर भी काम बन्द था। पं चित्तू पाण्डेय नये जिलाधीश ने 20 अगस्त 1942 को डुग्गी पिटवाई कि बलिया में कांग्रेस का शासन है। लोग शान्ति पूर्वक रहें और दुकाने खोले। यह भी कहा गया कि जिसको जो दरखास्त देनी हो जिला काग्रेस कमेटी में दे। उसकी उचित सुनवाई होगी।

( शहर कोतवाल मि० नादिर अली खां का सेशन जज बलिया के सामने 9 अगस्त सन् 1944 को यह उपरोक्त बयान हुआ था।)


बन्दूकें छीनी गई 

तुर्तीपार से 4 सिपाही बंदूक के साथ बलिया के लिए चले। रास्ते मे वर्षा होने के कारण भरखरा गांव में एक आदमी के घर में जाकर छिप गये। लोगो को बंदूकधारी सिपाहियों को देखकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने सिपाहियों से बन्दूको को छीन लेने का निर्णय किया। लगभग 2-3 सौ आदमी उनपर एकाएक टूट पड़े और उनसे बंदूके छीन ली।उनकी वर्दी निकलवा कर उनके साथ एक जुलुस निकाला और कांग्रेस की जय बोलवाया, उसके बाद उन्हें छोड़ दिया।

 इस संबंध मे सर्वश्री बैजनाथ पांडेय, बैजनाथ कांदू, मुसाफिर अहीर और नागेश्वर सिंह पर बाद मे मुकदमा चला।

केदार सिंह कांस्टेबल का सेशन जज के यहां बयान 

 केदार सिंह का0 न0 1080 मिलेट्री पुलिस गारद सीतापुर ने 11 जुलाई सन 1944 को सेशन जज की अदालत मे बयान देते हुए कहा कि अगस्त सन 1942 मे आर्म गारद उभाँव से बलिया पुलिस लाइन गया था। मै उनमे से एक था। जब भरखरा गांव के पास आया तो बारिश होने लगी। तब हम लोगो ने भरखरा मे एक ब्राह्मण के मकान पर शरण लिया।7 बजे सुबह का वक़्त था, करीब 250 अदमियों का एक मजमा आ पहुंचा, उसने हमारी बंदूके छीन ली।