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दलितों मजदूरों किसानों महिलाओं के लिए लिखने से नहीं, इनका पक्ष बनकर और खड़े होकर लिखने के लिए महत्वपूर्ण है प्रेमचंद :आशीष त्रिवेदी



बलिया।। मुंशी प्रेमचंद इस लिए महत्वपूर्ण नहीं कि उन्होंने दलितों, किसानों, मजदूरों, स्त्रियों के पक्ष मे रचनाएं लिखी बल्कि महत्वपूर्ण इस लिए है कि इन्होने इन तबकों के पक्ष मे खड़े होकर रचनाओं के माध्यम से इनको हक दिलाने के लिए लड़ाईया लड़ी। मुंशी जी का आत्मबल बहुत तगड़ा था। वो कहते थे कि क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करोगे,ये कहने की हिम्मत और साहस प्रेमचंद मे था । उपरोक्त बातें मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कही।

 प्रेमचंद उस युग में पैदा हुए जिस समय हमारा देश अंग्रेजी साम्राज्यवाद का गुलाम था तो दूसरी तरफ सैकड़ों वर्षो से चली आ रही सामंती मकड़जाल में फंसे हुए लोग थे । प्रेमचंद दोनों ही स्तरों पर अपनी लेखनी को हथियार बनाकर लड़ रहे थे। उक्त बातें प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता डॉ मंजीत सिंह ने कही। उन्होंने कहा प्रेमचंद का पूरा साहित्य संवेदनाओं से भरा है। श्री मुरली मनोहर टाउन इंटर कॉलेज के सभागार में  31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद जयंती का आयोजन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ और संकल्प साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे हैं नाट्य कार्यशाला में, किया गया ।‌






इस अवसर पर अपने सम्बोधन मे पंकज सिंह ने कहा कि प्रेमचंद ग्रामीण जीवन के रचनाकार थे। उनकी कहानियों में गांव के लोगों की सहजता और सरलता देखने को मिलती है । अध्यक्षता करते हुए कालेज के प्रधानाचार्य डा. अखिलेश सिन्हा ने कहा कि प्रेमचंद कालजयी रचनाकार थे । उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी । बल्कि आज उनकी प्रासंगिकता पहले से बढ़ गई है।

संचालन कर रहे रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा कि प्रेमचंद इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि उन्होंने किसानों , मजदूरों , दलितों और स्त्रियों के लिए लिखा बल्कि इसलिए महत्वपूर्ण है कि उन्होंने किसानों, दलितों , मजदूरों और स्त्रियों के पक्ष में खड़ा होकर लिखा । इस अवसर पर रंगकर्मी आनन्द कुमार चौहान, ट्विंकल गुप्ता, अनुपम पाण्डेय , विशाल, जन्मेजय , उमंग  रामकुमार , अरविंद , ज्योति , कृष्ण कुमार यादव इत्यादि उपस्थित रहे ।