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कताई मिल श्रमिकों ने सीएम को संबोधित पत्रक एसडीएम को सौंपा,रसड़ा मेजा इलाहाबाद व बांदा की कताई मिलों को चलाने का किया गया है आग्रह

 


बंद पड़ी मिल को चलाने व मजदूरों के बकाया वेतन के भुगतान की मांग

ललन बागी

रसड़ा(बलिया)।। उ.प्र. कताई मिल मजदूर संघ का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को उपजिलाधिकारी सर्वेश यादव से मिला। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उन्हें सौपकर रसड़ा सहित मेजा इलाहाबाद व बांदा के साथ प्रदेश के सभी कल कारखाने उद्योग धंधों को क्षमता के साथ चलाए जाने तथा मजदूरों के बकाये भुगतान की मांग की। जिससे कि पूर्वांचल जैसे पिछड़े क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। 

पत्रक में बताया है कि बिना बीआईएफआर एवं एनसीएलटी के अनुमति के कताई मिल रसड़ा की जमीन पावर कारपोरेशन को हस्तांतरित कर दिया गया जो नियम विरुद्ध है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे अध्यक्ष जयप्रकाश वर्मा ने बताया कि पूर्वांचल के बलिया जैसे पिछड़े क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1983-84 में किसानों से सस्ते दर पर 50 एकड़ जमीन लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कताई मिल रसड़ा की स्थापना की गई थी। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों की उदासीनता एवं मिल प्रबंधन के गलत नीतियों के कारण वर्ष 1998-99 में उसे अवैधानिक रूप से बंद कर दिया गया। जिससे इस मिल में काम करने वाले हजारों हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए, उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई। 





बताया कि इन बेरोजगार श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य एवं रहन-सहन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है । यहां तक कि सैकड़ों श्रमिकों की बीमारी के कारण इलाज के अभाव में  जीवन लीला समाप्त हो गयी है। मिल के बंद होने के कारण बेरोजगारी बढ़ी और लोगों को रोजगार उपलब्ध ना होने के कारण क्षेत्र के हजारों नौजवान दूसरे जगह पलायन को मजबूर हैं । कहा है कि कताई मिल की तालाबंदी भी अवैधानिक है। ऐसे में संगठन इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग करती है। 

बताया कि इसको लेकर संगठन द्वारा कई बार पत्राचार किया गया लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। श्री वर्मा ने बताया कि कताई मिल रसड़ा एक बीमार औद्योगिक इकाई है जिसका मुकदमा माननीय बीआईएफआर नई दिल्ली में 620/1992 दायर है। जब कोई उद्योग बीमार हो उसका पूर्ण समाधान ना हो जाए तब तक उस इकाई को किसी अन्य के हाथ हस्तांतरित करना या उसमें किसी प्रकार का निर्माण करना अवैधानिक है। ऐसे में मिल की जमीन को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अथवा अन्य को स्थानांतरित करना या बेचना सरासर गलत है। 

श्रमिक संघ मांग करता है कि तत्काल अपने प्रभाव से इस कार्य पर रोक लगाई जाए। श्रमिक संघ मांग करता है कि उत्तर प्रदेश के सभी मिलों को पूर्ण क्षमता के साथ चलाया जाए जिससे क्षेत्र की बेरोजगारी और पलायन को रोका जा सके। प्रदेश की बंद पड़ी कताई मिल रसड़ा, मेजा इलाहाबाद एवं बांदा तथा अन्य उद्योगों कल कारखानों को पूर्ण क्षमता के साथ चलाया जाए ताकि लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके, कताई मिल रसड़ा, मेजा इलाहाबाद, बांदा एवं जौनपुर के मजदूरों का विधिक पावनो का भुगतान माननीय श्रम न्यायालय के आदेशों के अनुसार किया जाए। 

कल कारखानों एवं उद्योगों में ईपीएस 95 से पेंशन पाने वाले श्रमिकों का न्यूनतम पेंशन के हिसाब से 7500 प्रतिमाह दिए जाए। माननीय बीआईएफआर एवं एनसीएलटी के अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश कताई मिल रसड़ा के 26 एकड़ भूमि को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को सौंपा गया है उस पर तत्काल रोक लगाया जाए और माननीय न्यायालय के आदेश का पालन किया जाए। इस मौके पर पत्रक देने  वालों में जवाहर प्रसाद, जीतन चौहान, रामप्रीत राम, शिववचन, लाल बहादुर कुशवाहा, कैलाश राजभर, रामबचन, अरविंद यादव, राधामोहन सिंह आदि रहे ।