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कटान पीड़ितो के आवासीय जमीन आवंटन में धांधली :पीड़ितों ने लगाई सीएम से गुहार

 


                राजकुमार चौबे मुख्य शिकायत कर्ता

मझौवां ।। विकासखण्ड बेलहरी के गंगापुर ग्रामसभा अंतर्गत चौबेछपरा व गंगापुर गांव जो कि 2015 से 2018 तक गंगा कटान में पूर्णतया विलीन हो गए थे। जिसमें सैकड़ो लोग बेघर होकर सड़कों पर आ गए। राज्य सरकार के तरफ से कटानपीड़ितों को मरहम लगाने का दिलासा दिया गया इसी क्रम में कटान पीड़ितों के लिए मुआवजा की घोषणा की गयी जिसमें स्थानीय नेता व कुछ शातिराना लोगों के मिलीभगत से धन आवंटन में धांधली किया गया। अब कटानपीड़ितों के लिए जमीन उपलब्ध कराई जा रही है जिसमें पुनः घोर धांधली के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि व शातिर लोगों की मिलीभगत से सूची तैयार करा दी गयी है जिसमें अपात्र को भूमि आवंटित किया जा रहा है जबकि पात्र का नाम सूची से गायब है।

ऐसे ही कटान पीड़ित राजकुमार चौबे ने पात्रता सूची से अपना नाम गायब देखकर कटान पीड़ित ने साक्ष्यों के साथ मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है। इनके से कई अन्य लोग शान्ति देवी, पुष्पा देवी, मंजू देवी, उर्मिला देवी, राजेश यादव,अनुप कुमार, उमाशंकर लाल,बसन्त कुमार मिश्र ,ऊषा देवी आदि ने आपत्ति जताई है। इन लोगों की स्थिति ऐसी है कि दाने-दाने के लिए मोहताज हैं ऐसे पात्रों को छोड़कर महानगरों में फ्लैट व फोरव्हीलर जैसे सुविधाओं से परिपूर्ण लोगों का नाम पात्रता सूची में दर्ज किया गया है। एक ही परिवार के कई सदस्यों का नाम सूची में जोड़ा गया है जो कि पूर्णतया धांधली को प्रेतित करता है। 





आमजन की प्रतिक्रिया

"मैंने पहले भी कई बार शासन से मदद की गुहार लगाई थी, मुझे मदद का सांत्वना मिला था लेकिन जैसे ही सूची आई उसे देखकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी। स्थानीय रामगढ़ बाजार में कुछ ऐसे लोग है जो किसी भी राजस्व अधिकारी के आने पर उनके साथ संलिप्त होकर धांधली करते है साथ ही खुद को गरीबों का मसीहा कहने वाले जनप्रतिनिधि की भी मिली भगत है। अपात्रों से पैसा लेकर जमीन दिलवा रहे हैं मेरे पास देने को फूटी कौड़ी नहीं है इसलिए मेरा नाम गायब है।" - राजकुमार चौबे


"जमीन मिल जाती तो कम से कम छप्पर डालकर गुजर बसर कर सकती थी। कुछ दिन पहले कुछ लोग आए थे बोल रहे थे जमीन ऐसे नहीं मिलता मैंने बोला था कि खाने के लिए मेरे पास कुछ नही है पैसे कहाँ से दूंगी, अब मेरा नाम ही नही आया है। इसके लिए जिलाधिकारी को ध्यान देना  चाहिए" - शांति देवी


"कहने को लोग गांव और परिवार जैसे ही थे लेकिन लोगों से पैसे लेकर काम करवाना पुरानी फितरत रही है, अब मेरे पास देने को कुछ नहीं है तो मेरा नाम आवंटन सूची में नही आया है- राजेश यादव







"जिनके पास शहरों में मकान व चार पहिया है उनके परिवार के सदस्यों का अलग अलग नाम है लेकिन मै फुटपाथ पर जीवन यापन करता हूँ तो मेरे तरफ किसी का ध्यान नहीं गया" - बसन्त कुमार मिश्र


शिकायतकर्ता द्वारा लिखित आवेदन जब मिलेगा तो पात्र व अपात्रों की जाँचोपरान्त जो उचित होगा उसके अनुसार भूमि आवंटन किया जायेगा --जुवैद अहमद (आईएएस)एसडीएम बलिया