Breaking News

बलिया की एक ऐसी ग्राम पंचायत ,जहां न है स्कूल ,न अस्पताल, न पंचायत घर




आजादी के बाद से ही मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा गांव‌।

 ग्राम सभा में टेंट लगाकर कराया जाता है मतदान

ओमप्रकाश राय,पवन कुमार यादव की रिपोर्ट

नरही(बलिया)।। देश आज आजादी के 75 वे वर्ष में प्रवेश करने के कारण आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है । केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार अपनी घोषणाओं में पूरे देश की ग्राम सभाओं में विकास की नदियां बहाने के कशीदे पढ़ रही है । लेकिन बलिया जनपद के सोहांव ब्लॉक में एक ऐसा भी गांव है जो अपने बच्चों की शिक्षा के लिये एक अदद प्राथमिक विद्यालय, बीमार पड़ने पर इलाज के लिये एक अस्पताल,और तो और पंचायत की बैठक के लिये एक अदद पंचायत भवन, जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहा है । यह केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार के लिये भी अफसोसजनक स्थिति अधिकारियों की लापरवाही से पैदा हुई है ।




यह नही कह रहे है कि भाजपा सरकार ने ही केवल इसकी उपेक्षा की है, बल्कि इसकी तो आजादी के बाद से चाहे कांग्रेस की सरकार हो, जनता पार्टी की सरकार हो, जनता दल की सरकार हो,समाजवादी पार्टी की सरकार हो,बसपा की सरकार हो ,सब ने इस गांव के विकास के लिये कुछ करने की कोशिश ही नही की है । यह दोष यहां से चुने गये सभी जनप्रतिनिधियों का है जो इसको विकास से वंचित रखे हुए है । दोष उन ब्लॉक प्रमुखों का है,खंड विकास अधिकारियों का है जिन्होंने इसके विकास के लिये शासन को प्रस्ताव ही नही भेजा । दोष इस क्षेत्र के क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य व ग्राम प्रधानों का भी है, जिन्होंने ने सिर्फ अपने कार्यकाल को पूर्ण किया लेकिन ग्राम सभा की भलाई के सम्बंध में सोचा ही नही । अब तो ग्रामीणों का यही कहना है --

"लगाया जिसने साहिल पे सफीना नूर का यारो, 

उसी की रहमतों से लव लगाए हम भी बैठे हैं।

 इनायत हम पे भी होगी इसी उम्मीद पर रोशन, 

तुम्हारी वज्म में चुपचाप आकर हम भी बैठे हैं।"





 एक तरफ जहां पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ आजादी के बाद से अब तक, इतने वर्षों बाद आज भी यूपी के बलिया जनपद के विकास खंड सोहांव का एक ऐसा भी गांव सरवन पुर है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के किनारे वसा तो है, लेकिन इस गांव को सरकारी योजनाओं का बुनियादी लाभ नहीं मिल पाया है । दुर्भाग्य यह है कि इस ग्राम सभा मे न तो प्राथमिक विद्यालय है,ना हॉस्पिटल है, ना ही पंचायत भवन ही है,और तो और इस ग्राम सभा मे एक मंदिर तक नहीं है। चुनाव चाहे ग्राम पंचायत का हो, क्षेत्र पंचायत का हो, जिला पंचायत से लेकर विधानसभा, लोकसभा किसी तरह का चुनाव हो, खुले आसमान के नीचे बगीचे में टेंट लगाकर कराया जाता है। चुनाव से पहले प्राथमिक विद्यालयों में मतदाताओं के लिये हर तरह की सुविधाओं के लिये तैयारियां की जाती है लेकिन धन्य है बलिया के अधिकारी जिनको सरवन पुर में टेंट ने चुनाव कराने का आदेश तो देते है लेकिन एक अदद प्राथमिक विद्यालय बनाने का नही ।





इस गांव के पूर्व प्रधान रहे गंगा सागर सिंह यादव, विद्यापति यादव,लव कुमार, विजय यादव सहित दर्जनों लोगों का कहना है कि पंचायत भवन और प्राथमिक विद्यालय बनाने का प्रयास किया गया मगर उच्च अधिकारियों ने उनकी बातों को दबा दिया और लाख प्रयास के बाद भी अब तक किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने बताया कि आज उनका गांव जिस हालत में है ,इससे पिछड़ा कोई गांव  जिला और प्रदेश की बात छोड़िये पूरे देश में भी इतना पिछड़ा गांव कोई दूसरा शायद ही और होगा‌।

 ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव के विकास के लिए 50 डिसमिल के करीब तीन नम्बरो से सरकारी जमीन भी है। लेकिन उस जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। आज भी सरवन पुर की जनता बुनियादी जरूरतों के अभाव में अनेक समस्याओं से जूझ रही है। मनाये जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव को देखकर शासन प्रशासन की तरफ इस उम्मीद से निहार रही है कि प्रदेश सरकार की नजरें इनायत हो जाय और इस ग्राम सभा का भी कायाकल्प हो जाये।

इस संबंध में पूंछने पर ग्राम प्रधान जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि सरवन पुर ग्राम सभा आजादी के बाद अब तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहा है। आज तक कुछ भी नहीं बन पाया है। यहां तक कि चुनाव भी टेंट लगाकर कराया जाता है, कोशिश रहेगी कि लेखपाल से बंजर जमीन की पैमाइश करा कर विकास का हर संभव प्रयास किया जाय।