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रात के अंधेरे में हो, या दिन के उजाले में अवैध खनन का कारोबार जारी

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। प्रदेश के मुखिया योगी जी चाहे कितना भी बुलडोजर का खौफ दिखाये लेकिन बलिया में खनन माफियाओं ओर कोई असर नही दिख रहा है । उल्टे यही लोग अपने बुलडोजर के माध्यम से प्रतिदिन दिन व रात मिलाकर लगभग 20 लाख का  अवैध खनन के सहारे सफेद बालू निकालकर सरकारी राजस्व का चूना लगा रहे है ।जनपद के नरही थाना क्षेत्र में पुलिस के संरक्षण में कहे या लापरवाही से, खनन का खेल रात में भी बदस्तूर जारी है। नीचे दिये जा रहे वीडियो/तस्वीरों में आप देख सकते है कि कैसे रात के अंधेरे में जेसीबी से अवैध खनन किया जा रहा है । जबकि एनजीटी हो या राज्य सरकार दोनों का आदेश है कि रात को खनन कार्य लाइसेंस होने पर भी नही किया जा सकता है । लेकिन पुलिस की मिलीभगत और खनन विभाग की उदासीनता के चलते उस क्षेत्र में लगातार खनन हो रहा है,जो क्षेत्र गंगा नदी की कटान के कारण डेंजर जोन में आता है । एक तरफ सरकार इन क्षेत्रों को कटान से बचाने के लिये प्रयासरत है तो दूसरी तरफ नरही पुलिस और स्थानीय जिला प्रशासन खनन माफियाओं को छूट देकर इस क्षेत्र में कटान को आमंत्रित करने में सहयोग करते दिख रहे है ।








अभी कुछ दिन पूर्व 21 अप्रैल को न्यूज 1 इंडिया के रिपोर्टर से खनन माफियाओं के साथ खबर बनाने को लेकर झड़प हुई थी जिसमे खनन माफियाओं ने पत्रकार को न सिर्फ बुरी तरफ मारा था बल्कि पत्रकार का दो मोबाइल और पास के रुपये भी छीन लिये थे । जिला मुख्यालय पर तब पत्रकारों का अनशन चल रहा था । पुलिस ने पत्रकार की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया था और दो दिन बाद तीनों आरोपियों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था । इसी बीच 28 अप्रैल को पत्रकारों का क्रमिक अनशन समाप्त हो गया । नरही पुलिस ने खनन माफियाओं को राहत देने के लिये इनके ऊपर से 392 आईपीसी को हटा दिया और आरोपियों की जमानत हो गयी । अब थानेदार मदन पटेल से लगातार संपर्क करने की कोशिश की जा रही है कि पत्रकार का रुपया और मोबाइल किसने लूटा है,फोन ही नही उठा रहे है ।

 


डिपो की आड़ में सफेद बालू का खेल

गंगा की तलहटी से सफेद बालू निकाल कर क्षेत्र को कटान की जद में लाने का खेल वर्षों से स्थानीय प्रशासन खनन माफिया और पुलिस की सांठ गांठ से चलता रहा है । स्थानीय पुलिस सफेद बालू खनन की निगरानी इतनी तन्मयता के साथ करती है कि उप जिलाधिकारी व सीओ की मौजूदगी में जब्त की गई सफेद बालू को खनन माफिया गायब कर देते है और नरही पुलिस कुछ नही कर पाती है । तत्कालीन खनन अधिकारी डॉ भदौरिया ने तो अपनी रिपोर्ट में जब्तशुदा बालू के गायब होने के लिये नरही पुलिस को दोषी मानते हुए जिलाधिकारी को भेजते है, लेकिन कार्यवाही आज तक नही होती है ।



बता दे कि पूरे यूपी में कही भी खनन का पट्टा नही दिया जाता है । यूपी में नदियों के द्वारा खेतो में जमी रेत/सिल्ट को हटाने का पट्टा दिया जाता है । इसको भी हटाने के लिये मशीनों का प्रयोग नही होता है क्योंकि मात्र 4 फीट तक गहरा ही खोदा जा सकता है । वर्तमान में सोहांव ब्लॉक के ठीक पूरब गंगा के किनारे जो डिपो है और जो खनन हो रही है,उसकी वैधानिकता के सम्बंध में जब खनन अधिकारी बलिया से बात की गई तो यह नही बता पाये कि इस क्षेत्र में कितने लोगों ने अपने अपने खेतों में रेत जमा होने की शिकायत करते हुए हटाने के लिये अनुमति प्राप्त की हुई है ।

डिपो संचालक को खनन करने का कोई अधिकार नही होता है । अब सवाल यह उठता है कि इस डिपो में जमा सफेद बालू किसका है ? क्या सफेद बालू डिपो तक पहुंचाने वालों ने ऐसा करने के लिये अनुमति ली हुई है ? सबसे बड़ा सवाल तो यह भी है कि क्या डिपो संचालक के रिकार्ड में बालू देने वालो का अनुमति पत्र संख्या के साथ रिकार्ड दर्ज है ? क्या कम्प्यूटर में जितनी आवक है,जावक है, के बाद जो शेष अवशेष बालू है, उतनी ही मात्रा बालू की बची हुई है या उससे ज्यादे ? अगर ज्यादे है तो क्या खनन अधिकारी हो या अन्य प्रशासनिक अधिकारी हो,इसकी जांच पड़ताल की है ?




उपरोक्त सवालों के गर्भ में अवैध खनन का पूरा इतिहास छुपा हुआ है । जिसको न तो खनन विभाग उजागर करना चाहता है, न ही जिला प्रशासन,पुलिस तो इस तरफ देखना ही नही चाहती है । इस पूरे प्रकरण में पत्रकारों की एक टीम यह पता करने की पूरी कोशिश की लेकिन खनन अधिकारी बलिया ,सिर्फ बातों से उलझाते रहे,तथ्यपरक एक भी उत्तर नही दे पाये । यह बता ही नही पाये कि इस डिपो तक किसके खेत से बालू पहुंचा, कितनी रॉयल्टी जमा हुई । यह भी बता दे कि अपने खेत से भी बालू हटाने के लिये 130 रुपये प्रति घन मीटर के दर से राजस्व जमा करना पड़ता है ।



अब देखना है कि बलिया में गंगा और घाघरा किनारे हो रहे अवैध खनन को खनन अधिकारी हो या जिला प्रशासन कैसे रोकता है । बता दे कि सोहांव ब्लॉक क्षेत्र से ही मात्र रात को प्रतिदिन लगभग 40 से 50 ट्रक बालू अवैध रूप से खनन किया जा रहा है (रात को पट्टा धारक भी खनन नही कर सकता है ) । एक ट्रक सफेद बालू कम से कम 20 हजार में बिहार भरौली के रास्ते बेची जा रही है । अब आप खुद ही सोचिये कि एक रात में ही 8 से 10 लाख का अवैध कारोबार संचालित हो रहा है और स्थानीय पुलिस हो या प्रशासन न जानता हो, कैसे संभव है । अगर वास्तव में नही जानते है तो ऐसे थानेदार हो या अन्य प्रशासनिक अधिकारी हो,को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नही है ।