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पत्रकारों को सोचने की जरूरत,आपके संघर्ष में राजनेताओ की चुप्पी का क्या है राज ? खुला पत्र पत्रकार साथियो के नाम

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।।

साथियो, नमस्कार

 दूसरो के दुख दर्द,परेशानी , लड़ाई को अपना कर्तव्य समझ कर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शासन तक न्याय दिलाने वाले हम पत्रकार साथियो को बदले में क्या मिलता है, यह अबूझ वायरल पेपर प्रकरण में देखने को मिल रहा है । हम लोगो के 3 साथी प्रशासन की नाकामियों को उजागर करने के कारण जेल भेज दिये गये है । लेकिन हर बात पर आंदोलन करने वाले बलिया के राजनेता हो या छात्र नेता हो, सबकी चुप्पी यह दर्शाने के लिये काफी है कि दूसरों के लिये दिन रात दौड़ते रहने पर लोगो को तो ठीक लगता है लेकिन आप जब मुसीबत में हो तो कोई आप से आपका हालचाल भी पूंछने नही आता है ।




जनपद के राजनेता हो (कम्युनिस्ट पार्टी माले के लक्ष्मण यादव को छोड़कर) या छात्र नेता या व्यापारी हो या कर्मचारी  सबके संघर्षो में हम लोग साथ देते है लेकिन जब 3 दिन से हम लोगो पर संकट आया है तो यही नारेबाज लोग पास आने से भी डर रहे है , आखिर क्यों ? क्या हम लोगो का मानवाधिकार नही होता है,हम लोगो को दर्द नही होता है । बलिया के इतिहास में पहली बार है कि मीडिया पर प्रशासन आपातकाल की तरह बंदिशें लगाने पर आमादा है लेकिन मीडिया के हम साथियो (कुछ जयचन्दों को छोड़कर ) के अलावा हमारा समर्थन करने से लोग ऐसे डर रहे गया जैसे हम लोग पहले चरण के कोरोना है ।

साथियो,अब हम आपको किसी दूसरे की मदद की अपेक्षा छोड़कर अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी । शनिवार से अपने अपने क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को घेर कर पूंछना पड़ेगा कि जब पेपर खुला ही नही तो आउट कैसे हुआ और वायरल पेपर ही पैकेट के अंदर था,इसकी पुष्टि पेपर खुलने के लगभग डेढ़ घण्टे पहले कैसे हुई,की जांच की मांग विधानसभा में उठायेएंगे कि नही ? जब तक जन प्रतिनिधियों द्वारा अपने पैड पर लिखकर आश्वासन नही दिया जाता है, तब तक उनका घेराव किया जाय ।

सभी जनप्रतिनिधियों से उपरोक्त आशय का पत्र लिखवा कर लेने के बाद सभी पत्रों को लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर बलिया के जिला प्रशासन की पेपर लीक प्रकरण में की गई लापरवाही और पूरे प्रदेश में परीक्षा का माहौल खराब करने की ,जांच कराने की मांग की जायेगी । साथ ही यह भी जांच कराने की मांग की जाएगी कि वायरल के नाम पर जितने लोगो को जेल भेजा गया है,वे अपराधी है क्या ? जिस अंग्रेजी के वायरल पेपर के आधार पर धड़ाधड़ गिरफ्तारियां हो रही है,जब उस वायरल पेपर का असली सामने आया ही नही, तो गिरफ्तार लोग नकल करने या कराने के अपराधी कहां हुए ? इस अभियान में सहयोग के लिये सभी संगठनों के साथियो से सादर अनुरोध है ।

           आप सबका साथी 

              मधुसूदन सिंह,प्रांतीय मुख्य महासचिव

           भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उत्तर प्रदेश