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प्रथम जांच में नही मिला कोई फटा लिफाफा,दुबारा हो रही है विशेषज्ञों के द्वारा जांच : जिलाधिकारी बलिया

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 30 मार्च की शाम के 2 बजे होने वाली परीक्षा इंटर अंग्रेजी के प्रश्न पत्र को रखने वाले सभी लिफाफे प्रथम जांच में सही पाये गये है । किसी भी लिफाफे में टेम्परिंग नही पायी गयी है । इसकी दुबारा जांच बोर्ड के एक्सपर्ट के द्वारा जांच करायी जा रही है । यानी 4 दिन बीत जाने के बाद भी जिलाधिकारी यह कहने में असमर्थ है कि बलिया से पेपर आउट हुआ है कि नही ? अगर बलिया से आउट हुआ है तो किस विद्यालय से और अगर नही हुआ है तो पेपर आउट करने के लिये बलिया के पत्रकारों को क्यो गिरफ्तार किया गया है ? इसका जबाब देने के लिये कोई भी अधिकारी तैयार नही है।

 बता दे कि जिले के 211 केंद्रों पर इंटर अंग्रेजी की परीक्षा 30 मार्च को दिन के 2 बजे से होनी थी । इसी बीच इंटर अंग्रेजी का पेपर 29 मार्च की देर शाम को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया । जिसको अमर उजाला ने 30 मार्च के अपने अंक में प्रमुखता से प्रकाशित कर दिया । अखबार में प्रश्नपत्र के छपते ही जिला प्रशासन बौखला गया और पहले मुख्यालय पर शिक्षा का बीट देखने वाले अमर उजाला के पत्रकार अजित ओझा से जिलाधिकारी द्वारा वायरल पेपर व्हाट्सएप पर मंगाया गया और इसी के आधार पर आव देखा न ताव ,साढ़े 11 बजे अंग्रेजी के पेपर के निरस्त करने की सूचना ,सूचना विभाग के माध्यम से पत्रकारों को पहुंचाने के साथ शासन को भी सूचित कर दिया गया । जबकि तब तक अखबार का बंडल कही खुला भी नही था जिससे वायरल से मिलान हो जाती ।




पेपर को निरस्त करने के बाद जिलाधिकारी द्वारा सभी 211 केंद्रों से सबसे पहले पेपर के लिफाफों को मंगवाया गया और उसकी जांच  मजिस्ट्रेटों की उपस्थिति में कराई गयी ,जिसमे अभी तक कोई लिफाफा फटा नही पाया गया है । यही से जिलाधिकारी की कार्य प्रणाली कटघरे में खड़ी हो जाती है । जब चार दिन में यह साबित नही हो पाया है कि 211 लिफाफों की टेम्परिंग में छेड़छाड़ नही हुई है, तो मात्र 3 से 4 घण्टे के अंदर 30 मार्च को जिलाधिकारी ने कैसे निर्णय कर लिया कि वायरल पेपर, लिफाफों में बंद पेपर का ही फोटो स्टेट या हूबहू प्रति है ?

जब बलिया में अब तक यह साबित ही नही हो पाया है कि यहां से लिफाफा फाड़ कर पेपर आउट हुआ है तो चाहे गिरफ्तार 3 पत्रकार हो या डीआईओएस बलिया पेपर आउट के लिये दोषी कैसे घोषित कर के जेल भेजे गये है ?  यही नही इस मामले में अन्य लोगो की जो गिरफ्तारियां हो रही है, वह सभी नकल माफिया है ? इन सब सवालों का जबाब जिला प्रशासन को माननीय न्यायालय में देना,आसान काम नही है । मास्टर माइंड के पकड़े जाने के सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा कि संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया है और जांच चल रही है, जो भी अपडेट होगा उसको मीडिया से शेयर किया जायेगा ।

टीआरपी लेने के लिये कुछ चैनलों द्वारा जो खबरे चलायी गयी कि बलिया से ही पेपर आउट हुआ है,कालेजो तक के नाम दिखाकर बलिया को बदनाम करने की जो कोशिश की गई है,वे चैनल जिलाधिकारी के आज के बयान से बेनकाब हो गये है ।

तीन तालों में रहता है केंद्रों पर पर्चा

माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की परीक्षा का पर्चा और कापी जिला मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम में तीन तालों के लॉक में रहती है । इस सेंटर का कस्टोडियन जिलाविद्यालय निरीक्षक होता है । इसके रख रख रखाव के लिये जिला प्रशासन की देखरेख में अन्य जिम्मेदारों की नियुक्ति होती है । परीक्षा से 1 से 2 दिन पहले इस स्ट्रांग रूम से पर्चे के बंडल को निकालकर परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाता है ।

परीक्षा केंद्रों पर पर्चे की सुरक्षा के लिये तीन तालों वाले आलमारी में इनको रखा जाता है । पहलाताला केंद्र व्यवस्थापक का होता है, दूसरा ताला सहायक केंद्र व्यवस्थापक का होता है और तीसरा ताला प्रशासन द्वारा नियुक्त स्टैटिक मजिस्ट्रेट का होता है । बिना तीनो की मिलीभगत के पेपर आलमारी से बाहर आ ही नही सकता है । ऐसे में प्रशासन द्वारा जितने भी स्कूल प्रबंधकों या शिक्षकों को उठाया गया है, यह नही बताया गया है कि इस केंद्र के ये व्यवस्थापक ,सहायक केंद्र व्यवस्थापक और ये स्टैटिक मजिस्ट्रेट है, जो पर्चा लीक किये हुए है । इन्ही सब बिंदुओं के आधार पर प्रशासन की कार्यवाही पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है ।


बाईट- इंद्र विक्रम सिंह-जिलाधिकारी ,बलिया