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आजादी जरूरी नहीं आजादी के बाद का हिंदुस्तान जरूरी है : भगत सिंह



बलिया ।। शहीद - ए - आज़म भगत सिंह को मंच पर जीवंत किया जनपद के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने । अपने शानदार अभिनय से लोगों का मन जीतने वाले आशीष ने मंच पर अभिनय का एक नया प्रतिमान स्थापित कर दिया। अभिनय के जो आयाम हैं   आंगिक , वाचिक , आहार्य और सात्विक उसका बेजोड़ संगम को लोग टकटकी लगाकर देखते रहे । लगभग चालीस मिनट की इस एकल प्रस्तुति में लोग भगत सिंह के विचारों के साथ बहते नजर आये। कलाकार के चेहरे पर बनने वाली भाव भंगिमाओं के  साथ साथ दर्शकों के चेहरे का भी भाव  बदलते रहे । 



प्रस्तुति में दिखाया गया कि भगत सिंह पैदा नहीं होते बल्कि भगत सिंह को भगत सिंह परिस्थितियां बनाती हैं। शर्त यह है कि मनुष्य के पास परिस्थितियों को समझने की गहरी दृष्टि होनी चाहिए । पढ़ाकू भगत सिंह , लड़ाकू भगत सिंह , जीवन की रंगिनियों से ओत प्रोत भगत सिंह के हर पहलू को शानदार तरीके से इस एकल नाट्य प्रस्तुति में दिखाया गया ।  नाटक में दिखाया गया कि भगत सिंह के विचार आज भी कितने प्रासंगिक हैं उनका एक संवाद कि "आजादी जरूरी नहीं आजादी के बाद का हिंदुस्तान जरूरी है और कहीं ये ग़लत तरीके से मिल गई तो कहने में हिचक नहीं कि आज से सत्तर साल बाद भी हालात ऐसे के ऐसे रहेंगे गोरे चले जाएंगे भूरे आ जाएंगे , कालाबाजारी का साम्राज्य होगा , घूसखोरी सर उठाकर नाचेगी ,  अमीर और अमीर होते जाएंगे गरीब और गरीब ,  धर्म जाति और ज़ुबान के नाम पर इस मुल्क में तबाही का ऐसा नंगा नाच शुरू होगा जिसको बुझाते - बुझाते आने वाली सरकारों  और नस्लों की कमर टूट जाएगी।" 





आज की परिस्थिति में यह संवाद बताता है कि समाज के प्रति भगत सिंह की दृष्टि कितनी पैनी थी । नाटक का एक - एक संवाद एक - एक दृश्य  लोगों के दिल दिमाग को झकझोरता रहा । अंतिम दृश्य जिसमें भगत सिंह " मेरा रंग दे बसंती चोला " गाते हुए फांसी के फंदे को चूमते हैं ।यह दृश्य इतना प्रभावकारी रहा कि उपस्थित जन समूह की आंँखे नम हो गईं । आशीष त्रिवेदी की यह प्रस्तुति इसलिए भी महत्वपूर्ण रही कि एक दिन पहले उनके पैर में मोंच आयी थी । पैर में दर्द और सूजन के बावजूद नाटक को प्रस्तुत करना वाकई उनके हौसले और रंगमंच के प्रति उनकी दीवानगी,समर्पण को दर्शाता है । 

संकल्प साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा 23 मार्च को अमृत पब्लिक स्कूल अमृतपाली बलिया में आयोजित इस कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति के पूर्व जनपद के  साहित्यकारों ने  वरिष्ठ कवि और साहित्यकार धनेश कुमार पाण्डेय " शास्त्री " की कविता की किताब " सूरज थोड़ा और ठहर " का लोकार्पण किया । संकल्प के रंगकर्मी आंनद कुमार चौहान , ट्विंकल गुप्ता, आलोक कुमार , अनुपम पांडेय , विवेक , शुभम , अखिलेश ने जनगीत " ऐ भगत सिंह तू जिंदा है हर एक लहू के कतरे में " गाकर  भगत सिंह की  शहादत को याद किया । 

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर शत्रुघन पांडेय , मुख्य अतिथि डॉ जनार्दन राय , विशिष्ट अतिथि धनेश कुमार पांडे की रही ।  इस अवसर पर साहित्यकार रामजी तिवारी , मनजीत सिंह, शुभनीत कौशिक,  राजकुमार पाण्डेय , परमात्मा पाण्डेय , पं. ब्रजकिशोर, शिवजी पांडेय, शशि प्रेम देव, प्रोफ़ेसर यशवंत सिंह, उपेन्द्र सिंह , श्वेतांक , अरविंद गुप्ता , सुनील यादव ,  फतेह चन्द गुप्ता, सत्य प्रकाश पाण्डेय इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे । कार्यक्रम का सफल संचालन अचिंत्य त्रिपाठी ने किया। आभार व्यक्त किया संजय मौर्य ने।