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ग्रापये गोजर के समान,कुछ पत्रकार नही भी रहेंगे तो इसकी सेहत पर नही पड़ेगा प्रभाव,यह सुनते ही रसड़ा तहसील इकाई हुई दो फाड़



लल्लन बागी

रसड़ा बलिया ।। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन एक गोजर की तरह है जिसके सैकड़ो पत्रकार तांगे है । अगर कुछ तांगे टूट भी जाय तो गोजर की सेहत पर प्रभाव नही पड़ता है । यह वक्तव्य देना ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार लाल को भारी पड़ गया । जो सदस्य इनकी बातों का कभी जबाब देने से हिचकते थे उन लोगो ने भरी बैठक में न सिर्फ सिर उठाया बल्कि अधिकतर सदस्यों ने अपना ज्ञागपत्र देकर संगठन को अलविदा कह दिया ।

बता दे कि सोमवार को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार लाल और जिलाध्यक्ष शशिकांत मिश्र की मौजूदगी में रसड़ा तहसील इकाई की बैठक एक निजी धर्मशाला में संगठन की मजबूती के साथ आगे बढ़ाये जाने के विषय पर आयोजित थी। यह भी सूच्य हो कि कुछ समय  पूर्व ही एक निजी आवास पर मतलूब अहमद को तहसील अध्यक्ष जिला अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया गया था किंतु बैठक में एक  विशेष जाति के साथ भेदभाव और एक जाति विशेष का महत्व देता देख सदस्य मन ही मन आक्रोशित हो रहे थे । प्रदेश अध्यक्ष द्वारा इस बैठक के आरम्भ में ही नये अध्यक्ष को चुने जाने की बात की जाने लगी। जिस पर संगठन के सदस्यों ने कड़ा एतराज करते हुए कहा कि अभी चुनाव की क्या आवश्यकता है,क्योकि अभी 6 माह पुराने अध्यक्ष का कार्यकाल तो बचा ही है । अभी हटाने से वर्तमान अध्यक्ष के सम्मान को ठेस पहुंचेगा ।









इस पर प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा कहा गया कि ग्रापए गोजर है और गोजर का दस बीस टांग टूट भी जाता है तो कोई परवाह नहीं होती है उसी तरह ग्रापये है,कुछ लोगो के न रहने से  संगठन के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर केवल चार या पांच भी रहे तो ग्रापये यानी मैं जो चाहूंगा वही होगा और जिसको चाहूंगा अध्यक्ष होगा । बता दे कि प्रदेश अध्यक्ष द्वारा एक सुनियोजित योजना के तहत एक पूर्व पत्रकार को, जो वर्षों पूर्व पत्रकारिता छोड़ चुका है, उसी वक्त अध्यक्ष बनाने हेतु सदस्य बनाया गया और हवाला दिया गया कि यह पूर्वी संसार के संवाददाता हैं। साथ ही कुछ और लोगों को भी जिन्होंने संगठन के विपरीत कार्य कर रहे थे ,को भी सदस्यता दी गयी।

 गौर करने वाली बात यह है कि "पूर्वी संसार" साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन पूर्ण रूप से वर्षों पूर्व बन्द हो चुका है। वैसे इस संगठन में अगर किसी का के पास समाचार पत्र से दूर-दूर तक कोई संबंध ना रहने पर भी किसी समाचार पत्र के नाम डाल कर उसे सदस्य और पत्रकार बनाने का सिलसिला नया नहीं है । यह वर्षों से चला आ रहा है । विशेष बात तो यह है की पत्रकारिता में भी जाति देखकर भेदभाव प्रदेश अध्यक्ष द्वारा संगठन में किया जाता है । इसके विरोध में बैठक में मौजूद पत्रकारों ने बैठक का बहिष्कार करते हुए बहिर्गमन कर वहां से चले गए। चूंकि पत्रकार समाज का चौथा स्तम्भ है ,आश्चर्य की बात यह है कि जिस संगठन को प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा गोजर की संज्ञा दी जाती है तो ऐसे संगठन को बुद्धिजीवी समाज क्या समझेगा ?

प्रदेश अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के रवैये से खिन्न होकर पत्रकारगण  मतलूब अहमद तहसील अध्यक्ष, शिवजी(वागले ), गोपाल जी गुप्ता विनोद कुमार शर्मा, अखिलेश सैनी, जफर अहमद, लल्लन बागी, संजय शर्मा, अशोक वर्मा, सुरेश चन्द, हरीन्द्र वर्मा के साथ नगरा से कृष्णमुरारी पाण्डेय जिला महामंत्री, देवनारायण प्रजापति, ओमप्रकाश वर्मा, विनोद सोनी और मननारायण उपाध्याय ने सामूहिक रुप से अपना त्याग पत्र दे दिया है। इन लोगो का कहना है कि पत्रकार गोजर नहीं होता है देश और समाज का सुधारक तथा चिंतक होता है तथा नियम  सबके लिए बराबर होता है। कहे कि प्रदेश अध्यक्ष द्वारा आज रसड़ा तहसील संगठन के साथ साजिश के तहत अध्यक्ष को अपमानित करने की कोशिश  की गई है, कल किसी और तहसील अध्यक्ष के साथ भी ऐसी साजिश की जा सकती है। सभी ने एक स्वर में कहा कि जिस संगठन में प्रदेश अध्यक्ष सदस्यों को कीड़े मकोड़े समझते है, वहां किसी भी पत्रकार का मान सम्मान सुरक्षित नही रह सकता है,इस लिये हम लोग ग्रापये को अलविदा कह रहे है ।

ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अध्ययन सौरभ श्रीवास्तव का बयान

ग्रापये के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार श्रीवास्तव ने रसड़ा की बैठक के बाद संगठन से अलग हुए लोगो के द्वारा किये जा रहे दुष्प्रचार को  गलत, झूठ एवं तथ्यों से परे बताया है। कहा कि वास्तव में  रसड़ा की तहसील स्तरीय बैठक चुनाव के लिए आयोजित नहीं की गई थी लेकिन कुछ कथित लोंगों के अनुशासन हीनता के कारण संगठन से जिला अध्यक्ष शशिकांत मिश्रा द्वारा अनुशासन हीनता और संगठन को नुकसान पहुंचाने के आरोप में निष्काषित कर दिया गया है। इसमें लगभग दस लोंगों को आपके समाचार में दर्शाया गया है। अपना गृह जनपद होने के कारण मैं भी वहाँ के सदस्यों के आग्रह पर चला गया था। जबकि केवल जिलाध्यक्ष को ही रहना चाहिए। जिन चन्द लोंगों को संगठन से बाहर निकाला गया है उसमें या तो उनके पास कोई अखबार नहीं है या ऐसे समाचार पत्रों से जुड़े हैं  जिनको कोई जानता नहीं है और उस कस्बे में बिकता भी नहीं है। खैर इन सब बातों से हमको कुछ लेना देना नहीं है। यह जिलाध्यक्ष के अधिकार  के अंतर्गत आता है लेकिन पीडीएफ में सारा निशाना हमारे तक ही केंदित किया गया है जो गलत है।

 नगरा के पत्रकार कृष्ण मुरी पांडेय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि श्री मतलूब अहमद निवर्तमान अध्यक्ष ग्रापए तहसील रसडा द्वारा ग्रुप में एक पोस्ट डाला गया है जिसमें कुछ सदस्यों के सामूहिक त्यागपत्र देने की बात कही है। उस पोस्ट में मेरे भी नाम का उल्लेख किया गया है। इस बावत स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी निष्ठा आज भी ग्रापए में है। मेरे इस्तिफे की बात सत्य से परे है। मैं संगठन का एक सच्चा सिपाही रहा हूं, वर्तमान में हूं व भविष्य में भी रहूंगा।