Breaking News

ग्राम प्रधान की मेहनत ने दिखाया रंग,गो आश्रय केंद्र सोहांव बना जनपद का सबसे सुंदर गो आश्रय केंद्र



मधुसूदन सिंह/ओमप्रकाश राय

बलिया ।। जहां चाह हो, वहां की सूरत बदलते देर नही लगती है । जी,हां, हम बात कर रहे है योगी सरकार की सबसे ज्यादे प्राथमिकता वाली योजना गो आश्रय केंद्र की ,जिसको वास्तव में योगी जी की सोच के अनुरूप अगर किसी ने सजाया है और संवारा है तो वो है ग्राम सभा सोहांव के पूर्व प्रधान व वर्तमान प्रधानपति जयपाल यादव ने । बता दे कि इस केंद्र की जब से शुरुआत हुई थी तब से पिछले 6 माह पूर्व तक यहां पर रखे गोवंशीय जानवरो का या तो प्रतिदिन मरने का सिलसिला चलता था या फिर रात को दीवार तोड़ कर चोरी होने का । 6 माह पूर्व तक तो इस केंद्र में हमेशा ताला ही लटका मिलता था,आश्रय केंद्र होते हुए भी जानवर असहाय की तरह इधर उधर कैम्पस में घूमते रहते थे ।





लेकिन बलिया एक्सप्रेस साधुवाद देता है प्रधानपति जयपाल यादव को जिन्होंने न सिर्फ इन बेसहारा जानवरो के लिये बने इस आश्रय केंद्र का सुंदरीकरण कराया है बल्कि सभी पशुओं को खाने के समय साफसुथरी जगह और आराम के लिये भी साफसुथरी जगह बना कर सीएम योगी की सोच को मूर्त रूप में उतारने का काम किया है । आज यहां 52 जानवर है जिनके खाने के लिये भूसा हो या हरा चारा या चोकर/पुष्टाहार सभी कुछ दिया जाता है ।

एक गाय ने दिया बच्चा,दूसरी भी देने को तैयार



प्रधानपति जयपाल यादव की देखरेख का ही नतीजा है कि एक गाय ने बच्चा दिया है और सुबह शाम 1 लीटर दूध दे रही है जिसको बछड़े को ही पिला दिया जा रहा है । एक दूसरी गाय भी बच्चा देने की अवस्था मे है । जनपद ही नही पुर्वांचल का यह पहला गो आश्रय केंद्र होना चाहिये जहां रखे गये जानवरो को वास्तव में आश्रय मिला हुआ है । जिसका नतीजा है कि अब गाये बच्चा भी देने लगी है ।

प्रतिदिन चिकित्सक करते है जानवरो का चेकअप

इस गो आश्रय केंद्र की एक और विशेषता है कि यहां प्रतिदिन दो पशु चिकित्सक आकर इनकी सेहत की देखभाल करते है । इससे फायदा यह हुआ है कि अब इस केंद्र में पशुयें बीमार नही हो रही है, न ही मर रही है ।

ग्राम प्रधान का यही बन गया है कार्यालय

गो आश्रय केंद्र में रखे पशुओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिये ग्राम प्रधान का इसी कैम्पस में कार्यालय बन गया है । ग्राम प्रधान पति जयपाल यादव लगभग 15 से 16 घण्टे तक यही रहकर इसकी देखभाल करते है । श्री यादव कहते है कि पशुओं की सेवा करना तो हम लोगो का पीढ़ी दर पीढ़ी का कार्य है । मेरी कोशिश है कि इन सभी जानवरो को हरा चारा , भूसा चोकर आदि निर्धारित मात्रा में अवश्य मिल जाय । कहा कि हरा चारा के लिये मैने पोत पर खेत लेकर उसमें हरा चारा की बुआई करायी है । अगले सत्र से कैम्पस में भी हरा चारा की बुआई की जायेगी । यह भी कहा कि इनके गोबर से जो खाद बन रही है , उसको एकत्रित किया जा रहा है और उसको एक बार मे बेचा जाएगा जिससे इन जानवरों के लिये पौष्टिक आहार आदि की खरीद एक बार मे ही की जा सके ।



कहा कि इसकी देखभाल के लिये एक सफाई कर्मी मिला हुआ है । दो डेली वेजेज कर्मी भी लगे हुए है । इसके बावजूद मैं स्वयं और मेरे सहयोगी भी जब भी जरूरत होती है , साफसफाई करने में तनिक भी संकोच नही करते है ।

खाने और सोने का अलग अलग स्थान




श्री यादव ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण इन निराश्रित पशुओं को भी वो सारी सुविधाएं दे रहे है जो एक व्यक्ति द्वारा अपने पालतू पशुओं को दी जाती है । एक तरफ जहां इन पशुओं को खाने के लिये स्वच्छ चरन ,पीने के लिये अलग स्वच्छ जल की व्यवस्था की गई है तो दूसरी तरफ रात में इनके रहने के लिये भी साफ सुथरी व्यवस्था की गई है । चाहे खाने के समय हो या सोने के समय बड़े और छोटे जानवरो के लिये अलग अलग व्यवस्था है । रात में इन जानवरों को ठंड न लगे इसके लिये चार हैलोजन की रौशनी दी जाती है तो वही इनके शरीर पर चट्टी भी ओढ़ाया जा रहा है ।




बलिया एक्सप्रेस देता है प्रधानपति को धन्यवाद

बलिया एक्सप्रेस की टीम की निगाह हमेशा इस गो आश्रय केंद्र की बदहाली पर लगी हुई थी । समय समय पर इसको उजागर भी किया गया । कमियों को उजागर करने के लिये दीवार पर चढ़कर,मोटरसाइकिल पर चढ़कर फोटोग्राफी की गई, क्योकि तब इस केंद्र का ताला ही नही खुलता था । बलिया एक्सप्रेस ने सितंबर माह में इस केंद्र की बदहाली की खबर प्रमुखता से छापी थी, तब नये नये ग्राम प्रधान बने हुए थे और इन केंद्रों की जिम्मेदारी बीडीओ के पास थी । तब प्रधानपति जयपाल यादव ने भरोसा दिलाया था कि इस केंद्र का चार्ज मेरे पास आ जाने दीजिये शिकायत का एक भी मौका किसी को नही दूंगा । आज जयपाल यादव ने अपनी कथनी को साकार कर दिया है, इस लिये बलिया एक्सप्रेस परिवार जयपाल यादव की इस कोशिश व कृत्य को सलाम करता है और आशा करता है कि अन्य गो आश्रय केंद्र के संचालक भी इससे सीख लेकर अपने यहां की भी व्यवस्था में सुधार करेंगे ।















पिछले 16 सितंबर 2021 को बलिया एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर



         उपरोक्त फोटो को देखिये और गिनती कीजिये,क्या 41 है ?

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पिछले साल 21 मई 2020 को बलिया एक्सप्रेस ने गो आश्रय स्थल सोहांव में हो रहे भ्रष्टाचार को अपनी खबर के माध्यम से उजागर किया था । गुरुवार 16 सितंबर 2021 को पुनः इस केंद्र की जांच पड़ताल की गई तो पिछले साल से भी भयावह स्थिति दिखी । 21 मई 2020 को कुल 41 बछड़े थे जिनमें 36 के कानों पर टैग था,5 पर नही । इसी बीच मई 2021 में नरही पुलिस द्वारा गो तस्करो से पकड़ कर 11 गो वंश इनको दिये गये जिसमे दुधारू गाये भी थी । मई 2021 में ही चोरों ने आश्रय स्थल की दीवार तोड़कर 7 गायों की चोरी कर ली । यह चोरी तब हुई जब इस केंद्र पर 2 सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है । बीडीओ सोहांव चोरी की चिट्ठी थाना नरही को दे कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गये और सफाई कर्मियों को इस बावत न तो कोई जबाब देना पड़ा न ही निलम्बित होने की ही नौबत आयी । आज की तारीख में यहां 41 गोवंश होना एडीओ पंचायत द्वारा बताया गया है जिसमे बछड़ो वाली गाये भी शामिल है ।

पिछले एक साल मे कम हुई संख्या

21 मई 2020 को 41 बछड़े थे और आज भी कुल 41 की ही संख्या है जिसमे 4 बछड़ो वाली गाये है । ऐसे में 4 गाय व बछड़ो को निकाल दिया जाय तो कुल 37 बड़े बछड़ो की संख्या बचती है । यानी पिछले साल वालो में से 4 बछड़े कम हो गये ।  आखिर सुरक्षा के लिये दो सफाई कर्मियों के रहते यह कैसे संभव है ? जबकि हकीकत में हमारे कैमरे में जो संख्या दिख रही है वह कही से भी 41 की संख्या की पुष्टि नही कर रही है ।

आखिर बछड़ो की क्यो नही होता है शारीरिक विकास

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो वंशीय पशुओं को दर दर भटकने से मुक्ति दिलाने के लिये हो आश्रय स्थलों का निर्माण कराया । आवारा घूमने वाले गो वंशीय पशुओं को रहने के लिये आवास बनवाया,खाने की व्यवस्था की,लेकिन भ्रष्टाचारियो ने इसमें भी घोटाले की जगह ही नही खोजी बल्कि संभवतः यहां रहने वाले गो वंशो को गोकशी करने वालो के हवाले भी करने का काम शुरू कर दिया ।

  यहां पर रखे गये बछड़ो की शारीरिक विकास को अगर जांच करा दी जाय तो यहां गोकशी का बड़ा खेल सामने आ सकता है । सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कारण है कि लगभग 2 साल से रहने वाले बछड़ो की शारीरिक बनावट युवा की जगह बछड़े की ही दिखती है ? जबकि इतने समय मे ये बछड़े युवा हो जाते है और इनके उम्र का निर्धारण करने वाले दांत भी निकल आते है ।