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केशरिया छोड़ लाल टोपी पहन समाजवादी हुए रामइकबाल सिंह, सपाइयों में दौड़ी खुशी की लहर



संतोष द्विवेदी

नगरा, बलिया।भाजपा के पूर्व विधायक एवं भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्य समिति के सदस्य फायर ब्रांड नेता राम इकबाल सिंह ने अपनी हो रही लगातार उपेक्षा से आहत होकर बीजेपी को अलविदा कहकर सोमवार को लखनऊ में सपा मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष सपा की सदस्यता ग्रहण कर लिए। उनके सपा ज्वाइन करने से समर्थकों में हर्ष व्याप्त है। श्री सिंह के सपा में शामिल होने पर स्थानीय सपा कार्यकर्ताओं सहित उनके समर्थकों ने भी शुभकामनाएं दी है।

               बता दे कि राम इकबाल सिंह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति शुरू किए थे और राज नारायण के सानिध्य में राजनीति का ककहरा सीखने वाले राम इकबाल 1993 में भाजपा की राजनीति से जुड़ गए। मूल रूप से रसड़ा थाना क्षेत्र के मुड़ेरा निवासी श्री सिंह वर्ष 2002 में चिलकहर विधान सभा क्षेत्र से  भाजपा के टिकट पर विधान सभा चुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने थे। शुरू से ही बागी तेवर के श्री सिंह अपने जुझारूपन के लिए जाने जाते है। वे पूर्वांचल के नेताओ में एक अलग ही पहचान रखते है तथा ओज पूर्ण भाषणों के बदौलत उन्हें भीड़ जुटाने में महारत हासिल है। 






2007 में वे चिलकहर क्षेत्र से सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय से चुनाव हार गए थे। उसके बाद वर्ष 2009 में घोसी से लोक सभा का चुनाव लड़ें और हार गए। नए परिसीमन के बाद वे 2012 में रसड़ा विस से चुनाव लड़ें लेकिन यहां भी उन्हें बसपा प्रत्याशी उमाशंकर सिंह के हाथो हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 में सलेमपुर लोस से भाजपा के टिकट के दावेदार थे लेकिन टिकट नहीं मिला। 2017 के विधान सभा चुनाव में सदर विधान सभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें पुनः टिकट देकर रसड़ा क्षेत्र से लडने के लिए भेज दिया।

 प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद राम इकबाल सिंह खुद को अलग थलग महसूस करते थे, कारण कि इनको अपनी ही सरकार में नगरा गोली कांड में पुलिस ने एक दर्जन कार्यकर्ताओं के साथ अभियुक्त बना दिया था ।भरोसा था कि अपनी सरकार में न्याय मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं जब कि सीएम योगी अपना खुद मुकदमा वापस ले लिए, यही बात भीतर ही भीतर श्री सिंह को खलती थी। एक बार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मुकदमा वापसी की बात इनसे कही थी लेकिन श्री सिंह इनकार कर दिए थे। भरोसा था अपनी सरकार में न्याय मिल जाएगा लेकिन इनकी अशाओ पर पानी फिर गया । 

किसानों के पक्षधर होने की वजह से लखीमपुर खीरी कांड से वे काफी नाराज़ थे। भ्रष्टाचार के खिलाफ बराबर आवाज उठाते रहे लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं हुआ ।अंततः पार्टी की नीतियों से नाराज़ श्री सिंह लखनऊ में सपा सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष सपा में शामिल हो गए।