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गिरफ्तारी होनी चाहिये अंतिम विकल्प :उच्च न्यायालय प्रयागराज



 इलाहाबाद HC ने 498A के मामले में पति को अग्रिम जमानत दी

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प्रयागराज ।। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा नियमित गिरफ्तारी की आलोचना की है और कहा है कि प्राथमिकी के बाद गिरफ्तारी पुलिस की इच्छा पर होती है और पुलिस के लिए एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए कोई निश्चित अवधि निर्धारित नहीं है जिसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।


न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने एक आरोपी को आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 504, 406, 506 और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3/4 के तहत अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि “अदालतों ने बार–बार यह माना है कि गिरफ्तारी पुलिस के लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए और इसे उन असाधारण मामलों तक सीमित रखा जाना चाहिए जहां आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य है या उसकी हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।



तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ्तारी मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एआईआर 1994 एससी 1349 के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पुलिस आयोग की तीसरी रिपोर्ट का उल्लेख किया है जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि भारत में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के प्रमुख स्रोतों में से एक है। 




रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि, कुल मिलाकर, लगभग 60 प्रतिशत गिरफ्तारियाँ या तो अनावश्यक थीं या अनुचित थीं और इस तरह की अनुचित पुलिस कार्रवाई में जेलों के खर्च का 43.2 प्रतिशत हिस्सा था। व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक बहुत ही कीमती मौलिक अधिकार है और इसे तभी कम किया जाना चाहिए जब यह अनिवार्य हो जाए।”

इस मामले में आरोपी पति-राहुल गांधी पर आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 504, 406, 506 और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3/4 के तहत आरोप लगाया गया था।आरोप यह था कि शिकायतकर्ता का विवाह दिनांक 16.06.2016 को आवेदक के साथ अनुष्ठापित किया गया था। यह भी आरोप था कि उक्त विवाह में उसके माता-पिता ने पर्याप्त दहेज दिया था। आरोप यह भी था कि शादी के बाद प्रार्थी और उसके परिवार के सदस्यों ने एक करोड़ रुपये अतिरिक्त दहेज की मांग की है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आवेदक और उसके परिवार के सदस्य शिकायतकर्ता को लगातार अपमानित और प्रताड़ित कर रहे हैं ।








आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक निर्दोष है और उसे वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि इस प्रकार गिरफ्तार कर आवेदक की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से प्राथमिकी दर्ज की गई है।उन्होंने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रार्थी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है और आज तक कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है।अदालत ने पूरी स्थिति और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद आरोपी पति को 50 हजार रुपये की जमानत देने पर अग्रिम जमानत दे दी।कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपी बिना कोर्ट की इजाजत के देश से बाहर नहीं जाएंगे।