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बलिया नगर विधान सभा सीट : मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल,दयाशंकर सिंह,भगवान पाठक,नागेंद्र पांडेय के बीच दावेदारी की रस्साकशी

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। विधानसभा का चुनाव ज्यो ज्यो नजदीक आता जा रहा है, प्रत्येक राजनैतिक दलों में खेमा बंदी और समीकरण बैठाकर प्रत्याशी बनने की रस्साकशी तेज हो गयी है । भाजपा व सपा में सबसे ज्यादे प्रत्याशी बनने की होड़ दिख रही है । आज भाजपा में मची रस्साकशी की बात कर रहा हूँ ।

भारतीय जनता पार्टी में बलिया नगर विधानसभा सीट को लेकर कई तरह की चर्चाएं सुनने में आ रही है । इस सीट पर प्रबल दावेदारों में वर्तमान विधायक व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल,भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह,पूर्व विधायक भगवान पाठक और छात्र राजनीति से ही संघर्षो के लिये प्रसिद्ध नागेंद्र पांडेय दावेदार माने जा रहे है ।





भारतीय जनता पार्टी द्वारा पूर्व में घोषित निर्णय जिसमे लगभग 40 प्रतिशत वर्तमान विधायको के टिकट कटेंगे, को लोग बलिया नगर सीट पर भी लागू होने की संभावना जता रहे है । यह मात्र संभावना ही है,निर्णय भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को करना है । इन्ही संभावना के बीच पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बलिया की राजनीति में दिलचस्पी और सक्रियता एकाएक बढ़ गयी है ।

दयाशंकर सिंह द्वारा मंत्री श्री शुक्ल के धुर विरोधी नगर पालिका के चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी को भाजपा में शामिल कराना,टिकट की दावेदारी के रूप में ही देखा जा रहा है । यही नही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दयाशंकर सिंह ने बेल्थरारोड के जुझारू दलित नेता छट्ठू राम को भाजपा में शामिल कराकर यह संदेश दिया कि बलिया की राजनीति में इनकी कितनी पैठ है । यही नही रसड़ा विधानसभा के लिये भी इन्होंने शैलेन्द्र सिंह पप्पू को भाजपा में शामिल कराकर एक संभावित दावेदार भी देने का कार्य किया गया है ।

बलिया नगर विधानसभा की सीट पर जातीय समीकरण हमेशा हावी रहता है । पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में ब्राह्मण मतदाताओं की लामबंदी भाजपा के साथ होने के कारण दोनों चुनाव में भाजपा को विजय मिली । साथ ही पिछले दोनों चुनावों में मोदी जी का जादू लोगो के सिर चढ़ कर बोल रहा था । लेकिन इस बार ऐसा दिख नही रहा है । कोरोना काल मे लोगो को काफी दुश्वारियों से दो चार होना पड़ा है, बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई सुरसा की तरह बढ़ रही है । बलिया नगर विधानसभा की बात करे तो बरसात के साथ साथ बाढ़ से अधिकांश क्षेत्र प्रभावित है ।

बलिया शहर तो आज भी जलभराव की समस्या से जूझ रहा है । जलभराव से डेंगू का प्रकोप काफी बढ़ गया है । भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रशासन देने के सीएम योगी के वादे को नगर पालिका के ईओ दिनेश विश्वकर्मा द्वारा पलीता लगाया जा रहा है,लेकिन इस अधिकारी को राजनैतिक संरक्षण इतना जबरदस्त है कि जांच अधिकारियों द्वारा इसके खिलाफ की गई शिकायतों की जांच कर अपनी रिपोर्टों में दोषी ठहराये जाने के बाद भी कार्यवाही ठंडे बस्ते में दम तोड़ रही है ।

ब्राह्मण चेहरों के नाम पर इस सीट से अन्य दावेदारों में पूर्व विधायक भगवान पाठक और नागेंद्र पाण्डेय का नाम चर्चा में है । एक तरफ पूर्व विधायक होने के कारण श्री पाठक जातीय समीकरण को अपने पक्ष में ठीक करके टिकट मिलने पर जीत का दावा कर रहे है , तो दूसरी तरफ छात्र राजनीति से संघर्षो के लिये जाने जाने वाले और वर्षो से नगर विधानसभा के लोगो के सुख दुख में शामिल होने के कारण अपने टिकट को मिलना तय मान रहे है ।

वर्तमान मंत्री श्री शुक्ल भी अपने कार्यकाल में कराये गये कार्यो और अपनी स्वच्छ छवि के कारण पुनः प्रत्याशी बनने के प्रति काफी आश्वस्त दिख रहे है । अगर इनके खिलाफ कोई बात हो सकती है तो वह शहर में जलभराव की समस्या का समाधान न होना ।

तीन तीन ब्राह्मण दावेदारों के बीच दयाशंकर सिंह की दावेदारी भी इस बार सशक्त दिख रही है । क्योंकि इनके बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त,राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर और एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू से काफी करीबी रिश्ता है । इस बार नीरज शेखर व रविशंकर सिंह पप्पू , दोनों लोग भाजपा में है, जबकि पिछली बार जब दयाशंकर सिंह भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे,तो ये लोग सपा में थे । अजय कुमार समाजसेवी को भाजपा में शामिल कराने के बाद इनके पक्ष में व्यापारियों का भी झुकाव हो सकता है ।

वैसे किसको टिकट मिलेगा,यह अभी समय के गर्भ और भाजपा आलाकमान के निर्णय पर है । लेकिन अभी से सभी संभावित प्रत्याशियों द्वारा लामबंदी शुरू करके अपनी अपनी ताकत को आलाकमान को दिखाने का सिलसिला शुरू हो गया है । अब देखना है किसको चुनाव लड़ने का भाजपा का टिकट मिलता है ।