Breaking News

सरकार का मुनाफाखोरी रोकने का नायाब तरीका : न होलसेलर के पास रहेगा स्टॉक,न कर पायेगा मुनाफाखोरी

 


सबसे बड़ा सवाल इस कदम से क्या आम उपभोकताओ को मिलेगा फायदा ?

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। केंद्र सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपने यहां दलहन व तिलहन के लिये और दाल व खाद्य तेलों के लिये स्टॉक लिमिट लगाने की घोषणा की है । सरकार खाद्य तेलों व दालों की ऊंची हो रही कीमतों को नियंत्रित करने के लिये यह कदम उठा रही है, ऐसा कहा जा रहा है । इस कदम से क्या वास्तव में खाद्य तेलों व दालों की ऊंची दरों को नियंत्रित करके कम किया जा सकता है, यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है ।

भारत सरकार द्वारा ईसी० एक्ट 1955 के अंतर्गत अधिसूचना संख्या का आ. 4146 (अ) दिनांक 08-अक्टूबर-2021 के क्रम में राज्य सरकार द्वारा खाद्य तेल एवं तिलहन पर स्टॉक लिमिट निर्धारित की गई है जिनके अनुसार खाद्य तेलों के खुदरा विक्रेता 10 कुंतल, थोक विक्रेता 250 कुंतल एवं तिलहन में खुदरा विक्रेता 50 कुंतल व थोक विक्रेता को 500 कुंतल रखने का आदेश जारी किया है । अब इस आदेश से कितनी परेशानी बढ़ेगी /या राहत मिलेगी ,इसका बिंदुवार विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है ।





किसानों को होगी पहली परेशानी

सरकार 2022 तक अपने वादे के अनुसार किसानों की आय को दुगना करने के प्रयास में है लेकिन  यह आदेश ना तो व्यापारी ना उद्योग और ना ही किसान के हित में है और ना ही उपभोक्ता के हित में ही दिख रहा है। मूंगफली तिल्ली की फसल पूरी तरीके से तैयार है और मंडियों में किसान ले करके जा रहे है तो इसकी क्या आवश्यकता है। इस अध्यादेश से किसान की फसल एवं मेहनत पूरी तरह व्यर्थ हो जायेगी। एक तरफ किसानों की फसल ऊंचे दामों में बिके इसकी चिंता है, तो दूसरी तरफ व्यापारी अधिक मात्रा में खरीद न कर सके इसके लिये स्टॉक लिमिट लागू कर दी गयी है । ऐसे में किसानों की फसल खरीदने के लिये खरीदारों की कमी हो जाएगी , जिससे मजबूर किसानों को औने पौने दामों में अपनी फसल को बेचना पड़ जायेगा ।

सरसो के तेल की कीमत को नियंत्रित करके नीचे लाने के कागजी प्रयास तो हो रहे है वो सम्भव होते दिख नही रहे है । बाजार में सरसों 50 से 60 रुपये किग्रा तक बिक रहा है । एक किग्रा सरसो से मात्र 250 ग्राम से लेकर 300 ग्राम तक ही तेल निकलता है,ऐसे में 160 रुपये के नीचे सरसो का तेल बिकना असंभव दिख रहा है क्योंकि इसके अतिरिक्त पैकिंग चार्ज, हैंडलिंग चार्ज के अलावा डीजल की दर 50 प्रतिशत से ज्यादे बढ़ने से परिवहन खर्च में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है ।



 किसान अपना तिलहन मण्डियों में लेकर आ रहा है और इस नियम के कारण बाजार में मंदी आ गयी है । केन्द्र सरकार का यह नारा कि किसान को उसकी फसल का दुगुना दाम दिलायेंगे,इस नियम के चलते ये नारा मिथ्या साबित होगा। सरकार चाहती है कि तिलहन की पैदावार बढ़ायी जाये, तिलहन की कीमतें कम मिलने के कारण किसान का ध्यान तिलहन से हटेगा । इस प्रकार केन्द्र सरकार की नीति हर हालत में तिलहन की पैदावार बढ़ानी है, प्रभावित होगी। 


स्टॉक की कमी से मच सकती है अफरा तफरी,ब्लैक मार्केटिंग होने की संभावना

 नये आदेश के बाद स्टॉक लिमिट लगने से बाजार में दलहन व खाद्य तेलों के स्टॉक में कमी के चलते जिसको सरकार रोकना चाहती है,वह ब्लैक मार्केटिंग बढ़ सकता है । बता दे कि एक थोक व्यवसायी के पास कई खाद्य तेलों की एजेंसी होती है । थोक व्यवसायी किसी भी कम्पनी से एक ट्रक से कम माल नही मंगाता है । एक ट्रक में व्यापारी 30 टन माल मंगाता था जिससे परिवहन खर्च उसका कुछ कम पड़ जाता था और वह मार्केट में कम्पीटिशन दर का करता था जिससे उपभोकताओ को इसका फायदा मिलता था और माल कुछ सस्ता मिल जाता था ।

वर्तमान समय मे एक तो डीजल का भाव लगभग 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है । जिसके चलते निर्माण लागत में बढ़ोत्तरी के साथ ही परिवहन खर्च में भी भारी इजाफा हुआ है । अब जब 30 टन की जगह 25 टन ही माल मंगाया जायेगा, तो निश्चित ही परिवहन खर्च में बढ़ोत्तरी दर को बढायेगी । ऐसे में अगर व्यापारी ब्लैक मार्केटिंग न भी करे तो भी उपभोक्ताओं को वर्तमान दर से अधिक पर खाद्य तेलों की खरीदारी मजबूरी बन जायेगी ।

थोक व्यापारी खाद्य तेल का आर्डर देगा तो एक ट्रक में 24 टन से लेकर 30 टन तेल ट्रकों के माध्यम से आएगा, तो एक ही ट्रक में केंद्र प्रदेश द्वारा लागू की गई लिमिट को प्राप्त कर लेगा और उसके पास पूर्व में खरीदा हुआ तेल स्टॉक में होगा तो ऐसी स्थिति में यह लिमिट क्रॉस  करने का अपराध करेगा और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा के अंतर्गत उल्लंघन होगा । इससे इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज होगा और उत्पीड़न की कार्रवाई होगी ।


उपभोक्ता को फायदा नहीं ,पैकर्स उद्योग पर पड़ेगा असर

केन्द्र सरकार चाहती है कि उपभोक्ता को सस्ती कीमत पर तेल उपलब्ध कराये एक आरे किसान को दोगुनी कीमत दिलवानी है और दूसरी ओर उपभोक्ता को कम दाम में तेल दिलवानी है। इससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी और उसका नुकसान व्यापारी को तो होगा ही पर उपभोक्ता को भी उठाना पड़ेगा। 5. पैकर्स एक पैकर अपने यहां चार से पांच प्रकार के खाद्य तेल की पैकिंग करता है और हर खाद्य तेल जो अपने यहां मंगाता है उसका टैंकर 15 से 40 टन के बीच होता है । अगर ये स्टॉक लिमिट 250 कुतल के हिसाब से लगती है तो पैकर्स को अपना काम बंद करना पड़ेगा । इससे खाद्य तेल निर्माता उसको भी नुकसान होगा और पैकर्स का काम बंद हो जायेगा। एक ही ब्रांड का खाद्य तेल मंगाना थोक व्यवसायी की मजबूरी हो जाएगी और स्टॉक जांच के नाम पर एक बार फिर से  इंस्पेक्टर राज की वापसी हो जाएगी, जिससे बचाने का भाजपा सरकार ने वादा कर रखा है ।

 

कच्चा माल महंगा खरीदने पर कैसे बेचेंगे सस्ते दर पर, बड़ा सवाल

दलहन तिलहन आटा मिल व्यवसाय मिलर सीजन के समय कच्चे माल की खरीद गेहूं, चना, उड़द, मूंग, दलहन तिलहन की खरीद करते हैं । ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उचित सामग्री प्राप्त होती है । अगर ऑफ सीजन में कच्चे माल को खरीदेंगे तो निश्चित ही बढ़े हुए दामों पर खरीदना पड़ेगा इससे खाद्य तेल एवं अन्य चीजों के दामों में वृद्धि होगी और इसका खामियाजा देश के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा।


 व्यापारी के हित में नहीं 

मूंगफली, तिलहन किसान मन्दियों में लेकर आ रहा है। व्यापारी तेल का स्टॉक तेल मिलों में करता है ताकि कम-से-कम छ माह तक तेल का उत्पादन भरपूर हो सके। उद्योग को 12 महीने तेल बनाने के लिये मिल चलानी पड़ती है। सीजन पर व्यापारी ने स्टॉक किया है। अब आपका आदेश है कि व्यापारी तिलहन का निस्तारण कर दे तेल का बाजार में सभी लोग विक्रय करने के लिये आ गये तो अधिकतम निम्न मूल्य पर भी बाजार में तेल का खरीददार नहीं मिलेगा। इससे व्यापारी को घाटा लगेगा, उद्योग प्रभावी होंगे और व्यापारी का मानसिक सन्तुलन बिगड़ेगा।


 उद्योग को फायदा नहीं

 सीजन के हिसाब से ऊंचे दामों में तिलहन खरीदकर उद्यमी तेल विक्रय कर रहा है। उसके पास आवश्यक 3 महीने का तेल स्टॉक है। इस अध्यादेश अनुसार वांछित स्टॉक में आने के लिये ओने-पौने दामों में स्टॉक में कमी करके लिमिट में  व्यापारी को रहने के कारण उद्योग को वांछित तिलहन नहीं मिल पायेगी इसे या तो उद्योग बंद करना पड़ेगा या फिर कम कैपेसिटी में चलाना पड़ेगा । टर्नओवर कमजोर होने के कारण बैंक लिमिट में बाधा आयेगी।  टर्नऑवर पूंजी कम होने के कारण बैंक की यह निर्धारित किस्ते भी नहीं चुका पायेगा रोजगार में कमी आयेगी, उद्योग दिवालियापन की ओर बढ़ेगा ,नियंत्रित व्यापार देश की इकॉनोमी के लिये घातक होता है।


उपभोक्ता को फायदा नही

केन्द्र सरकार चाहती है कि उपभोक्ता को सस्ती कीमत पर तेल उपलब्ध कलाये। एक आरे किसान को दोगुनी कीमत दिलवानी है और दूसरी और उपभोका को कम दाम में वेल दिलवानी है। इससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी और उसका नुकसान व्यापारी को तो होगा ही पर उपभोक्ता कोठाना पड़ेगा। 


 कमीशन एजेंट ,डिपो व्यवसाय पर पड़ेगा असर

एक कमीशन एजेंट या डिपो होल्डर जो कम्पनी का माल रखता है उसको कम्पनी मांग की वजह से 40 टन के ट्राले में माल भेजती है जिसको डिपो होल्डर 100 से 150 कि०मी० के क्षेत्र में भेजता है कम्पनी के खाद्य पदार्थ कई प्रकार के होते हैं उनके सभी उत्पादों को अपने यहां रखता है अगर स्टॉक लिमिट लगती है तो सभी कम्पनियों के डिपो बन्द करने पहेंगे इससे आम जनता को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।


बड़े निर्माताओ की हो जाएगी चांदी

एक तरफ बाजार में उपभोकताओ तक आवश्यक खाद्य तेलों को पहुंचाने वाले थोक व्यवसायियों के यहां स्टॉक लिमिट लगाकर सरकारी आदेश से ही बाजार में खाद्य तेलों की भरपूर उपलब्धता प्रभावित होगी ,तो दूसरी तरह इसी आदेश से खाद्य तेलों के बड़े  निर्माताओ की चांदी कटने लगेगी । सरकार के इस आदेश के अनुसार बड़े मिल मालिक अपने यहां वार्षिक टर्न ओवर का 12 वा भाग स्टॉक में रख सकता है । यानी ये एक माह तक का स्टॉक डंप भी कर ले तो इनके ऊपर कोई कार्यवाही नही की जाएगी । जबकि थोक व्यापारी को अपनी बिक्री का एक दिन का भी स्टॉक रखने की छूट नही है ।

एक तरफ सरकार गांव गिराव में एक्सपेलर के माध्यम से सरसो तेल जैसे खाद्य तेलों को खुले में बेचने को प्रतिबंधित कर रही है और पैकिंग में तेल को खरीदने को बाध्य कर रही है । वही बड़ी कम्पनियों को स्टॉक होल्ड करने की छूट दे रही है जिससे महंगाई घटने की बजाय बढ़नी लाजिमी है ।